Monday, June 29, 2009

बेकरार दिल तू गाये जा खुशियों से भरे वो तराने... जो बजते हैं ओल्ड इस गोल्ड की शान बनकर



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 126

किशोर कुमार द्वारा निर्मित, निर्देशित, अभिनीत और संगीत बद्ध किये हुए गिने चुने फ़िल्मों का ज़िक्र हो रहा हो, तो उसमें एक महत्वपूर्ण नाम आता है फ़िल्म 'दूर का राही' का। १९७१ में बनी इस फ़िल्म मे किशोर दा के साथ साथ अभिनय किया था उनके बेटे अमित कुमार और बड़े भाई अशोक कुमार ने, नायिका बनीं तनुजा। वाणिज्यिक दृष्टि से फ़िल्म को उतनी सफलता नहीं मिली जितनी उम्मीद की गयी थी, लेकिन किशोर दा ने इस फ़िल्म में कुछ ऐसा संगीत दिया कि इसके गानें आज भी दिल को सुकून प्रदान कर जाते हैं। जीवन दर्शन के विचारों से ओत-प्रोत इस फ़िल्म के गीत आज भी सुननेवाले के मन में एक सकारात्मक सोच पैदा करती है। चाहे वह हेमन्त कुमार का गाया "फिर भी चला जाये दूर का राही" हो, या किशोर दा की ही आवाज़ में "जीवन से ना हार ओ जीनेवाले", या फिर सुलक्षणा पंडित और किशोर दा की युगल स्वरों में इस फ़िल्म का सब से प्यारा गीत "बेक़रार दिल तू गाये जा ख़ुशियों से भरे वो तरानें"। जी हाँ, आज यही गीत गूंज रहा है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल में। यूँ तो इस फ़िल्म में शैलेन्द्र ने भी गानें लिखे थे, लेकिन प्रस्तुत गीत ए. इरशाद का लिखा हुआ है, जो फ़िल्म जगत के एक बहुत ही कमचर्चित गीतकार रहे हैं।

सुलक्षणा पंडित, जिन्होने किशोर कुमार के साथ बहुत सारे स्टेज शोज़ किये हैं, जब उनसे इस कालजयी गीत के बारे में पूछा गया, तो उन्होने उन स्वर्णिम दिनों को याद करते हुए कहा (सौजन्य: विविध भारती) - "उस गाने में किशोर दा ने मुझे बहुत चिढ़ाया था। उन्होने कहा 'नहीं, तुम "बेक़रारे" बोलोगी'; मैने बोला 'मैं "बक़रार" बोलूंगी', उन्होने फिर कहा कि 'नहीं, तुम "बेक़रारे" बोलोगी'; तो मैं बोली 'मैं "बक़रार" ही बोलूंगी'। ऐसा करते करते हम स्टुडियो पहुँचे, फ़िल्म-सेंटर, वहाँ पर रेखा भी थीं, योगिता बाली भी थीं। तो रिकॉर्डिंग के वक़्त, किशोर दा तो किशोर दा थे, बोले, 'इस लड़की को हटाओ यहाँ से, नहीं तो परदा लगा दो, बहुत देखती है मुझे'। तो इस तरह से "बेक़रार दिल" हमने गाया। "बेक़रार दिल" सिर्फ़ दो बार गाया गया। तो किशोर दा की माँगें कि 'ये लगा दो, परदा लगा दो, लड़कियों को भगा दो', और मैं भी खड़ी हुई, मैं कुछ बोलूँगी तो, पर काफ़ी देर तक जब ऐसा होने लगा तो मैने बोला 'देखिये, आप इतना क्यों कर रहे हैं, हम लोग तो ऐसे नहीं।' फिर हमने गाना गाया उनके साथ, और किशोर कुमार तो धनी हैं हर चीज़ के, संगीतकार वो हैं, अभिनेता वो हैं, लेखक वो हैं, फ़िल्मकार वो हैं, क्या नहीं हैं वो, हर चीज़ से भरपूर, सराफ़ा एक कलाकार नज़र आता है उनमें। उमर में वो मेरे पंडित जसराज जी जैसे ही थे लेकिन अंदर से बच्चे, और बातें करना अपने पत्तों से, अपने बग़ीचे से, रोज़ अपना घर बदलना, बिगाड़ना, कभी झोपड़ी बना देते थे, इतना सा, समय ज़रा भी नहीं लेते थे वो।" तो दोस्तों, ये थे गायिका सुलक्षणा पंडित के विचार हमारे किशोर दा के बारे में। गीत सुनने से पहले आप को यह भी बता दें कि इस गीत के दो वर्ज़न हैं, जिनमें से एक आज हम आप को यहाँ सुनवा रहे हैं, सुनिये।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें २ अंक और २५ सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के ५ गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा पहला "गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

१. इस गीत के संगीतकार हैं - बाबुल.
२. मनोज कुमार हैं इस फिल्म में नायक.
३. सब तरफ मानसून की चर्चा हो रही है, इस युगल गीत में भी घटा और सावन का जिक्र है मुखड़े में.

कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
शरद जी आपका तो जवाब नहीं पर आपका जवाब हमेशा ही सही होता है :) ३० अंकों के लिए बधाई. मंजूषा जी कभी अपनी आवाज़ में भी सुनवाईये ये गीत. संगीता जी गीत आपका पसंद आया यही बहुत है. सुमित जी जल्दी ही आपके लिए मुकेश साहब पर एक पूरी शृंखला ही लेकर आ जायेंगें, खुश ? :), पराग जी "नन्ही कली सोने चली..." वाह क्या गीत याद दिलाया आपने. मंजू जी, शमिख जी आभार आप सब का भी.

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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15 श्रोताओं का कहना है :

स्वप्न मञ्जूषा का कहना है कि -
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स्वप्न मञ्जूषा का कहना है कि -
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स्वप्न मञ्जूषा का कहना है कि -

Zulfon Ki Ghata Lekar
film :reshmi rumal

Shamikh Faraz का कहना है कि -

मुक्झे भी यही जवाब सही लग रहा है .
हटा सावन की घटा
फिल्म सावन की घटा

स्वप्न मञ्जूषा का कहना है कि -

zulfon ki ghata
lekar saavan ki pari aayi
zulfon ki ghata lekar

Asha Bhosle aur Manna De
Film : reshmi rumaal

शरद तैलंग का कहना है कि -

आज तो कमाल हो गया । 6.29 पर ही कम्प्यूटर महराज रूठ गए । पहेली भी नहीं देख पाया । अब जब वे मान गए तो अदा जी का उत्तर आ ही गया है
मन्ना डे तथा आशा भोसले का युगल गीत :
जुल्फ़ों की घटा ले कर सावन की परी आई

स्वप्न मञ्जूषा का कहना है कि -

mere camputer ko bhi kuch bimari ho gayi thi, main bahut der se aayi aur mujhe poora yakeen tha ki main sabe late hun, lekin kamal ye hua ki koi bhi nahi aaya tha, maine jaldi jaldi jawab dena shuru kiya mera pahla jawab hi sahi tha lekin pata nahi kyun mujhe laga galat hai usko delete kiya doosra jawab diya fir laga nahi pahla hi thek hai fir delete kiya hai wapas pahle par aagayi

manu का कहना है कि -

जी,,,हम भी पहुंचे,,,
बरसेगी तेरे दिल पर हंस हंस के जो लहराई,,,,
मस्त गाना है,,
छोडूं न तेरा दामन मैं हूँ तेरा सौदाई,,,

Unknown का कहना है कि -

धन्यवाद सुजॉय जी,
मुकेश जी की श्रृखला का इंतजार रहेगा

Unknown का कहना है कि -

काफी समय बाद net स्पीड मे चल रहा है, आज की पहेली का जवाब तो हमे पता नही, अगली पहेली का इंतजार रहेगा

निर्मला कपिला का कहना है कि -

paheli boojhana to aataa nahin magar geet sundar hai aabhaar

निर्मला कपिला का कहना है कि -

paheli boojhana to aataa nahin magar geet sundar hai aabhaar

Parag का कहना है कि -

स्वप्न मंजूषा जी को बहुत बधाईयाँ. आज की पहेली का जवाब मुश्कील था, सुजॉय जी आप भी कहाँ कहाँ से नायब गाने ढूंढ कर लाते हैं.
आप और सजीव जी की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. पुराने गीतोंके प्रेमियोंके लिए बहुत अच्छा मंच आपने दिया है.

आभारी
पराग

शरद तैलंग का कहना है कि -

कोटा में हमारी संस्था प्रति वर्ष बरसात के गीतों पर आधारित एक कार्यक्रम ’मेघा रे मेघा’ करती है फिर मन्ना दा के गीतों को पिछले अनेक वर्षो से मंच पर प्रस्तुत करने के कारण ये पहेली मेरे लिए ज्यादा आसान थी । लगता है सभी के कम्प्यूटरों में कोई फ़िल्मी वायरस घुस गया है । अदा जी को अंकों के मामले में मेरे नज़दीक आने पर बधाई !

Manju Gupta का कहना है कि -

Ada ji jawab sahi haiaur mein bhi yahi kahti hu.

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