Thursday, December 25, 2008

सुनिए हरिवंश राय बच्चन की बाल कविता 'रेल'



बच्चो,

पिछले सप्ताह से आपके लिए नीलम आंटी कविताओं को सुनाने का काम कर रही हैं। हरिवंश रा बच्चन की कविता 'गिलहरी का घर' आप सभी ने बहुत पसंद किया। आज सुनिए बच्चन दादा की ही कविता 'रेल'। ज़रूर बताइएगा कि कैसा लगा?



Baal-Kavita/Harivansh Rai Bachchan/Rail

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4 श्रोताओं का कहना है :

राज भाटिय़ा का कहना है कि -

बहुत सुंदर लगी.
धन्यवाद

Sajeev का कहना है कि -

bahut badhai hai neelam ji

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

नीलम जी,

जब आप कविता के अंत में 'छुक-छुक, छुक-छुक' बोलती हैं तो सुनने वाले का मन बच्चा हो जाता है। मेरा तो इरादा है कि बच्चन जी का पूरा बाल-कविता-संग्रह 'नीली चिड़िया' को ही आप आवाज़ दे दीजिए धीरे-धीरे, एक-एक करके।

Smart Indian का कहना है कि -

मनभावन!

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