ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ०६
राजेश रोशन ने अपने करीयर में कई बार रबीन्द्र संगीत से धुन लेकर हिंदी फ़िल्मी गीत तैयार किया है। इनमें से सब से मशहूर गीत रहा है फ़िल्म 'याराना' का "छू कर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा"। आज इस गीत की बारी 'ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल' में। क्योंकि यह गीत अंजान ने लिखा है, तो आज जान लेते हैं इस गीत के बारे में अनजान साहब के बेटे समीर क्या कह रहे हैं विविध भारती पर। "उन्होने (अंजान ने) मुखड़ा मुझे सुनाया "छू कर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा", मुझे लगा कि बहुत ख़ूबसूरत गाना बनेगा। मगर जब हम गाँव से वापस आए और सिटिंग् हुई और रिकार्डिंग् पर जब गाना पहुँचा तो संजोग की बात थी कि रिकार्डिंग् में जाने से पहले तक प्रोड्युसर ने वो गाना नहीं सुना था। और रिकार्डिंग् में जब प्रोड्युसर आया और उन्होने जैसे ही गाना सुना तो बोले कि रिकार्डिंग् कैन्सल करो, मुझे यह गाना रिकार्ड नहीं करना है। उन्होने कहा कि इतना बेकार गाना मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं सुना, इतना खराब गाना राजु तुमने हमारी फ़िल्म के लिए बनाया है, मुझे यह गाना रिकार्ड नहीं करना है। अब राजेश रोशन का दिमाग़ उस ज़माने में, उनको ग़ुस्सा बहुत आता था, उन्होने कहा कि गफ़्फ़ार भाई, उनका नाम था गफ़्फ़ार नाडियाडवाला, सूरज नाडियाडवाला, हमीद नाडियादवाला, हमीद उसके प्रोड्युसर थे, हमीद, यह फ़िल्म बने ना बने, यह गाना रहे ना रहे, लेकिन यह गाना मैं रिकार्ड करने जा रहा हूँ और यह गाना मैं अपने पैसे से रिकार्ड करने जा रहा हूँ। और तुम अभी इसी वक़्त इस रिकार्डिंग् स्टुडियो से निकल जाओ, मुझे तुम्हारी शकल नही देखनी है, तुमको यह गाना नहीं समझ में आएगा, मैं यह गाना रिकार्ड करूँगा, तुमको इसका पैसा नहीं देना है, मैं अपने पैसे से रिकार्ड करूँगा। और उस आदमी ने अपने पैसे से वह गाना रिकार्ड किया और गाना रिकार्ड होके जब अमिताभ बच्चन तक पहुँचा तो उन्होने यह बात कही थी कि अगर यह गाना नहीं होगा तो मैं यह फ़िल्म नहीं करूँगा। और वह गाना माइलस्टोन बना।"
ओल्ड इस गोल्ड एक ऐसी शृंखला जिसने अंतरजाल पर ४०० शानदार एपिसोड पूरे कर एक नया रिकॉर्ड बनाया. हिंदी फिल्मों के ये सदाबहार ओल्ड गोल्ड नगमें जब भी रेडियो/ टेलीविज़न या फिर ओल्ड इस गोल्ड जैसे मंचों से आपके कानों तक पहुँचते हैं तो इनका जादू आपके दिलो जेहन पर चढ कर बोलने लगता है. आपका भी मन कर उठता है न कुछ गुनगुनाने को ?, कुछ लोग बाथरूम तक सीमित रह जाते हैं तो कुछ माईक उठा कर गाने की हिम्मत जुटा लेते हैं, गुजरे दिनों के उन महान फनकारों की कलात्मक ऊर्जा को स्वरांजली दे रहे हैं, आज के युग के कुछ अमेच्युर तो कुछ सधे हुए कलाकार. तो सुनिए आज का कवर संस्करण
गीत - छूकर मेरे मन को
कवर गायन - रफीक शेख
ये कवर संस्करण आपको कैसा लगा ? अपनी राय टिप्पणियों के माध्यम से हम तक और इस युवा कलाकार तक अवश्य पहुंचाएं
रफ़ीक़ शेख
रफ़ीक़ शेख आवाज़ टीम की ओर से पिछले वर्ष के सर्वश्रेष्ठ गायक-संगीतकार घोषित किये जा चुके हैं। रफ़ीक ने दूसरे सत्र के संगीत मुकाबले में अपने कुल 3 गीत (सच बोलता है, आखिरी बार, जो शजर सूख गया है) दिये और तीनों के तीनों गीतों ने शीर्ष 10 में स्थान बनाया। रफ़ीक ने पिछले वर्ष अहमद फ़राज़ के मृत्यु के बाद श्रद्धाँजलि स्वरूप उनकी दो ग़ज़लें (तेरी बातें, ज़िदंगी से यही गिला है मुझे) को संगीतबद्ध किया था। बम्पर हिट एल्बम 'काव्यनाद' में इनके 2 कम्पोजिशन संकलित हैं।विशेष सूचना -'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के बारे में आप अपने विचार, अपने सुझाव, अपनी फ़रमाइशें, अपनी शिकायतें, टिप्पणी के अलावा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के नए ई-मेल पते oig@hindyugm.com पर ज़रूर लिख भेजें।
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड के ४०० शानदार एपिसोड आप सब के सहयोग और निरंतर मिलती प्रेरणा से संभव हुए. इस लंबे सफर में कुछ साथी व्यस्तता के चलते कभी साथ नहीं चल पाए तो कुछ हमसे जुड़े बहुत आगे चलकर. इन दिनों हम इन्हीं बीते ४०० एपिसोडों के कुछ चर्चित अंश आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं इस रीवायिवल सीरीस में, ताकि आप सब जो किन्हीं कारणों वश इस आयोजन के कुछ अंश मिस कर गए वो इस मिनी केप्सूल में उनका आनंद उठा सकें. नयी कड़ियों के साथ हम जल्द ही वापस लौटेंगें






संस्कार गीतों पर एक विशेष शृंखला
मन जाने - विवधताओं से भरी अल्बम








लता मंगेशकर जब मिली आवाज़ के श्रोताओं से
द रिटर्न ऑफ आलम आरा प्रोजेक्ट एक कोशिश है, हिंदुस्तान की पहली बोलती फिल्म के गीत संगीत को फिर से रिवाईव करने की, सहयोग दें, और हमारी इस नेक कोशिश का हिस्सा बनें 

सुप्रसिद्ध गायक, गीतकार और संगीतकार रविन्द्र जैन यानी इंडस्ट्री के दाद्दु पर एक विशेष शृंखला जिसके माध्यम हम सलाम कर रहे हैं फिल्म संगीत जगत में, इस अदभुत कलाकार के सुर्रिले योगदान को
लोरियों की मधुरता स्त्री स्वर के माम्तत्व से मिलकर और भी दिव्य हो जाती है. पर फिल्मों में यदा कदा ऐसी परिस्थियों भी आई है जब पुरुष स्वरों ने लोरियों को अपनी सहजता प्रदान की है. पुरुष स्वरों की दस चुनी हुई लोरियाँ लेकर हम उपस्थित हो रहे हैं ओल्ड इस गोल्ड में इन दिनों 

शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।



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2 श्रोताओं का कहना है :
आपके खज़ाने के ये मोती वाकई में नायाब हैं.
ये गाना तो है ही मधुर पर उसकी पृष्ठ भूमि में इतना कुछ छिपा था । आपकी प्रस्तुति भी बढिया ।
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