Tuesday, November 24, 2009

गीतों भरी कहानी का दूसरा अंक



गुनगुनाते लम्हे- 2

3 नवम्बर 2009 से हमने आवाज़ पर एक नये कार्यक्रम गीतों भरी कहानी की शुरूआत की है। जिसमें फिल्मी गीतों के माध्यम से एक कहानी को गुनते और बुनते हैं। आज हम इसका दूसरा अंक लेकर हाज़िर हैं। कहानी है रेणु सिन्हा की, स्वर है अपराजिता कल्याणी की और तकनीकी संचालन खुश्बू ने किया है।

इस बार हमने समय का ख्याल रखा है। जल्दी से सुन भी लेंगे और गुन भी लेंगे।

अपनी राय ज़रूर दें।




'गुनगुनाते लम्हे' टीम
आवाज़/एंकरिंगकहानीतकनीक
Aprajita KalyaniRenu SinhaKhushboo
अपराजिता कल्याणीरेणु सिन्हाखुश्बू

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9 श्रोताओं का कहना है :

संगीता स्वरुप ( गीत ) का कहना है कि -

bahut khoobsurati se buni hai kahani.....geet saare hi karnpriy chune hain....aparajita ki aawaaz bahut madhur hai.... khooshboo to takniki men maahir hai....sabko hardik badhai....

ρяєєтii का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
ρяєєтii का कहना है कि -

गुनगुनाते लम्हों से दिन गुनगुना उठा ...
पूरी टीम को बहुत बहुत Congrats...!

Anonymous का कहना है कि -

'कली-यमन' की प्यारी सी प्रेम कहानी,प्यारे प्यारे गाने और........ सुनाने वाली ..?
' मिलते hi आँखे ...? ऊँहू ..सुनते hi 'उसको' दिल हुआ दीवाना किसी का ' .....मैं भला होश मे कैसे रहूँ '
पूछो ना आवाज़ का असर हाय ना पूछों ,दमभर मे कोई हो गया नन्ही डोल का ,कौन..?
मैं, हम सब
....................प्यारे से प्रोग्राम के लिए इत्ता सारा प्यार, दोनों को bahino ko
मिसेज़ सिन्हा को बधाई
indu puri goswami

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

इसबार गीतों का चुनाव और एंकरिंग इतना बढ़िया रहा कि समय कम लगा। बहुत खूब। कार्यक्रम को 30 मिनट तक खींचा जा सकता है।

खैर अगली बार

neelam का कहना है कि -

apraajita ,
jitni pyaari tm ho utni hi pyaari tumhaari aawaj ,waakai bahut achchi rahi tumhaari prastuti .ek baar phir se mubaarakbaad deti hoon aur aisi hi agli rochak prastutiyon ke intjaar me

निर्मला कपिला का कहना है कि -

वाह बहुत सुन्दर बधाई

Sajeev का कहना है कि -

भाई आप सब की इस महिला टीम ने तो ऐसा रंग जमा रखा है कि क्या कहने...महफ़िल से जाने के मन ही मन ही नहीं कर रहा.....excellent

gazalkbahane का कहना है कि -

सुनने सुन पाने का वक्त आज नहीं है और बिना सुने टिप्पणी तो बेइमानी हो जाएगी-पर उपक्रम अच्छा है

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