ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 482/2010/182
'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कल से हमने शुरु की है इस सदी की आवाज़ लता मंगेशकर के गाए कुछ बेहद दुर्लभ और भूले बिसरे गीतों से सजी लघु शृंखला 'लता के दुर्लभ दस'। कल की कड़ी में आपने १९४८ की फ़िल्म 'हीर रांझा' का एक पारम्परिक विदाई गीत सुना था, आइए आज १९४८ की ही एक और फ़िल्म का गीत सुना जाए। यह फ़िल्म है 'मेरी कहानी'। इस फ़िल्म का निर्माण किया था एस. टी. पी प्रोडक्शन्स के बैनर ने, फ़िल्म के निर्देशक थे केकी मिस्त्री। सुरेन्द्र, मुनव्वर सुल्ताना, प्रतिमा देवी, मुराद और लीला कुमारी अभिनीत इस फ़िल्म के संगीतकार थे दत्ता कोरेगाँवकर, जिन्हें हम के. दत्ता के नाम से भी जानते हैं। फ़िल्म में दो गीतकारों ने गीत लिखे - नक्शब जराचवी, यानी कि जे. नक्शब, और अंजुम पीलीभीती। इस फ़िल्म के मुख्य गायक गायिका के रूप में सुरेन्द्र और गीता रॊय को ही लिया गया था। लेकिन उपलब्ध जानकारी के अनुसार लता मंगेशकर से इस फ़िल्म में दो गीत गवाए गए थे, जिनमें से एक तो आज का प्रस्तुत गीत है "नन्ही नन्ही बुंदिया जिया लहराए बादल घिर आए", और दूसरे गीत के बोल थे "दिलवाले दिल का मेल"। उल्लेखनीय बात यह है कि यह जो "दिलवाले दिल का मेल" गीत है, इसकी धुन १९४४ की ब्लॊकबस्टर फ़िल्म 'रतन' के मशहूर गीत "जब तुम ही चले परदेस" से प्रेरित था। गीता-सुरेन्द्र के गाए "दिल की दुनिया में हाँ" और "बुलबुल को मिला" और सुरेन्द्र के गाए "दिल को तुम्हारी याद ने आकर हिला दिया" जैसे सुरीली गीतों के बावजूद के. दत्ता धीरे धीरे पीछे होते चले गए, और फ़िल्म संगीत के बदलते माहौल को अपना ना सके। दोस्तों, के. दत्ता ही वो संगीतकार थे जिन्होंने लता को उनका पहला एकल प्लेबैक्ड गीत "पा लागूँ कर जोरी रे, श्याम मोसे ना खेलो होरी" दिया था १९४७ की फ़िल्म 'आपकी सेवा में' में। और आज के प्रस्तुत गीत के गीतकार जे. नक्शब ने लता को दिया था उनका पहला सुपर डुपर हिट गीत "आएगा आनेवाला" १९४९ की फ़िल्म 'महल' में। तो इस तरह से आज का 'मेरी कहानी' फ़िल्म का यह गीत बेहद ख़ास है क्योंकि इस गीत के गीतकार और संगीतकार का लता के शुरुआती करीयर में बेहद महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आज के प्रस्तुत गीत की अगर बात करें तो यह बारिश का गीत है और बड़ी ही चंचल और चुलबुली अंदाज़ में लता जी की कमसिन आवाज़ में इसे गाया गया है। गीत का रीदम सुन कर नूरजहाँ के गाए "जवाँ है मोहब्बत हसी है ज़माना" गीत की भी याद आ जाती है।
दोस्तों, जैसा कि हमने कल कहा था कि इस शृंखला में सुनेंगे तो लता जी के ही गीत, लेकिन चर्चा ज़्यादा करेंगे इन दुर्लभ गीतों से जुड़े कुछ भूले बिसरे फ़नकारों की। ये वो फ़नकार हैं जिनकी यादें भी आज धुंदली होती जा रही हैं। रोज़ मर्रा की ज़िंदगी में हम इन्हें भले याद ना करें, लेकिन इस बात को झुटला भी नहीं सकते कि फ़िल्म संगीत के उस दौर में इन फ़नकारों ने फ़िल्म संगीत के ख़ज़ाने को समृद्ध करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। आइए आज बात करते हैं के. दत्ता साहब की। दत्ता कोरेगाँवकर ४० और ५० के दशक के एक कमचर्चित संगीतकार थे, जिन्होंने अपने पूरे करीयर में केवल १७ फ़िल्मों में ही संगीत दिया। उनका सफ़र शुरु हुआ था १९३९ की फ़िल्म 'मेरा हक़' से, उसके बाद १९४० में 'अलख निरंजन' और 'गीता' जैसी फ़िल्मों में संगीत दिया लेकिन ये फ़िल्में नहीं चलीं। के. दत्ता ने १९४२ में मज़हर ख़ान निर्देशित फ़िल्म 'याद' में संगीत दिया जिसके गानें मशहूर हुए थे। जी. एम. दुर्रानी और राजकुमारी की आवाज़ों में इस फ़िल्म का एक रोमांटिक डुएट "याद जब बेचैन करती है" ख़ासा लोकप्रिय हुआ था उस ज़माने में। फिर उसके बाद दत्ता साहब का साथ हुआ मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहाँ से। १९४५ में फ़िल्म 'बड़ी माँ' में नूरजहाँ के गाए गीतों ने तहलका मचा दिया था। आज जब लता जी पर केन्द्रित है यह शृंखला, तो यहाँ पर यह बताना ज़रूरी है कि 'बड़ी माँ' में अपने पिता की मृत्यु के बाद घर की आजीविका चलाने को संघर्षरत लता जी को मास्टर विनायक ने एक छोटी सी भूमिका दी थी और अपने उपर फ़िल्माए दो गीतों को भी उन्होंने गाया था। कीर्तन शैली का "माता तेरे चरणों में" और "जननी जन्मभूमि.... तुम माँ हो बड़ी माँ" लता के आरम्भिक गीतों के तौर पर ऐतिहासिक महत्व रखता है। के. दत्ता और लता से संबंधित एक और रोचक जानकारी हम यहाँ आपको देना चाहेंगे जो हमें प्राप्त हुई पंकज राग लिखित 'धुनों की यात्रा' किताब में। 'बड़ी माँ' के समय ही के. दत्ता और फ़िल्म के अन्य सदस्यों के साथ गेटवे ऒफ़ इण्डिया के पास एक दिन शाम को टहलते हुए लता ने "पैग़ाम" शब्द का उच्चारण ग़लत तरीके से बग़ैर नुक्ते के किया। के. दत्ता ने वहीं लता को रोका और स्पष्ट तौर पर समझाया कि यदि लता फ़िल्मों में अपना करीयर बनाना चाहती हैं तो उन्हें उर्दू शब्दों का स्पष्ट उच्चारण सीखना होगा। लता इस सीख को कभी नहीं भूलीं, और उनकी शुद्ध अदायगी में के. दत्ता की इस सीख का कहीं न कहीं हाथ अवश्य रहा है। तो आइए, सुनते हैं फ़िल्म 'मेरी कहानी' का यह गीत जिसके लिए आभार अजय देशपाण्डेय जी का जिन्होंने इस दुर्लभ गीत को हमारे लिए उपलब्ध करवाया.
क्या आप जानते हैं...
कि के. दत्ता स्वरब्द्ध 'बड़ी माँ' का मशहूर गीत "दिया जलाकर आप बुझाया" ओ. पी. नय्यर को इतना पसंद था कि संगीतकार बन कर शोहरत हासिल करने के बाद नय्यर साहब ने दता साहब को ख़ास इस गीत के लिए एक पियानो भेंट किया था।
विशेष सूचना:
लता जी के जनमदिन के उपलक्ष्य पर इस शृंखला के अलावा २५ सितंबर शनिवार को 'ईमेल के बहाने यादों के ख़ज़ानें' में होगा लता मंगेशकर विशेष। इस लता विशेषांक में आप लता जी को दे सकते हैं जनमदिन की शुभकामनाएँ बस एक ईमेल के बहाने। लता जी के प्रति अपने उदगार, या उनके गाए आपके पसंदीदा १० गीत, या फिर उनके गाए किसी गीत से जुड़ी आपकी कोई ख़ास याद, या उनके लिए आपकी शुभकामनाएँ, इनमें से जो भी आप चाहें एक ईमेल में लिख कर हमें २० सितंबर से पहले oig@hindyugm.com के पते पर भेज दें। हमें आपके ईमेल का इंतज़ार रहेगा।
अजय देशपांडे जी ने लता जी के दुर्लभ गीतों को संगृहीत करने के उद्देश्य से एक वेब साईट का निर्माण किया है, जरूर देखिये यहाँ.
पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)
१. यह १९४९ की एक फ़िल्म का गीत है, फ़िल्म के शीर्षक में दो शब्द हैं और दोनों ही अंग्रेज़ी के। फ़िल्म का नाम बताएँ। ३ अंक।
२. युं तो यह लता का गाया एकल गीत है, लेकिन इस फ़िल्म में लता ने शंकर दासगुप्ता के साथ एक युगल गीत भी गाया था। कल बजने वाले गीत का भाव बिलकुल वही है जो भाव लता और मुकेश के गाए उस सदाबहार युगल गीत का भी है जिसे रोशन ने स्वरबद्ध किया था। चलिए कई क्लूज़ दे दिए, अब आप बताइए कल बजने वाले गीत के बोल। ३ अंक।
३. इस फ़िल्म में दो संगीतकार हैं। इनमें से एक वो हैं जिन्होंने लता को यह सिखाया था कि गीत गाते वक़्त सांसों को कैसे नियंत्रित किया जाता है ताकि सांसें सुनाई ना दे। कौन हैं ये महान संगीतकार? २ अंक।
४. गीतकार वो हैं जिनका लिखा एक ग़ैर फ़िल्मी देशभक्ति गीत लता का गाया सब से मशहूर देशभक्ति गीत बन गया है। गीतकार बताएँ। १ अंक।
पिछली पहेली का परिणाम -
केवल अवध जी सही जवाब दे पाए. वैसे हम ये समझ सकते हैं कि ये शृंखला जरा मुश्किल होगी हमारे श्रोताओं के लिए, पर चुनौतियों में ही मज़ा है, है न....स्कोर अब तक - अवध जी है ८१ पर, इंदु जी हैं ५० पर, पवन जी ३५ और प्रतिभा जी ३४ पर हैं. बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
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7 श्रोताओं का कहना है :
गर्ल्स स्कूल
song is "naye raste pe rakha hai maine qadam"
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PAWAN KUMAR
गीत: तुम्ही कहो मेरा दिल क्यूँ रहे उदास नहीं.
अवध लाल
जब मैंने उत्तर देना शुरू किया था उस समय तक मुझे पवन भाई का उत्तर नहीं दिखाई दिया था. उनका उत्तर सही है क्यूंकि 'मल्हार' के गीत 'बड़े अरमान से रखा है सनम तेरी कसम, प्यार की दुनिया में पहला कदम' से भाव बिलकुल मिलता है.
अवध लाल
गीतकार वो हैं जिनका लिखा एक ग़ैर फ़िल्मी देशभक्ति गीत लता का गाया सब से मशहूर देशभक्ति गीत बन गया है। गीतकार बताएँ। - Kavi Pradeep
Kishore "Kish"
Ottawa, Canada
Sirf Aap Ki Jankari Ke Liye- Kavi Pradeep Hamare Padosi Thhe, Mumbai Vile Parle mein. Unki Badi Beti, Sargam meri classmate thi..Aaj Se koi 50 saal pehle...
इस फ़िल्म में दो संगीतकार हैं। इनमें से एक वो हैं जिन्होंने लता को यह सिखाया था कि गीत गाते वक़्त सांसों को कैसे नियंत्रित किया जाता है ताकि सांसें सुनाई ना दे। कौन हैं ये महान संगीतकार?- Anil Biswas
Doosre Sangeetkar: Chitalkar Ramchandra, yeh mera tukka/khayal hai...
Pratibha Kaushal-Sampat
Canada
Kish ji,
aap chaahen to Pradeep ji se juDee apni yaadon ko hamein oig@hindyugm.com ke email par likh sakte hain. ham 'Email ke Bahaane Yaadon Ke Khazaane' mein shaamil karenge.
Regards,
Sujoy Chatterjee
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