Wednesday, April 28, 2010

तमाम बड़े संगीतकारों के बीच रह कर भी जयदेव ने बनायीं अपनी खास जगह अपने खास अंदाज़ से



ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ०८

ज 'ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल' में जयदेव का संगीत, साहिर लुधियानवी के बोल, फ़िल्म 'हम दोनो' का वही सदाबहार गीत "अभी ना जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं", जिसे आज भी सुन कर मानो दिल नहीं भरता और बार बार सुनने को जी करता है। दोस्तों, यह गीत उस दौर का है जब जयदेव साहब की धुनों पर बर्मन दादा यानी कि सचिन दा के धुनों का असर साफ़ सुनाई देता था। बाद में सचिन दा के ही कहने पर जयदेव जी ने अपनी अलग शैली बनाई और अपनी मौलिकता का परिचय दिया। जयदेव जी के परम भक्त और सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक सुरेश वाडेकर उन्हे याद करते हुए कहते हैं - "पापाजी ने बहुत मेलडियस काम किया है, ख़ूबसूरत ख़ूबसूरत गानें दिए श्रोताओं के लिए। मैं भाग्यशाली हूँ कि मैने उनको ऐसिस्ट किया ६/८ महीने। 'सुर सिंगार' प्रतियोगिता जीतने के बाद मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला। वो मेरे गुरुजी के क्लोज़ फ़्रेंड्स में थे। मेरे गुरुजी थे पंडित जियालाल बसंत। लाहौर से वो उनके करीबी दोस्त थे। पापाजी ने मेरे गुरुजी से कहा कि इसे मेरे पास भेजो, एक्स्पिरीयन्स हो जाएगा कि गाना कैसे बनता है, एक अच्छा अनुभव हो जाएगा। मैं गया उनके पास, वहीं पे मेरी लता जी से जान पहचान हो गई, उस समय वो फ़िल्म 'तुम्हारे लिए' का गाना "तुम्हे देखती हूँ तो लगता है ऐसे" के लिए आया करती थीं। मुझे वहाँ मज़ा आता था। कभी रीदम सेक्शन, कभी सिटिंग्स् में जाया करता था, तबला लेकर उनके साथ बैठता, कैसे गाना बनता है, शायर भी होते थे वहाँ, फिर गाना बनने के बाद 'ऐरेंजमेंट' कैसे किया जाता है, ये सब मैने देखा और सीखा। जयदेव जी के गीतों में फ़ोक का एक रंग होता था मीठा मीठा सा, गीत क्लासीक़ी और मेलडी भरा होता था, गाने में चैलेंज हमेशा होता था। पापाजी की साँस थोड़ी कम थी, इसको ध्यान में रख कर गाना बनाते थे कमाल का। "मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया" में छोटे छोटे टुकड़ों में इतना अच्छा लगता है। गाना शुरु होते ही लगता है कि ये तो पापाजी का गाना है। उनकी पहचान, उनका स्टैम्प उनके गानों में होता था। मैं बहुत भाग्यशाली रहा, उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।"

ओल्ड इस गोल्ड एक ऐसी शृंखला जिसने अंतरजाल पर ४०० शानदार एपिसोड पूरे कर एक नया रिकॉर्ड बनाया. हिंदी फिल्मों के ये सदाबहार ओल्ड गोल्ड नगमें जब भी रेडियो/ टेलीविज़न या फिर ओल्ड इस गोल्ड जैसे मंचों से आपके कानों तक पहुँचते हैं तो इनका जादू आपके दिलो जेहन पर चढ कर बोलने लगता है. आपका भी मन कर उठता है न कुछ गुनगुनाने को ?, कुछ लोग बाथरूम तक सीमित रह जाते हैं तो कुछ माईक उठा कर गाने की हिम्मत जुटा लेते हैं, गुजरे दिनों के उन महान फनकारों की कलात्मक ऊर्जा को स्वरांजली दे रहे हैं, आज के युग के कुछ अमेच्युर तो कुछ सधे हुए कलाकार. तो सुनिए आज का कवर संस्करण

गीत - अभी न जाओ छोड के...
कवर गायन - रश्मि नायर/ हेमंत बदया




ये कवर संस्करण आपको कैसा लगा ? अपनी राय टिप्पणियों के माध्यम से हम तक और इस युवा कलाकार तक अवश्य पहुंचाएं


रश्मि नायर
इन्टरनेट पर बेहद सक्रिय और चर्चित रश्मि मूलत केरल से ताल्लुक रखती हैं पर मुंबई में जन्मी, चेन्नई में पढ़ी, पुणे से कॉलेज करने वाली रश्मि इन दिनों अमेरिका में निवास कर रही हैं और हर तरह के संगीत में रूचि रखती हैं, पर पुराने फ़िल्मी गीतों से विशेष लगाव है. संगीत के अलावा इन्हें छायाकारी, घूमने फिरने और फिल्मों का भी शौक है

हेमंत बदया
हेमंत एक संगीतमय परिवार से हैं. बैंगलोर के श्री लक्ष्मी केशवा से इन्होने ललित संगीत और पंडित परमेश्वर हेगड़े से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के गुर सीखे. टोरोंटो में रहने वाले हेमंत जी टीवी के अन्ताक्षरी और मस्त मस्त शोस में शान के साथ नज़र आये और कन्नडा संघ आईडल भी बने


विशेष सूचना -'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के बारे में आप अपने विचार, अपने सुझाव, अपनी फ़रमाइशें, अपनी शिकायतें, टिप्पणी के अलावा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के नए ई-मेल पते oig@hindyugm.com पर ज़रूर लिख भेजें।

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड के ४०० शानदार एपिसोड आप सब के सहयोग और निरंतर मिलती प्रेरणा से संभव हुए. इस लंबे सफर में कुछ साथी व्यस्तता के चलते कभी साथ नहीं चल पाए तो कुछ हमसे जुड़े बहुत आगे चलकर. इन दिनों हम इन्हीं बीते ४०० एपिसोडों के कुछ चर्चित अंश आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं इस रीवायिवल सीरीस में, ताकि आप सब जो किन्हीं कारणों वश इस आयोजन के कुछ अंश मिस कर गए वो इस मिनी केप्सूल में उनका आनंद उठा सकें. नयी कड़ियों के साथ हम जल्द ही वापस लौटेंगें

फेसबुक-श्रोता यहाँ टिप्पणी करें
अन्य पाठक नीचे के लिंक से टिप्पणी करें-

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

2 श्रोताओं का कहना है :

Arvind Mishra का कहना है कि -

सुन्दर सुरीला सफर -बहुत शुभकामनाएं !

रोमेंद्र सागर का कहना है कि -

"अभी ना जाओ छोड़ कर ..." बहुत ही मधुर गीत ! रश्मी जी ने खूब निबाहा है मगर हेमंत भाई ...इस बार आपका कुछ जमा नहीं ! सहजता की कमी काफी खाली ...!
ओवर कांफिडेंट होने से बहुधा ऐसा होता ही है ! आप अच्छा गाते हैं लेकिन ......!

बहरहाल इसे अन्यथा ना ले ...हमें आपसे बेहतर गायकी की खूब आशाएं हैं ! शुभकामनायें !

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

संग्रहालय

25 नई सुरांगिनियाँ

ओल्ड इज़ गोल्ड शृंखला

महफ़िल-ए-ग़ज़लः नई शृंखला की शुरूआत

भेंट-मुलाक़ात-Interviews

संडे स्पेशल

ताजा कहानी-पॉडकास्ट

ताज़ा पॉडकास्ट कवि सम्मेलन