सुनो कहानी: श्रवण कुमार सिंह की कहानी 'बुतरखौकी'
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम प्रत्येक शनिवार को आपको सुनवा रहे हैं चुनी हुई कहानियां जिनमें नए, पुराने, प्रसिद्ध, अल्प-परिचित सभी श्रेणी के रचनाकारों की बहुमूल्य कृतियाँ शामिल हैं। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में सआदत हसन अली मंटो की अमर कहानी 'टोबा टेक सिंह' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं श्रवण कुमार सिंह की सम-सामयिक कहानी 'बुतरखौकी', जिसको स्वर दिया है शन्नो अग्रवाल ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 54 मिनट और 3 सेकंड।
श्रवण कुमार सिंह की इस कहानी का टेक्स्ट हिंद युग्म पर कहानी कलश में उपलब्ध है।
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| हक जन्म का मेरे मत छीनो, मुझमें भी आस चहकती है. ~ प्रदीप मनोरिया (पतझड़ सावन वसंत बहार से साभार) | |
| निष्काम भाव से उसने थैली फेंक दी। अपनी अजन्मी पोती का अंतिम संस्कार कर के कुछ दूर बढ़ी ही थी कि लगा कोई पीछे से पुकार रहा है। (श्रवण कुमार सिंह की 'बुतरखौकी' से एक अंश) | |
हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी | |
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अगले शनिवार का आकर्षण - सआदत हसन अली मंटो की "कसौटी"
#Twenty-first Story, Butarkhaunki: Shravan Singh/Hindi Audio Book/2009/16. Voice: Shanno Aggarwal







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3 श्रोताओं का कहना है :
शन्नो जी,
अच्छा वाचन। कहीं-कहीं स्थानीय बोली में लिखे गये वाक्यों के उच्चारण पर फिर से मेहनत करने की ज़रूरत है। यह कहानी-कलश पर प्रकाशित 100 से भी अधिक कहानियों में बहुत बढ़िया कहानी है। इसे अपनी आवाज़ देने का शुक्रिया।
मैंने भी ये कहानी कलश पर पढ़ी थी...पूरा नहीं सुन पाया कुछ नेट खराब चल रहा है....पर इस प्रयास के लिए शन्नो जी और अनुराग जी बधाई के पात्र हैं
शैलेश जी, सजीव जी,
आप दोनों को मेरा कथा-वाचन सराहने के लिए धन्यबाद. अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी. किन्तु अगर किसी तरह से कोई त्रुटि रह गयी है मेरे वाचन में तो उसके लिए क्षमा चाहती हूँ.
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