Sunday, July 12, 2009

वो देखो जला घर किसी का....लता- मदन मोहन टीम का एक बेहतरीन गीत



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 139

'मदन मोहन विशेष' की पाँचवीं कड़ी के साथ हम हाज़िर हैं दोस्तों। मदन मोहन ने गीतकार राजा मेहंदी अली ख़ान के लिखे अनेक गीतों को संगीतबद्ध किया था। फ़िल्म 'अनपढ़' के एक गीत के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसकी धुन मदन मोहन ने अपने घर से 'रिकॉर्डिंग स्टुडियो' जाते वक़्त टैक्सी में बैठे बैठे केवल १० मिनट में बना लिया था। वह मन को छू लेनेवाली अमर रचना लता मंगेशकर की आवाज़ में थी "आप की नज़रों ने समझा प्यार के क़ाबिल मुझे"। इसी फ़िल्म में लता जी का गाया "जिया ले गयो जी मोरा साँवरिया" और "है इसी में प्यार की आबरू" गीत बहुत ज़्यादा मशहूर हुए थे। इनकी तुलना में लता जी का ही गाया एक ऐसा गीत भी था जो थोड़ा सा कम सुना गया, या फिर यूं कहिए कि जिसकी चर्चा कम हुई। वह गीत है "वह देखो जला घर किसी का, ये टूटे हैं किसके सितारे, वो क़िस्मत हँसीं और ऐसी हँसीं के रोने लगे ग़म के मारे"। अक्सर ऐसा देखा गया है फ़िल्मों में कि फ़िल्म के चंद मशहूर गीतों की चमक धमक से कुछ दूसरे गीत इस क़दर खो जाते हैं कि उनकी उत्कृष्टता लोगों तक सही अर्थों में पहुँच नहीं पाती। 'अनपढ़' फ़िल्म का प्रस्तुत गीत भी ऐसा ही एक गीत है।

फ़िल्म 'अनपढ़' आयी थी सन् १९६२ में। राजेन्द्र भाटिया निर्मित और मोहन कुमार निर्देशित इस फ़िल्म क्र मुख्य पात्रों में थे माला सिंहा, बलराज साहनी और धर्मेन्द्र। प्रस्तुत गीत संगीत संयोजन की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा। बहुत सारे साज़ों के सम्मीश्रण से और्केस्ट्रेशन तैयार किया गया था। ४.५० मिनट के इस गीत का प्रील्युड संगीत ही करीब ५० सेकन्ड्स का है। इंटर्ल्युड संगीत में भारी भरकम और्केस्ट्रेशन का प्रयोग हुआ है। लेकिन मुखड़े और अंतरों के संगेत संयोजन को बहुत ही सीधा सरल रखा गया है। गीत के बोलों के साथ इंटर्ल्युड संगीत का जो कॊन्ट्रस्ट है, वह कुल मिलाकर इस गीत को और भी ज़्यादा मज़बूत बनाती है। राजा मेहंदी अली ख़ान के लिखे प्रस्तुत गीत में टूटे क़िस्मत के टूकड़ों का ज़िक्र है। "गया जैसे झोंका हवा का हमारी ख़ुशी का ज़माना, दिये हमको क़िस्मत ने आँसू जब आया हमें मुकुराना"। एक अन्य अंतरे में ख़ान साहब लिखते हैं कि "इधर रो रही हैं ये आँखें, उधर आसमाँ रो रहा है, मुझे करके बरबाद ज़ालिम, पशेमान अब हो रहा है, ये बरखा कभी तो रुक जायेगी, रूकेगी ना आँसू हमारे"; बरसात की धाराओं के साथ आँखों से बहती धारा की तुलना बेहद ख़ूबसूरत बन पड़ी है इस बात से कि बरसात तो रुक भी जायेगी लेकिन वो बरसात कैसे रुके जो आँखों से बरस रही है! सुनते हैं लता मंगेशकर और मदन मोहन के जोड़ी का एक और नायाब गीत 'मदन मोहन विशेष' के अंतर्गत।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा पहला "गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

1. मदन मोहन के संगीत को ही सलाम करता है ये गीत.
2. जवाहर लाल नेहरु की स्मृति में लिखा और गाया गया है ये गीत.
3. आपके इस प्रिय जालस्थल का नाम है इस गीत के मुखड़े में.

पिछली पहेली का परिणाम -
पराग जी एक बार फिर माफ़ी, फिर एक बार वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था....पहेली के सूत्रों के मुताबिक वो गीत भी सही है जो आपने बताया, पर हमने जो चुना वो गीत तो अब आप जान ही चुके हैं....अन्तः सबसे निवेदन है कि इस स्तिथि में कल की पहेली को निरस्त माना जाए.....सभी का धन्येवाद...

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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8 श्रोताओं का कहना है :

शरद तैलंग का कहना है कि -

meri aavaaza suno pyar ka rag suno

शरद तैलंग का कहना है कि -

Singer : Rafi Film : Nounihal

शरद तैलंग का कहना है कि -

क्यूं सजाई है ये चंदन की चिता मेरे लिए
मैं कोई जिस्म नहीं हूं कि जला दोगे मुझे
राख के साथ बिखर जाऊंगा मैं दुनिया में
तुम जहाँ खाओगे ठोकर वहीं पाओगे मुझे
सो के भी जागते ही रहते हैं जांबाज़ सुनो ।

निर्मला कपिला का कहना है कि -

िस नायाब गीत के लिये धन्यवाद अगर आह फिल्म का गीत आ जा रे अब मेरा दिल पुकारा रो रो के गम भि हारा बदनाम ना हो प्यार मेरा---- ये रज कपूर कि फिल्म है --सुना सकें तो कृपा होगी

Shamikh Faraz का कहना है कि -

शरद जी जवाब नहीं आपका. मुबारकबाद.

Parag का कहना है कि -

शरद जी को आज की पहेली के सही जवाब के लिए मुबारक बात.

सुजॉय जी, पिछली पहेली का मेरा जवाब गलत ही था. "लाजवाब संगीत" और "दर्द भरा गीत" दोनों भी आपके दिए गीत को ज्यादा सुयोग्य है, नीला आकाश के गीत के लिए नही.
खैर कोई बात नहीं.

आभारी
पराग

manu का कहना है कि -

aasan sawaal...
dard vharaa geet...

Manju Gupta का कहना है कि -

सदाबहार शरद जी को बधाई

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