ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 742/2011/182
भारतीय संगीत के दस थाटों की परिचय श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की दूसरी कड़ी में आपका स्वागत है। इस श्रृंखला में हम आपको भारतीय संगीत के दस थाटों का परिचय करा रहे हैं। क्रमानुसार सात स्वरों के समूह को थाट कहते हैं। सात शुद्ध स्वरों, चार कोमल और एक तीव्र स्वरों अर्थात कुल बारह स्वरों में से कोई सात स्वर एक थाट में प्रयोग किये जाते हैं। संगीत के प्राचीन ग्रन्थ ‘अभिनव राग मंजरी’ के अनुसार थाट उस स्वर समूह को कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न हो सके। नाद से स्वर, स्वर से सप्तक और सप्तक से थाट बनता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्यति में थाट को मेल नाम से सम्बोधित किया जाता है। उत्तर भारतीय संगीत में पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे की दस थाट विभाजन व्यवस्था का प्रचलन है।
इस श्रृंखला की पहली कड़ी में हमने आपको ‘कल्याण’ थाट का परिचय दिया था। आज दूसरा थाट है- ‘बिलावल’। इस थाट में प्रयोग होने वाले स्वर हैं- सा, रे, ग, म, प, ध, नि अर्थात सभी शुद्ध स्वर का प्रयोग होता है। पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे कृत ‘क्रमिक पुस्तक मालिका’ (भाग-1) के अनुसार ‘बिलावल’ थाट का आश्रय राग ‘बिलावल’ ही है। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले अन्य प्रमुख राग हैं- अल्हइया बिलावल, बिहाग, देशकार, हेमकल्याण, दुर्गा, शंकरा, पहाड़ी, माँड़ आदि। राग ‘बिलावल’ में सभी सात शुद्ध स्वरों का प्रयोग होता है। वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर गांधार होता है। इस राग के गायन-वादन का समय प्रातःकाल का प्रथम प्रहर होता है।
अब हम आपको राग ‘बिलावल’ पर आधारित एक गीत सुनवाते हैं, जिसे हमने फिल्म ‘कैदी नम्बर ९११’ से लिया है। १९५९ में प्रदर्शित इस फिल्म के संगीतकार दत्ताराम ने राग 'बिलावल' पर आधारित गीत ‘मीठी मीठी बातों से बचना ज़रा...’ को लता मंगेशकर से गवाया था। फिल्म संगीत की दुनिया में दत्ताराम, संगीतकार शंकर-जयकिशन के सहायक के रूप में जाने जाते हैं। स्वतंत्र संगीतकार के रूप में दत्ताराम की पहली फिल्म १९५७ की ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ थी। दत्ताराम के संगीत निर्देशन में सर्वाधिक लोकप्रिय गीत, फिल्म 'परिवरिश' का -'आँसू भरी है ये जीवन की राहें...' ही है, किन्तु फिल्म ‘कैदी नम्बर ९११’ का गीत 'मीठी मीठी बातों से बचना ज़रा...' भी मधुरता और लोकप्रियता में कम नहीं है। हसरत जयपुरी के लिखे इस गीत में लता मंगेशकर और फिल्म की बाल कलाकार डेज़ी ईरानी ने स्वर दिया है। लीजिए, आप भी सुनिए- राग ‘बिलावल’ पर आधारित यह मधुर गीत-
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
इन तीन सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. नायिका के रूप यौवन की तारीफ में नायक मिसालें पेश कर रहा है.
२. राग खमाज पर आधारित है ये गीत.
३. एक अंतरे में शब्द है - "गर्दन"
अब बताएं -
इस गीत के गीतकार - ३ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
फिल्म की नायिका कौन है - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
बहुत अच्छे शरद जी, कहाँ रहे इतने दिन ?
खोज व आलेख- कृष्ण मोहन मिश्र
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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10 श्रोताओं का कहना है :
MAJROOH SULTANPURI
राग रागिनियों का ज्ञान नही है मुझे रत्ती भर भी इसलिए....... सर जी! पेपर बहुत कठीन है.आप पेपर केवल जीनियस बच्चो के लिए क्यों सिलेक्ट करते हैं अमित जी सर जैसो के लिए?
कुछ और क्लू दीजिए रागों से हट कर.
नही तो समझिए ये बच्चा तो फ़ैल ...पक्का.
चलिए एक तुक्का मरते हैं 'अब क्या मिसाल दु मैं तुम्हारे शबाब की,इंसान बन गई है किरण आफ़ताब/महताब जो पसंद हो वो पढ़ ले' हा हा हा
अरे अपनी मीना जी ने इस फिल्म मे काम करके मेरा नाम रोशन किया था...खुद का तो किया ही था हा हा हा
Indu Didi, aapne to bache hue dono jawab de die. koi baat nahi mai dusra jawab mai de deti hun. shayad ise maan liya jaye?
sangeetkar - roshan
इंदू जी काहे के जीनियस. लग गया तो तीर वर्ना तुक्का. वैसे आप से भला कोई टक्कर ले सकता है क्या?
क्षिती जी भला किसी की मज़ाल कि आपके उत्तर को नकार दे. अरे आप सब लोगों से तो रौनक है.
कृष्ण मोहन जी माफी चाहता हूँ पर आज आपकी तरफ से मैंने कह दिया. वैसे आप भी तो यही कहते ना?
तीनों उत्तर देने वालों - अमित जी, इंदु बहिन व क्षिति जी को बधाई.
इंदु बहिन् के स्टाइल में - रफ़ी साहेब की आवाज़ तो 'आरती' उतारने लायक है.
और दादामोनी अशोक कुमार का अभिनय हमेशा की तरह लाजवाब.
अवध लाल
बहुत अच्छी चल रही है शृंखला-.
अमित जी, आप मेरी ओर से कोई भी टिप्पणी करने के लिए पूर्णतः अधिकृत हैं। आप मेरे लिए सदा सुलभ हैं। कल आपने कुछ मित्रों की अनुपस्थिति पर चिन्ता व्यक्त की थी, आपकी भावनाओं को समझते हुए मैंने फोन से अवध जी तक आपका संदेश पहुंचाया और देखिए आज अवध जी उपस्थित हैं। अवध जी, लखनऊ से बाहर होते हुए भी आपने अपनी टिप्पणी दी, बहुत-बहुत आभार।
कृष्ण मोहन जी बहुत बहुत धन्यवाद. देखिये न आज वही पुराना माहौल नजर आ रहा है.
सभी लोगों को बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद
अरे हाँ अवध जी बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने समय निकाला
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