Wednesday, December 30, 2009

संगीत अवलोकन २००९, वार्षिक संगीत समीक्षा में फिल्म समीक्षक प्रशेन क्वायल लाये हैं अपना मत



२००९ हिंदी फिल्म संगीत के इतिहास में प्रायोगिकता के लिए मशहूर होगा. साल के शुरुआत में ही देव डी जैसे धमाकेदार प्रायोगिक फिल्म के म्यूजिक ने तहलका मचा दिया. बधाई हो फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप को जिन्होंने एक नए म्यूजिक डिरेक्टर को मौका देकर उन्हें पुरी स्वतंत्रता दी कि वो कुछ नया कर पाए. अंकित त्रिवेदी, जिन्होंने ये संगीत दिया है उन्होंने भी इस मौके का फायदा उठाते हुए ऐसे चौके छक्के मारे है के शायद ही कोई और प्रस्थापित संगीतकार ये कर पाता.

फिर आई दिल्ली ६ जिसमे संगीत के महारथी ए. आर. रहमान ने अपना लोहा फिर से मनवाया. प्रसून और रहमान का ये संगीत प्रयोग बेतहाशा सफल रहा और सारा भारत झूम के गाने लगा "मसकली मसकली". पर सबसे बड़ा प्रयोग था स्त्रियों के लोकसंगीत को जो आज तक उनके बीच सीमित था उसे हीप हॉप के साथ मिक्स कर के पेश करना. रहमान ने "गेंदा फूल" में वही किया और सभी गेंदा फूल बनकर पूछने लगे "अरे ये पहले क्यों नहीं हुआ. और ये नयी गायिका कौन है भाई ?"

वह गायिका है "रेखा भारद्वाज"! विशाल भारद्वाज की धर्मपत्नी. ऐसे नहीं के रेखाजी के कोई गाने पहले नहीं आये थे. इसके पहले भी ओंकारा में "नमक इश्क का" देकर उन्होंने सफलता प्राप्त की थी. पर गेंदा फूल एक मेनस्ट्रीम हिट था और इसीलिए ये सवाल आ रहा था. वर्ष की शुरूआत में गेंदा फुल देनेवाली रेखाजी ने वर्ष के अंत में रेडियो फिल्म में "पिया जैसे लड्डू" दे कर पुरे वर्ष पर अपनी मुहर लगा दी.

इनके आलावा शारिब और तोशी के संगीत ने भी व्यवसायिक सफलता प्राप्त कर के उन्हें कम उम्र में एक सफल संगीतकार बना दिया है. जनवरी में राज २ के "माही माही" गीत के साथ वे हिट रहे.

वही लन्दन ड्रीम्स के गानों ने नाराज कर दीया. संगीत के इर्द गिर्द घुमती ये फिल्म संगीत के मामले में ही कमजोर निकली. पर यहाँ भी एक प्रयोग था जो सबको पसंद आया और वह था rock हनुमान चालीसा जो सबको पसंद आई पर वोह जिस गाने का पार्ट था वही बोरियत भरा था.

लव आजकल, अजब प्रेम की गजब कहानी, तुम मिले, All the Best: Fun Begins, दिल बोले हडिप्पा, आ देखें ज़रा, बिल्लू जैसे फिल्मों के सफल संगीत से प्रीतम चक्रबोर्ती इस साल के सब से सफल संगीतकार रहे. फिल्मों की तादाद के साथ साथ उन्होंने गुणवत्ता का भी अच्छे से ख्याल रखा. ए. आर. रहमान ने भी इस साल कुछ अच्छे गाने दिए. वही सलीम-सुलेमान को बहुत सारी फिल्मे बतौर संगीतकार मिली पर वोह कुछ खांस असर नहीं दिखा पाए.

क़र्ज़ में ठीक ठाक संगीत देने वाले हिमेश रेशमिया इस बार रेडियो के साथ सबको अपनी कला से अचंभित कर गए. बार बार सुन सके ऐसे गाने दे कर उन्होंने एक पूरा हिट एल्बम प्रस्तुत किया. फिल्म हालाँकि नहीं चली पर गाने लगातार बजते रहते है.

कमीने और स्लम डोग के साथ गुलज़ार इस साल के सबसे सफल गीतकार रहे. पर प्रसून जोशी और स्वानंद किरकिरे भी अपने हुनर का जौहर दिखाने में कम नहीं रहे.

गायक और गायिकाओं में मोहित चौहान, आतिफ अस्लम हिट गाने देते रहे पर सुनिधि और शान इस साल थोड़े कम नजर आये.

मिलजुल कर संगीत के लिए ये २००९ बहुत अच्छी तरह से गुजरा और प्रायोगिक संगीत के साथ साथ बॉलीवुड का मेलोडी और मस्ती वाला समीकरण भी जमकर चला. ऐसे ही आगे होते रहे तो हम जैसे प्रशंसकों का प्यार और दुवायें हरदम बॉलीवुड के साथ बनी रहेंगीं.

अपनी पसदं के 5 गीतों को क्रमानुसार सूची.

1. पायलिया (देव डी)
2. गेंदा फूल (दिल्ली ६)
3. कमीने (शीर्षक)
4. रफा दफा (रेडियो)
5. तेरा होने लगा हूँ (APKGK)


निम्न श्रेणियों में अपनी एक प्रविष्ठी (नामांकन)

BEST SONG- Tera hone laga hun
BEST ALBUM- Radio
BEST LYRICIST- Gulzar
BEST COMPOSER- Pritam Chaktraborty
BEST SINGER (MALE) - Mohit Chauhan
BEST SINGER (FEMALE) - Rekha Bhardwaj
BEST NON FILMI SONG - Chandan mein
BEST UPCOMING ARTIST- Amit Trivedi, Music Director, Dev D
BEST FILMED (CHOREOGRAPHED) SONG OF THE YEAR: Blue Theme
ARTIST OF THE YEAR (OVERALL PERFORMANCE WISE) : Mohit Chauhan


-प्रशेन क्वायल

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विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

2009 ke filmon ke geet sangeet ka vishleshan behad prbhavi raha..

sarthak charcha..dhanywaad aawaj!!

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