'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने नीरज बसलियाल की कहानी "फेरी वाला" का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अनुराग शर्मा की एक सामयिक कहानी "जाके कभी न परी बिवाई", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी "जाके कभी न परी बिवाई" का कुल प्रसारण समय 7 मिनट 43 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
इस कथा का टेक्स्ट बर्ग वार्ता ब्लॉग पर उपलब्ध है।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
| कहानी कहानी होती है, उसमें लेखक की आत्मकथा ढूँढना ज्यादती है। ~ अनुराग शर्मा हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी "घातक हृदयाघात हुआ था पापा को ... और ... उन दुकानदारों ने जो कहा उस पर आज भी यकीन नहीं आता है" (अनुराग शर्मा की "जाके कभी न परी बिवाई" से एक अंश) |
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#121st Story, jake kabhi na pari bivai: Anurag Sharma/Hindi Audio Book/2011/4. Voice: Anurag Sharma






संस्कार गीतों पर एक विशेष शृंखला
मन जाने - विवधताओं से भरी अल्बम








लता मंगेशकर जब मिली आवाज़ के श्रोताओं से
द रिटर्न ऑफ आलम आरा प्रोजेक्ट एक कोशिश है, हिंदुस्तान की पहली बोलती फिल्म के गीत संगीत को फिर से रिवाईव करने की, सहयोग दें, और हमारी इस नेक कोशिश का हिस्सा बनें 

सुप्रसिद्ध गायक, गीतकार और संगीतकार रविन्द्र जैन यानी इंडस्ट्री के दाद्दु पर एक विशेष शृंखला जिसके माध्यम हम सलाम कर रहे हैं फिल्म संगीत जगत में, इस अदभुत कलाकार के सुर्रिले योगदान को
लोरियों की मधुरता स्त्री स्वर के माम्तत्व से मिलकर और भी दिव्य हो जाती है. पर फिल्मों में यदा कदा ऐसी परिस्थियों भी आई है जब पुरुष स्वरों ने लोरियों को अपनी सहजता प्रदान की है. पुरुष स्वरों की दस चुनी हुई लोरियाँ लेकर हम उपस्थित हो रहे हैं ओल्ड इस गोल्ड में इन दिनों 

शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।



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3 श्रोताओं का कहना है :
सुजोय जी ,
आपने शिखा विश्वास के माध्यम से फिल्म जगत के दो व्यक्तित्व- आशालता और अनिल विश्वास, दोनों के कुछ अनूठे कृतित्व से परिचित कराया |
प्रस्तुतियों में भैरवी ठुमरी- 'बाजूबन्द खुल खुल जाय---' सुन कर मैं हतप्रभ रह गया | लगभग 40-45 वर्ष पहले रेडिओ पर लता मंगेशकर की आवाज़ में सुनी इस ठुमरी के स्थाई के बोल परम्परागत ठुमरी भैरवी के अनुरूप होने से स्मृतियों में यह सुरक्षित रहा | बहुत-बहुत धन्यवाद, इस दुर्लभ ठुमरी सुनवाने के लिए |
इसी कड़ी में आपने अनिल विश्वास द्वारा स्वरबद्ध 'रागमालिका' गीत 'ऋतु आए ऋतु जाए.....' भी लाजवाब है | मन्ना डे और लता मंगेशकर के स्वरों में फिल्म 'हमदर्द' के इस गीत में राग- गौड़ सारंग, गौड़ मल्हार, जोगिया और बहार का परिवेश एक सुन्दर पेंटिंग कि तरह साकार हो जाता है | ऐसे ही दुर्लभ और अनमोल खजाने से समृद्ध है भारतीय फिल्म संगीत जगत | एक बार फिर आपकी टीम को धन्यवाद |
उपरोक्त प्रतिक्रिया 'old is gold शनिवार विशेष पर पोस्ट करना था, गलती से यहाँ हो गया, क्षमा करें
यब वर्णनात्मक कहानी बहुत अच्छी लगी!
अर्चना चावजी का स्वर तो बहुत कमाल का है!
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