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रस के भरे तोरे नैन....हिंदी फ़िल्मी गीतों में ठुमरी परंपरा पर आधारित इस शृंखला को देते हैं विराम इस गीत के साथ - Sajeev

"सैयाँ रूठ गए, मैं मनाती रही..." रूठने और मनाने के बीच विरहिणी नायिका का अन्तर्द्वन्द्व - Sajeev

कान्हा मैं तोसे हारी...कृष्णलीला से जुड़ी श्रृंगारपूर्ण ठुमरी - Sajeev

"बैयाँ ना धरो.." श्रृंगार का ऐसा रूप जिसमें बाँह पकड़ने की मनाही भी है और आग्रह भी - Sajeev

जा मैं तोसे नाहीं बोलूँ....मान-मनुहार की ठुमरी का मोहक अन्दाज़ - Sajeev

चाहे तो मोरा जिया लईले....राग पीलू में निखरता श्रृंगार का एक और रूप - Sajeev

हम देखेंगे... लाज़िम है कि हम भी देखेंगे... - नियंत्रक । Admin

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