Thursday, December 24, 2009

जाने वाले सिपाही से पूछो...ओल्ड इस गोल्ड का ३०० एपिसोड सलाम करता है देश के वीर जांबाज़ सिपाहियों को



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 300

र दोस्तों, हमने लगा ही लिया अपना तीसरा शतक। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' आज पूरा कर रहा है अपना ३००-वाँ अंक, और इस मुक़ाम तक पहुँचने में आप सभी के योगदान और प्रोत्साहन की हम सराहना करते हैं कि इस सीरीज़ को यहाँ तक लाने में आप ने हमारा भरपूर साथ दिया। और हर बार की तरह हमें पूरा विश्वास भी है कि आगे भी आपका ऐसा ही साथ बना रहेगा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के साथ। जैसा कि इन दिनों आप सुन रहे हैं शरद तैलंग जी के पसंद के गानें और आज बारी है पाँचवें गीत की, तो आज के इस ख़ास अंक को शरद जी के पसंद के गीत के ज़रिए हम समर्पित करना चाहेंगे हमारे देश के उन वीर जवानों को जो अपना सर्वस्व न्योछावर कर इस मातृभूमि की रक्षा करते हैं, हमारी हिफ़ाज़त करते हैं, इस देश को दुश्मनों से सुरक्षित रखते हैं। आज हम घर में चैन से बस इसलिए सो सकते हैं कि सरहद पर हमारे फ़ौजी भाई जाग रहे होते हैं। देश के वीर जवानों का ऋण किसी भी तरह से चुकाया तो नहीं जा सकता लेकिन यह हमारी छोटी से कोशिश है उन वीरों को सम्मानित करने की, उन शहीदों के आगे नतमस्तक होने की। और इस कोशिश में शरद जी की भी कोशिश शामिल है क्योंकि उन्ही की पसंद पर आज हम सुनवा रहे हैं फ़िल्म 'उसने कहा था' का गीत "जानेवाले सिपाही से पूछो वो कहाँ जा रहा है"। मख़्दूम मोहिउद्दिन ने इस गीत को लिखा है, संगीत है सलिल चौधरी का और आवाज़ें हैं मन्ना डे, सविता बैनर्जी (चौधरी)और साथियों की।

'उसने कहा था' १९६० की बिमल रॊय की फ़िल्म थी जिसका निर्देशन किया था मोनी भट्टाचार्जी ने। सुनिल दत्त, नन्दा, राजेन्द्र नाथ, दुर्गा खोटे अभिनीत इस फ़िल्म के गीत संगीत ने काफ़ी धूम मचाया था। ख़ास कर लता-तलत के गाए "आहा रिमझिम के ये प्यारे प्यारे गीत लिए" को सलिल दा के सब से ज़्यादा लोकप्रिय गीतों की श्रेणी में रखा जाता है। आज का प्रस्तुत गीत फ़ौजियों के ज़िंदगी की कहानी है। कोरस सिंगिंग् का एक बेहतरीन उदाहरण है यह गीत। कोरस के ज़रिए काउंटर मेलडी का प्रयोग हुआ है। हम पहले भी बता चुके हैं कि सलिल दा एक क्रांतिकारी संगीतकार रहे हैं। सामाजिक और राजनैतिक जागरण पर गीत लिखने के जब भी सिचुयशन आए है, उन्होने हर बार बहुत ही प्रभावशाली गानों की रचना की है। इस गीत में भी वही सुर गूंजते सुनाई देते हैं। अपने घर से निकल कर फ़्रंट पर जाते हुए सिपाही के दिल में किस तरह के ख़यालात होते हैं, किस तरह के जज़्बात उभरते हैं, और उसके जाने से पीछे छोड़ आए दुनिया में क्या प्रभाव पड़ता है, उसी की तस्वीरें भरी गई हैं इस गीत में। और मख़्दूम साहब आख़िरी अंतरे में लिखते हैं कि "लाश जलने की बू आ रही है, ज़िंदगी है कि चिल्ला रही है"। तो दोस्तों, आइए एक बार फिर सलाम करें और नमन करें हमारे वीर सिपाहियों को, 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का ३००-वाँ एपिसोड समर्पित है देश के उन वीर सपूतों के नाम! और इसी तीसरे शतक के साथ हम कर रहे हैं 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की पहली पारी समाप्ति की घोषणा। अरे अरे घबराइए नहीं, दूसरी पारी के साथ हम बहुत जल्द वापस आएँगे, अभी तो कई और शतकें लगानी हैं हमें। अभी तो बहुत से ऐसे गीतकार, संगीतकार और गायक हैं जिनको हमने अभी शामिल ही नहीं किया है, तो भला हम यह शृंखला समाप्त कैसे कर सकते हैं। तो दोस्तों, एक अल्पविराम के बाद नए साल में हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' लेकर फिर वापस आएँगे। लेकिन 'आवाज़' पर ईयर एंडिंग् के लिए कुछ विशेष आकर्षणों की व्यवस्था की गई है जिन्हे आप कल से सुन और पढ़ पाएँगे। तो अब इजाज़त दीजिए और हर रोज़ बने रहिए 'आवाज़' के साथ, क्योंकि यह हमारी नहीं आपकी भी आवाज़ है! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' टीम की तरफ़ से आप सभी को विश् करते हैं कि ईयर एंडिंग् आप हँसी ख़ुशी मनाएँ और एक नए साल का हँसते हँसते स्वागत करें, नमस्ते!



और अब दोस्तों, तैयार हो जाईये ओल्ड इस गोल्ड पहेली के अब तक के सबसे कड़े मुकाबले के लिए, पेश है १० सवाल आप सबके लिए हर सवाल के होंगें ३ अंक. जो भी जिस सवाल का सबसे पहले सही जवाब दे देगा उस जवाब के अंक उसके खाते में जुड जायेगें. आपके पास इन पहेलियों को सुलझाने के लिए ३ दिन का समय रहेगा यानी २७ तारीख़ शाम ६.३० तक के जवाब ही स्वीकार किये जायेगें. ये पहेली सबके लिए खुली है. विजेता को हमारी तरफ़ से मिलेगा एक बम्पर इनाम, जिसके तहत वो अपनी पसंद के १० गानें 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में बजा पाएँगे और हमारे श्रोताओं व पाठकों से उनका परिचय भी करवाया जाएगा एक मुलाक़ात की शक्ल में। तो फिर देर किस बात की? जल्द से जल्द हमें लिख भेजिए इन दस सवालों के सही जवाब और बनिए 'Old is Gold Champ'!

१. "तेरे महल की देख दिवाली, मैंने अपनी दुनिया जला ली, प्रीत की होली मनाई, प्रीत किए पछताई रे"। ये पंक्तियाँ जिस गीत के अंतरे की है उस गीत का मुखड़ा क्या है?

२. एक प्रसिद्ध गायिका की आवाज़ में एक ग़ज़ल है "रहने लगा है दिल में अन्धेरा तेरे बग़ैर"। फ़िल्म और गायिका का नाम बताइए।

३. २० दिसंबर १९८१ को किस संगीतकार का निधन हुआ था?

४. सुरेन्द्र की आवाज़ में एक गीत है - "अब हमको भुला कहते हैं"। बताइए यह गीत किस फ़िल्म का है तथा इसके संगीतकार कौन हैं?

५. इस गीतकार ने क्रिमिनल, घर की लाज, घर संसार, बदला, करो या मरो, बाबूजी, दामन जैसी फ़िल्मों के लिए गानें लिखे। इनका १६ जनवरी १९८३ को मुंबई में निधन हो गया था। बताइए कि हम किस गीतकार की बात कर रहे हैं?

६. लता मंगेशकर के गाए फ़िल्म 'जीवन यात्रा' का गीत "चिड़िया बोले चूँ चूँ चूँ" किस कलाकार पर फ़िल्माया गया था?

७. ११ मार्च १९७४ में लता मंगेशकर ने विदेश में पहली बार, लंदन के अल्बर्ट हॊल में स्टेज पर अपना गायन प्रस्तुत किया। कड़ाके की ठंड के बावजूद कोने कोने से लोग आए उन्हे सुनने के लिए। कुल ६००० सीटों की टिकटें बहुत पहले से ही बिक चुकी थीं। लेकिन लता जी ने कोई पारिश्रमिक नहीं ली। बताइए कि इस शो से प्राप्त पूंजी का कहाँ इस्तेमाल हुआ?

८. फ़िल्म 'इंतज़ार के बाद' के संगीतकार कौन थे?

९. आशा भोसले की आवाज़ में एक गीत है "हर टुकड़ा मेरे दिल का देता है गवाही"। आपको बताना है इस गीत के फ़िल्म का नाम, लेकिन इतना काफ़ी नहीं है। इसके साथ ही एक ऐसा फ़िल्मी गीत भी आपको बताना है जिसकी प्रारंभिक पंक्तियों में उपर्युक्त गीत की फ़िल्म का नाम आया हो।

१०. 'ओल इज़ गोल्ड' में हमने गीतकार आइ. सी. कपूर का लिखा केवल एक ही गीत अब तक सुनवाया है। बताइए वह कौन सा गीत था।


दोस्तों, हम जानते हैं कि ये सवाल थोड़े से मुश्किल क़िस्म के है, लेकिन असंभव नहीं। आप अपना समय लीजिए, जल्द बाज़ी में ग़लत जवाब ना दीजिएगा, ख़ूब खोज बीन कीजिए, हमें पूरी उम्मीद है कि २७ दिसंबर तक आपको सभी जवाब मिल जाएँगे। याद रखिये, जरूरी नहीं कि आपने सभी सवालों का जवाब देना ही है, जैसे जैसे आपको जवाब मिलते जाएँ, यहाँ टिपण्णी के माध्यम से दर्ज करते जाएँ. ठीक एक ही समय पर यदि दो जवाब आते हैं तो दोनों प्रतिभागियों को ३-३ अंक मिल जायेगें.कोई ऋणात्मक मार्किंग नहीं है. आप एक से अधिक बार भी एक सवाल का जवाब दे सकते हैं, बशर्ते सही जवाब पहले ही न आ चुका हो. तो आप सभी को हमारी शुभकामनाएं, विजेता की घोषणा १ जनवरी के अंक में की जाएगी।

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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6 श्रोताओं का कहना है :

शरद तैलंग का कहना है कि -

1. teri nagariya na bhai, preet kiye pachatai re sawariya preet kiye pachatai

शरद तैलंग का कहना है कि -

2. Begum Akhtar Film : Roti

शरद तैलंग का कहना है कि -

5 . ehsan Rizvi

शरद तैलंग का कहना है कि -

6. shayad Lata mangeshkar par hi

शरद तैलंग का कहना है कि -

8. Aziz khan

Anonymous का कहना है कि -

3 - कनु रॉय

बी एस पाबला

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