Saturday, June 27, 2009

सुनो कहानी: पहेली - उपेन्द्रनाथ "अश्क"



उपेन्द्रनाथ अश्क की "पहेली"

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में मुंशी प्रेमचन्द की कहानी "इस्तीफा" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार उपेन्द्रनाथ अश्क की कहानी "पहेली", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।

कहानी का कुल प्रसारण समय 24 मिनट 09 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।

उपेन्द्रनाथ 'अश्क' ने मुंशी प्रेमचंद की सलाह पर हिन्दी में लिखना आरम्भ किया। १९३३ में प्रकाशित उनके दुसरे कहानी संग्रह 'औरत की फितरत' की भूमिका मुंशी प्रेमचन्द ने ही लिखी थी। अश्क जी को १९७२ में 'सोवियत लैन्ड नेहरू पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी

उर्मिला, उसकी पत्नी, अनुपम सुन्दरी थी, कल्पना से बनी हुई सुन्दर प्रतिमा सी. मीठे मादक स्वर के रूप में विधि ने उसे जादू दे डाला था।
(उपेन्द्रनाथ "अश्क" की "पहेली" से एक अंश)


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#Twenty-seventh Story, Isteefa: Munshi Premchand/Hindi Audio Book/2009/22. Voice: Anurag Sharma

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7 श्रोताओं का कहना है :

neeti sagar का कहना है कि -

बहुत अच्छी लगी कहानी ,,,,अनुराग जी की आवाज़ में कही कहानी ..दिल की गहराई तक छू गई,,(स्त्री को शायद कोई समझ नहीं पाया वो आज भी एक पहेली की तरह ही है) एक अच्छी कहानी सुनवाने के लिए धन्यवाद!

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

यह कहानी मुझे बेहद पसंद आई। पूरी कहानी में अंत तक बँधा हुआ था और अंत में चौंका भी और दुःखी भी हुआ।

Shamikh Faraz का कहना है कि -

कहानी बहुत अच्छी है. क्लिमेक्स अच्छा लगा.

neelam का कहना है कि -

kahaani sun nahi paaye hain ,sab taareef kar rahen hain to sunne ki utkantha aur bhi badh rahi hai ,shaayad agle saptaah hi sunna sambhav ho paayega .

Sajeev का कहना है कि -

बहुत ही मार्मिक कहानी है, और अनुराग जी को अब महारत हो गयी है इन्हें सुनाने में...

Manju Gupta का कहना है कि -

Anurag ji ki aavaj kahani sunne ko
aakarsit karti ha.,Kabhi socha bhi nahi tha ki Hindi Sahityakaron ki
kahaniya is tarah sunne ko milegi.

अजित गुप्ता का कोना का कहना है कि -

कहानी तो अपने युग में जी रही थी लेकिन अनुराग जी की आवाज में हम आज आनन्‍द ले रहे थे। शायद इस कहानी को पढ़ते तो इतना आनन्‍द नहीं आता जितना एक सधी हुई आवाज से सुनने में आया। बहुत ही सुंदर प्रस्‍तुति।

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