ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 181
"हम छोड़ चले हैं महफ़िल को, याद आए कभी तो मत रोना,
इस दिल को तसल्ली दे लेना, घबराए कभी तो मत रोना।"
आज से लगभग ३५ साल पहले, २७ अगस्त १९७६ को, दुनिया की इस महफ़िल को हमेशा के लिए छोड़ गए थे फ़िल्म जगत के सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक और एक बेहतरीन इंसान मुकेश। मुकेश उस आवाज़ का नाम है जिसमें है दर्द, मोहब्बत, और मस्ती भी। आज उनके गए ३५ साल हो गए हैं, लेकिन उनके गाए अनगिनत नग़में आज भी वही ताज़गी लिए हुए है, समय असर नहीं कर पाया है मुकेश के गीतों पर। मुकेश का नाम ज़हन में आते ही सुर लहरियों की पंखुड़ियाँ ख़ुद ब ख़ुद मचलने लग जाती हैं, दुनिया की फिजाओं में ख़ुशबू बिखर जाती है। २७ अगस्त को मुकेश की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर आज से 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में हम शुरु कर रहे हैं मुकेश को समर्पित १० विशेषांकों की एक ख़ास लघु शृंखला '१० गीत जो थे मुकेश को प्रिय'। जी हाँ, ये वो १० गीत हैं, जो मुकेश को बहुत पसंद थे और जिन्हे वो अपने हर शो में गाते थे। इस शृंखला की शुरुआत हम कर रहे हैं जीवन दर्शन पर आधारित फ़िल्म 'तीसरी क़सम' के एक मशहूर गीत से - "सजन रे झूठ मत बोलो, ख़ुदा के पास जाना है, न हाथी है न घोड़ा है, वहाँ पैदल ही जाना है"। गीत यही सिखाता है कि हर इंसान का अंजाम एक ही है, चाहे वो राजा हो या भिखारी, इसलिए सांसारिक सुख दुख एक तरफ़ रख कर अपने जीवन काल में दुनिया का भला करें, समाज की सेवा करें, भलाई की राह पर चलें। "लड़कपन खेल में खोया, जवानी नींद भर सोया, बुढ़ापा देख कर रोया, वही क़िस्सा पुराना है"। कितनी अच्छी सीख इस पंक्ति में शैलेन्द्र जी ने दी है कि हमें अपना मूल्यवान जीवन व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए, कुछ ऐसा करें ताकि हमारे जाने के बाद भी हमारे काम से दुनिया लाभांवित होती रहे।
गीतकार शैलेन्द्र द्वारा निर्मित एवं और बासु भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित इस क्लासिक फ़िल्म 'तीसरी क़सम' के बारे में तफ़सील से हम आप को कुछ रोज़ पहले बता ही चुके हैं। उसी में हम ने आप को शैलेन्द्र के बेटे मनोज शैलेन्द्र से ली गई साक्षात्कार का एक अंश भी प्रस्तुत किया था जिसमें उन्होने इस फ़िल्म से जुड़ी बाते कहे थे। क्योंकि यह विशेष शृंखला है गायक मुकेश पर केन्द्रित, इसलिए इसमें ज़्यादा बातें हम मुकेश की ही करेंगे। राज कपूर, मुकेश, शैलेन्द्र और शंकर-जयकिशन की टीम के इस सदाबहार गीत को सुनने से पहले पेश है मुकेश के बेटे नितिन मुकेश के कुछ शब्द अपने पिता के बारे में जो उन्होने कहे थे मुकेश को श्रद्धांजली स्वरूप विशेष जयमाला कार्यक्रम में विविध भारती पर। इसका प्रसारण हुआ था २७ अगस्त २००५ के दिन। "दोस्तों, मैं प्रोग्राम अक्सर करता रहता हूँ, देश विदेश में जाता रहता हूँ, और मैने देखा है कि हर उम्र के लोग मुकेश जी के गानें बेहद पसंद करते हैं। मुझे याद है एक बार अहमदाबाद में एक १६-१७ साल के एक लड़के ने मुकेश जी के गाए एक गीत की फ़रमाइश की जो ४३ वर्ष पुराना गाना था। मैने उससे पूछा कि यह तो बहुत पुराना गाना है, जब यह गाना रिकार्ड हुया था तब शायद आप के पिताजी का भी जन्म नहीं हुआ होगा, आप को यह गाना कैसे इतना पसंद है? तो उसने कहा कि 'uncle, please dont mind, पर आप क्या समझते हैं? Do you know that Mukeshji was a national property?" यह सुनकर पहले तो मुझे अजीब सा लगा कि इस लड़के ने मुझे ऐसे जवाब दे दिया, पर दूसरे ही पल मुझे खुशी भी हुई। मुकेश जी पहले आप के, इस देश के चहेते हैं, उसके बाद मेरे पिता हैं।"
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
१. मुकेश की पसंद का दूसरा गीत.
२. संगीत एस एन त्रिपाठी का है.
३. मुखड़े की दूसरी पंक्ति में शब्द है -"आग".
पिछली पहेली का परिणाम -
मंजू जी आपको २ मिलेंगें, और इसी के साथ आपका खता खुल गया है बधाई...पर पराग जी की तरह हम भी स्वप्न जी से गुजारिश करेंगें कि इतने साफ़ साफ़ हिंट न दिया करें....जरा प्रतिभागियों को अपने जेहन की कसरत करें दें. पाबला जी आप भी दौड़ में शामिल हा जाएँ...पर जितनी जल्दी आ सकें उतना अच्छा, सुमित जी अच्छा मौका है आपके लिए अगले दस गीत मुकेश के होंगे...जम जाईये...शरद जी सूत्र में दूसरी पंक्ति ही लिखा है आप क्यों पसोपेश में आ गए पता नहीं :)
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
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11 श्रोताओं का कहना है :
jhumati chali hawa, yaad aa gaya koi
jhumati chali hawa, yaad aa gaya koi
bujhati bujhati aag ko, fir jala gaya koi
film - sangeet samraat taansen
sajan re jhooth mat bolo.......
yeh geet mujhe bada pyara lagta hai, par afsos ki ise sun nahin paa rahi :(
Mukesh Dwara gaya gaya behad surila geet..
dil ko chhu leti hai..
लो जी, हम दूसरी जगह कमेंट देते रह गए, देर हो गई :-(
दो-चार दिन लगेंगे, समय पर आने के लिए :-)
अब आए हैं तो ज़वाब दे ही देते हैं कि:
फिल्म; संगीत सम्राट तानसेन
संगीतकार: एस एन त्रिपाठी
गीतकार: शैलेंद्र
झूमती चली हवा, याद आ गया कोई
बुझती बुझती आग को, फिर जला गया कोई
झूमती चली हवा ...
खो गई हैं मंज़िलें, मिट गये हैं रास्ते
गर्दिशें ही गर्दिशें, अब हैं मेरे वास्ते
अब हैं मेरे वास्ते
और ऐसे में मुझे, फिर बुला गया कोई
झूमती चली हवा ...
चुप हैं चाँद चाँदनी, चुप ये आसमान है
मीठी मीठी नींद में, सो रहा जहान है
सो रहा जहान है
आज आधी रात को, क्यों जगा गया कोई
झूमती चली हवा ...
एक हूक सी उठी, मैं सिहर के रह गया
दिल को अपना थाम के आह भर के रह गया
चाँदनी की ओट से मुस्कुरा गया कोई
झूमती चली हवा ...
बार-बार दिन ये आये
बार-बार दिल ये गाये
तू जिए हजारों साल ये मेरी है आरजू....
हैप्पी बर्थडे टू यू ....
हैप्पी बर्थडे टू यू.....
हैप्पी बर्थडे टू ,,,,,,,,
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यू स्वप्ना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हैप्पी बर्थ डे टू यू....
जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो अदा जी......
manu ji....
itni sureeli badhai !!!!!
yahan tak main sun paayi hun...
hriday se dhanyawaad aapka...
स्वप्न मंजूषा जी को जन्मदिन को हजारों बधाईयाँ.
पर्युषण के महापर्व पर आवाज़ के सभी साथियोंसे क्षमापना.
बीते वर्ष में परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से
मेरी वाणी या व्यवहार द्वारा आपके मन को
कोई ठेंस पहुची हो तो कृपया क्षमा करे.
पराग
The film Teesari Kasam was only produced by Shailendraji,not directed.It was directed by Basu Bhattacharya.
thank u vpadalkar ji, badlaav kar diye gaye hain
मनु जी की कमेन्ट से मुझे पता चला की आज संगीत की देवी अदा जी का जन्मदिन है. तो मुबारकबाद.
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