Thursday, March 19, 2009

बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं....



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 27

चौदहवीं का चाँद, 1960 की एक बेहद चर्चित फिल्म. गुरु दत्त के इस फिल्म में वहीदा रहमान की खूबसूरती का बहुत ही सुंदर उल्लेख हुया था इस फिल्म के शीर्षक गीत में, जिसे आप प्रायः सुनते ही रहते हैं कहीं ना कहीं से. इसी फिल्म से एक ज़रा कम सुना सा एक अनमोल गीत आज हम पेश कर रहे हैं 'ओल्ड इस गोल्ड' में. लता मंगेशकर की आवाज़ में यह गीत है "बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं, घर की बर्बादी के आसार नज़र आते हैं". अब तक गुरु दत्त ओ पी नय्यर और एस डी बर्मन जैसे संगीतकारों के साथ ही काम कर रहे थे. चौदहवीं का चाँद के लिए जब उन्होने संगीतकार रवि को 'फोन' करके यह कहा कि वो उनकी अगली फिल्म में उन्हे बतौर संगीतकार लेना चाहते हैं तो रवि साहब को यकीन ही नहीं हुआ. गुरु दत्त साहब ने रवि साहब से यह भी पुछा कि शक़ील बदायूनीं को अगर गीतकार लिया जाए तो कैसा हो. रवि को ज़रा संदेह था कि शायद शक़ील साहब नौशाद को छोड्कर बाहर गाने ना लिखें. लेकिन शक़ील साहब ने गुरु दत्त के निवेदन को ठुकराया नहीं और रवि साहब से मिलकर बाहर जाते हुए शक़ील साहब ने उनसे कहा की "मैने बाहर कहीं काम नहीं किया है, मुझे संभाल लेना".

चौदहवीं का चाँद एक 'ब्लाकबस्टर' साबित हुई. इस फिल्म के बाद रवि और गुरु दत्त में काफ़ी दोस्ती भी हो गयी. उन दिनों 'इंडस्ट्री' में एक ऐसी बात चली थी की गुरु दत्त अपनी फिल्म के गीतकार और संगीतकार के काम में बहुत दखलंदाजी करते हैं. लेकिन विविध भारती को दिये एक 'इंटरव्यू' में रवि साहब ने साफ इनकार करते हुए कहा था कि उन्होने कभी ऐसा महसूस नहीं किया. इस फिल्म के गीत संगीत ने भी अपना कमाल दिखाया. शक़ील और रवि ने जैसे उस वक़्त के लखनऊ शहर के माहौल को ज़िंदा कर दिखाया था गीत संगीत के ज़रिए. शेर-ओ-शायरी भरे नग्मों, कोठों का गीत संगीत, और "मिली खाक में मोहब्बत" जैसे दर्द भरे नग्मों ने लोगों को अपनी ओर पूरी सफलता से आकर्षित किया. पुरस्कारों की दौड में भी यह फिल्म पीछे नहीं रही. मोहम्मद रफ़ी और शक़ील बदायूनीं को इस फिल्म के शीर्षक गीत के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. बिरेन नाग को सर्बश्रेष्ठ कला निर्देशन के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाज़ा गया. तो पेश है आज के 'ओल्ड इस गोल्ड' में लताजी की आवाज़. इस गाने के संगीत संयोजन में सारंगी के सुरीले प्रयोग पर ज़रूर ध्यान दीजिएगा.



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -

१. सी रामचंद्र की संगीत में किशोर के मनमौजी अंदाज़.
२. गीत का एक संस्करण आशा ने भी गाया है.
३. मुखड़े में शब्द है -"@#%" हा हा हा.

कुछ याद आया...?

पिछली पहेली का परिणाम -
नीरज जी लगातार शतक पे शतक मार रहे हैं, आचार्य जी, मनु जी, पी एन साहब, सुमित जी सब के सब "फॉर्म" में लौट आये हैं. वाह ....जय हो.

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.





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8 श्रोताओं का कहना है :

Neeraj Rohilla का कहना है कि -

ईना मीना डीका......:-)

manu का कहना है कि -

shaayad nahin,,,,,

??

Divya Narmada का कहना है कि -

words in inverted comma are not visible. it looks as- "@%='

-eena meena deeka men to 'parampam po'tha. main sitaron ka taraana...main baharon ka fasana..leke ek angdaayee mujh par daal nazar.. ban jaa deevana..' ho sakta hai

Neeraj Rohilla का कहना है कि -

मैने ईना मीना डीका इसलिये कहा क्योंकि २ सूत्र मिल रहे थे। सी रामचन्द्र का संगीत और इसी गीत को आशाजी ने भी गाया है।

राज भाटिय़ा का कहना है कि -

बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं....आप का धन्यवाद इस सुंदर गीत को सुनवाने के लिये.

manu का कहना है कि -

आचार्य से सहमत होते होते एक और आ गया दिमाग में,,,,हालांके उसमे हा हा हा ठीक से नहीं है,,,,,

जीवन के सफ़र में राही मिलते हैं ,,,( मुनीम जी,,,,????)

शोभा का कहना है कि -

bahut badhiya geet hai. sunwane ke liye aabhaar.

Praveen का कहना है कि -

Who else commenting in 2022

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