'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में उभरते लेखक अभिषेक ओझा की कहानी "घूस दे दूँ क्या?" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई का व्यंग्य "ढपोलशंख मास्टर हो गए", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।
कहानी का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 58 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
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#153rd Story, Gate: Harishankar Parsai/Hindi Audio Book/2011/34. Voice: Anurag Sharma
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मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है। । ~ हरिशंकर परसाई (1922-1995) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी तुलसीदास की पत्नी रत्नावली कौन-कौन से आभूषण पहनती थी? (हरिशंकर परसाई की "ढपोलशंख मास्टर हो गए" से एक अंश) |
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शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।



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2 श्रोताओं का कहना है :
मस्त है।
शर्मा जी..अपनी कहानी भी सुनाइये न...अनुरागी मन।
धन्यवाद देवेन्द्र जी। "अनुरागी मन" कुछ लम्बी है इसलिये झिझक रहा हूँ।
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