7 अप्रैल 2008 के भारतीय समयानुसार सुबह 7:30 हिन्द-युग्म के सदस्य निखिल आनंद गिरि का जीवंत टेलीफोनिक साक्षात्कार और काव्य-पाठ प्रसारित किया गया। यह प्रसारण डैलास, अमेरिका के एफ॰एम॰ रेडियो स्टेशन 'रेडियो सलाम नमस्ते' से 'कवितांजलि' कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया। यह कार्यक्रम वहाँ के स्थानीय समयानुसार प्रत्येक रविवार की रात्रि ९ बजे से १० बजे तक होता है जिसका संचालन श्री आदित्य प्रकाश जी करते हैं। इस कार्यक्रम में दुनिया भर से हिन्दी के लगभग सभी नामचीन मंचिय कवियों ने काव्य-पाठ किया है।
हमने निखिल के साक्षात्कार को रिकार्ड करने का यत्न किया है। डेंटन निवासी युवा कवयित्री रचना श्रीवास्तव ने भी हिन्द-युग्म के युवा कवि का प्रोत्साहन करने के लिए काव्य-पाठ और बातचीत के बाद स्टूडियों फोन किया था, मगर हम उनकी बातों को ठीक से रिकार्ड नहीं कर सके। फिर भी हिन्द-युग्म उन्हें लिखित धन्यवाद ज़रूर देना चाहेगा।
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Kavya-path of Nikhil Anand Giri on Radio Salaam Namaste






संस्कार गीतों पर एक विशेष शृंखला
मन जाने - विवधताओं से भरी अल्बम








लता मंगेशकर जब मिली आवाज़ के श्रोताओं से
द रिटर्न ऑफ आलम आरा प्रोजेक्ट एक कोशिश है, हिंदुस्तान की पहली बोलती फिल्म के गीत संगीत को फिर से रिवाईव करने की, सहयोग दें, और हमारी इस नेक कोशिश का हिस्सा बनें 

सुप्रसिद्ध गायक, गीतकार और संगीतकार रविन्द्र जैन यानी इंडस्ट्री के दाद्दु पर एक विशेष शृंखला जिसके माध्यम हम सलाम कर रहे हैं फिल्म संगीत जगत में, इस अदभुत कलाकार के सुर्रिले योगदान को
लोरियों की मधुरता स्त्री स्वर के माम्तत्व से मिलकर और भी दिव्य हो जाती है. पर फिल्मों में यदा कदा ऐसी परिस्थियों भी आई है जब पुरुष स्वरों ने लोरियों को अपनी सहजता प्रदान की है. पुरुष स्वरों की दस चुनी हुई लोरियाँ लेकर हम उपस्थित हो रहे हैं ओल्ड इस गोल्ड में इन दिनों 

शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।



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6 श्रोताओं का कहना है :
बधाई निखिल जी और हिंद युग्म.
सात समंदर पार भी हिन्दयुग्म की चर्चा हुई जान कर बहुत खुशी हुई.
प्रस्तुत किया गया हिन्दयुग्म का परिचय बहुत प्रभावशाली है.
**एक सुझाव है-क्यों न इस ऑडियो परिचय को हिंद युग्म की साईट पर स्थाई मुख्य पृष्ठ पर रख दिया जाए ?
निखिल जी का साक्षात्कार भी बहुत अच्छा लगा.
शुभकामनाएं
निखिल जी , आवाज़ और भाव दोनो ही प्रभावशाली है.. बधाई और शुभकामनाएँ ...
शुभकामनाएं... भाई निखिल आनंद गिरी जी की कविताओं में जो बात है वो किन्हीं सीमाओं में बंध कर रहने वाली तो है नही. उनकी रचनायें तो सीमाओं को तोड़ने वाली हैं.. क्रांतिकारी.. अंदाज़ तो खैर अति उत्तम है ही..
हम भी अपने ब्लॉग पर हिंद युग्म के मित्रों का साक्षात्कार शीघ्र पोस्ट करते हैं.. बड़ी लेट लतीफी हो रही है.. कितने दिन हो गए हैं पुस्तक मेला समाप्त हुए..
nikhil ji bahu-bahut badhaai
हिंद युग्म और निखिल जी को बहुत बहुत बधाई , निखिल जी द्वारा कही हुई कविताएँ सुनाने को मिली , बहुत अच्छा लगा, खासतौर पर हिंद युग्म का परिचय ,हिंद युग्म के प्रयास विदेशों में भी हिन्दी भाषा को विकसित करने के लिए जागृति फैला रहे हैं ,देख कर बड़ी खुशी हुई ,हिन्दी और हिंद युग्म और तरक्की करे ऐसी हमारी मनोकामना है ,शुभकामनाएँ ,जय हिंद--जय हिन्दी
पूजा अनिल
आप सबने इतना प्रोत्साहन दिया.....बहुत-बहुत शुक्रिया..
हिन्दी जिन्दाबाद..
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