'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने गिरिजेश राव की संस्मरणात्मक कहानी "सुजान साँप" का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं शेखर जोशी की कहानी "दाज्यू", जिसको स्वर दिया है प्रीति सागर ने। कहानी "दाज्यू" का कुल प्रसारण समय 10 मिनट 34 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
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#131th Story, Dajyu: Shekhar Joshi/Hindi Audio Book/2011/13. Voice: Priti Sagar
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शेखर जोशी (जन्म: सितम्बर 1932) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी "वह कुछ बोला नहीं। हाँ, नम्रता प्रदर्शन के लिए थोड़ा झुका और मुस्कराया-भर था, पर उसके इसी मौन में जैसे सारा ‘मीनू’ समाहित था।" (शेखर जोशी की कहानी "दाज्यू" से एक अंश) |
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3 श्रोताओं का कहना है :
वाह बहुत ही शानदार कहानी और भाव प्रभावी वचन भी
आपने यह जानकारी नही दी कि इस कहानी की वाचिका प्रीति सागर क्या महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की अध्यापिका प्रीति सागर ही हैं जिनके बारे में किसी अनाम व्यक्ति ने यह टिप्पणी पोस्ट की थी कि महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की अध्यापिका प्रीति सागर के विरुद्ध केंद्रीय सतर्कता आयोग के निर्देश पर महाराष्ट्र सरकार महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के किसी फ़र्ज़ी पहचानपत्र घोटाले में जाँच कर रही है ...आपने टिप्पणी भी हटा दी ..यदि आपको टिप्पणी हटानी ही है तो फिर आप श्रोताओं का कॉमेंट बॉक्स भी हटा दें....मैने अपनी टिप्पणी प्रीति सागर के बारे में गूगल पर सर्च कर के दी थी......कृपया वाचिका के बारे में तथ्य हमें उपलब्ध करवाएँ ...यह एक श्रोता के रूप में हमारा अधिकार है .....
मैने नेट पर पूरी सामग्री देखी .यह हिन्दी का दुर्भाग्य ही है कि इसमें धोखेबाज ,बेईमान और बेशर्म लोग भरे पड़े हैं . इन्ही लोगों के कारण आज हिन्दी अपने देश में ही पराई हो चुकी है . यह लोग हिन्दी की रोटी खा कर भी हिंदी की अस्मिता लूटने पर लगे हैं... आपको ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्वों से बचना चाहिए .....दुखद और शर्मनाक !!!!!
जी !! आवाज़ की इस कहानी की वाचिका वही प्रीति सागर हैं , जो महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की अध्यापिका हैं ...इन्होने महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के काल्पनिक कर्मचारी सुनीता के नाम से फ़र्ज़ी पहचानपत्र बनवा कर उसी पहचानपत्र पर रिलाइयेन्स का 8055290238 नं का सिम 2 जनवरी 2010 को लिया ..बाद में कुछ पत्रकारों के द्वारा मामले का भंडाफोड़ किए जाने पर 10 अगस्त 2010 को प्रीति सागर ने यह सिम अपनी असली आइ डी दे कर अपने नाम ट्रांसफर करवा लिया . रिलाइयेन्स के सर्किल ऑफिस में प्रीति सागर के असली और नकली दोनो पहचानपत्र और दोनो कस्ट्मर आप्लिकेशन फॉर्म मौज़ूद हैं . मामले में शिकायत होने के बाद भी विश्वविद्यालय ने शिकायत को फाइल करने का आदेश दे दिया ... बाद में केंद्रीय सतर्कता आयोग के आदेश पर राष्ट्रीय सुरक्षा के इस बेहद संवेदनशील मामले में महाराष्ट्र सरकार जाँच कर रही है उधर राष्ट्रपति भवन सचिवालय की सूचना के अनुसार राष्ट्रपति भवन ने भी प्रीति सागर के इस फ़र्ज़ी पहचानपत्र घोटाले और इसमें विश्वविद्यालय के कुलपति की भी जाँच का ज़िम्मा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी अमित खरे को सौंप दिया है..उधर प्रीति सागर के ही एक और मामले में केंद्रीय सूचना आयोग नें महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय , वर्धा के कुलपति के खिलाफ एक और मामला दर्ज़ कर लिया है और जल्दी ही केंद्रीय सूचना आयोग इस मामले में भी सुनवाई करने जा रहा है.....संभव है की जल्दी ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी उठे और वहाँ से इस मामले की जाँच सुप्रीम कोर्ट की देख रेख में का निर्देश लेने का प्रयास लिया जाए ...
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