Saturday, April 17, 2010

आज पिया तोहे प्यार दूं....पॉडकास्टर गिरीश बिल्लोरे की यादों को सहला जाता है ये गीत



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 407/2010/107

संदीदा गीतों की इस शृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज हमने एक ऐसे शख़्स का फ़रमाइशी गीत चुना है जो ख़ुद एक कवि हैं, एक मशहूर ब्लॊगर हैं, पॊडकास्ट के क्षेत्र में इनका एक मशहूर ब्लॊग है। इस शख़्स को उभरते गायक आभास जोशी के मार्गदर्शक और गुरु कहा जा सकता है, जिन्होने आभास की पहली ऐल्बम के लिए गीत लिखे हैं। जी हाँ, इस शख़्स का नाम है गिरिश बिल्लोरे। गिरिश जी की पसंद के गीत के बारे में उन्हे के शब्द प्रस्तुत है - "आजा पिया तोहे प्यार दूँ", जो मेरी उस मित्र ने गाया था जिसे पहला प्यार कहा जा सकता है। उस दौर मे सामाजिक अनुशासन के चलते बस मैं खुद प्यार का इज़हार न कर सका। जानते हैं उसने मुझे दिल की बात बेबाक कह देने की नसीहत दी थी। आज वो अपने परिवार मे खुश है। अब बस वो रोमान्टिक एहसास है मेरे पास और अपना प्रतिबंधों के सामने घुटने टेक देने का अहसास।" गिरिश जी, आपके जीवन इन बातों को जानकर हमें अफ़सोस हुआ। हम आपको बस यही मानने की सलाह देंगे कि "तेरा हिज्र ही मेरा नसीब है, तेरा ग़म ही मेरी हयात है, मुझे तेरी दूरी का ग़म हो क्यों, तू कहीं भी हो मेरे साथ है"। आज आपकी पसंद पर हम सुनवा रहे हैं १९६७ की फ़िल्म 'बहारों के सपनें' से आशा पारेख पर फिल्माया हुआ लता मंगेशकर का गाया "आजा पिया तोहे प्यार दूँ"। मजरूह सुल्तानपुरी के बोल और राहुल देव बर्मन का संगीत। पंचम पर केन्द्रित शुंखला के अन्तर्गत हमने इस फ़िल्म से "चुनरी संभाल गोरी" गीत आपको सुनवाया था और फ़िल्म की तमाम जानकारी भी दी थी।

क्योंकि प्रस्तुत गीत के साथ लता, पंचम और मजरूह साहब की तिकड़ी जुड़ी हुई है, इसलिए हमने सोचा कि क्यों ना मजरूह साहब द्वारा प्रस्तुत उस 'जयमाला' कार्यक्रम के कुछ अंश यहाँ पेश किए जाएँ, जिसमें उन्होने ना केवल लता जी और पंचम के बारे में कहे थे बल्कि दो गानें बैक टू बैक सुनवाए थे जो लता के गाए, पंचम के स्वरबद्ध किए हुए और ख़ुद के लिखे हुए थे। ये हैं वो अंश - "तो मेरे सिपाहियों, अब एक ख़ुशख़बरी भी सुन लीजिए जिसे मैंने, आर. डी. बर्मन ने और लता ने मिलकर आप के सामने पेश किया है। फ़िल्म है 'सवेरेवाली गाड़ी'।" यहाँ पर "दिन प्यार के आएँगे सजनिया" बजाया जाता है। गीत ख़त्म होते ही मजरूह साहब कहते हैं - "तो मेरे अज़ीज़ फ़ौजी भाइयों, लता जी की इस आवाज़ के बाद, वैसे तो सभी को आप ने अपने दिलों में बसाया है, यह मेरी ज़ाती पसंद है, बुरा मानने की कोई बात नहीं, लेकिन लता जी की आवाज़ सुनने के बाद जी नहीं चाहता कि कोई दूसरी आवाज़ आए। यह आवाज़ सदियों में पैदा होती है। तो 'बहारों के सपनें' फ़िल्म का एक गाना पेश है जिसे लिखा मैंने और संगीत आर. डी. बर्मन का है। देखिए, कैसा लगता है!" तो आइए सुना जाए गिरिश बिल्लोरे की पसंद पर यह गीत जो याद उन्हे दिलाती है अपने पहले प्यार की, उन मीठी यादों की।



क्या आप जानते हैं...
कि मजरूह सुल्तानपुरी को दादा साहब फाल्के पुरस्कार सन् १९९४ में मिला था।

चलिए अब बूझिये ये पहेली, और हमें बताईये कि कौन सा है ओल्ड इस गोल्ड का अगला गीत. हम आपसे पूछेंगें ४ सवाल जिनमें कहीं कुछ ऐसे सूत्र भी होंगें जिनसे आप उस गीत तक पहुँच सकते हैं. हर सही जवाब के आपको कितने अंक मिलेंगें तो सवाल के आगे लिखा होगा. मगर याद रखिये एक व्यक्ति केवल एक ही सवाल का जवाब दे सकता है, यदि आपने एक से अधिक जवाब दिए तो आपको कोई अंक नहीं मिलेगा. तो लीजिए ये रहे आज के सवाल-

1. फिल्म के नाम में एक ही शब्द का दो बार इस्तेमाल हुआ है, गीत बताएं -३ अंक.
2. शंकर जयकिशन का संगीतबद्ध ये गीत किसकी कलम से निकला है- २ अंक.
3. बप्पी सोनी के निर्देशन में बनी इस फिल्म के प्रमुख कलाकार कौन कौन थे-२ अंक.
4. फिल्म का नाम बताएं -२ अंक.

विशेष सूचना -'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के बारे में आप अपने विचार, अपने सुझाव, अपनी फ़रमाइशें, अपनी शिकायतें, टिप्पणी के अलावा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के नए ई-मेल पते oig@hindyugm.com पर ज़रूर लिख भेजें।

पिछली पहेली का परिणाम-
सभी धुरंधर इन दिनों बेहद सावधानी से जवाब दे रहे हैं.....बधाई

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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13 श्रोताओं का कहना है :

बाल भवन जबलपुर का कहना है कि -

शुक्रिया सजीव जी
आज आपने मुझे रिणी बना दिया
आभार हिंद युग्म
आभार आवाज़

Anonymous का कहना है कि -

chlte chlte

Anonymous का कहना है कि -

arre ye bappy sony aur bappy lahiri ne hme kanfuyuja di ttha .hmara answer galat hai, bhaiya so hm to maidan chhodkr yeeeeee bhaageeeeeeeeeeee
ha ha ha

रोमेंद्र सागर का कहना है कि -

शायद आप रफ़ी साब के गाये इस गीत के बात कर रहे हैं ..." देखा है तेरी आँखों में ..प्यार ही प्यार बेशुमार ..." ! क्यों सही या नहीं ??
( बाकी फिल्म का नाम तो बिन बताये ही सामने आ रहा है ..क्या करूँ )

शरद तैलंग का कहना है कि -

आप किस गीत के बारे में पूछ रहे है
देखा है तेरी आँखॊं में या मैं कहीं कवि न बन जाऊँ , प्रश्नों में गीत के बारे में ज़्यादा हिन्ट नहीं हैं

Anonymous का कहना है कि -

अरे अपने हेंडसम हीरो धर्मेन्द्र और प्यारी सी वैजयंतीमाला,खतरनाक -तबतक तो थे बाबा ,बहुत डरते थे हम- प्राण,हेलेन,मदन पुरी और महमूद
एक से एक धुरंधर कलाकार थे .पर इसके गाने?? ओल्ड इज़ गोल्ड ??????
ओल्ड हैं इसलिए गोल्ड माने तो बात और है,अन्यथा..???????
एक भी गाना गोल्ड कहलाने लायक नही था इस् फिल्म में. सच्ची कहती हूँ.लगता है पिटोगे दोनों.इतना अत्याचार भी न करो हम पर दोनों मिल कर. अब हम दूसरों की तरह हाँ में हाँ मिलाने वालों में तो हैं नही. जो उचित नही लगेगा उसे कहेंगे.व्यक्तिगत पसंद अलग बात होती है.
'प्यार मे दिल पर मार दी गोली ,ले ले मेरी जान' जैसे गानेपुराने हो गए हैं और कई लोगों को पसंद भी होगा पर इसे आप ओल्ड-गोल्ड कि श्रेणी मे तो नही ले सकते न?
हर्ट किया हो तो माफ कर दीजियेगा.

Alpana Verma का कहना है कि -

फिल्म का नाम-प्यार ही प्यार
[१९६९ में निर्मित ]

Anonymous का कहना है कि -

मैदान छोड़ कर भागी जरूर पर वापस आ गई थी, देखा नही फिल्म के नायक नायिका ही नही सभी कलाकारों के नाम दी रखे हैं मैंने ?
मेरे नम्बर जोड़ देना चुपचाप

विश्व दीपक का कहना है कि -

इंदु जी,
मुझे आपके इतनी फ़िल्मों और फिल्मी गानों की जानकारी नहीं ,लेकिन मुझे इतना पता है कि यह गाना (मैं कहीं कवि न बन जाऊँ) किसी भी मामले में गोल्ड से कम नहीं है। यह आपकी व्यक्तिगत राय हो सकती है कि धर्मेन्द्र पर फिल्माए गए गाने ओल्ड न माने जाएँ, लेकिन कोई महफ़िल एक व्यक्ति के राय से तो नहीं चलती ना।

मुझे इसलिए जवाब देना पर रहा है क्योंकि यह गाना मेरी पसंद है, नहीं तो मैं ओल्ड इज गोल्ड पर टिप्पणियों से दूर हीं रहता हूँ।

वैसे गानों को खारिज करने से पहले कारण भी बता दिया करें। (क्योंकि आपने जो कारण बताया है.... प्यार में दिल पे मार के गोली ले ले मेरी जां.... यह पंक्ति इस गाने का हिस्सा नहीं)

मेरी बात बुरी लगे तो माफ़ कर दीजिएगा... लेकिन हाँ जवाब जरूर दीजिएगा क्योंकि मुझे जवाब जानने का हक़ है।

धन्यवाद,
विश्व दीपक

Anonymous का कहना है कि -

अरे विश्व दीपकजी ,आप तो दीपक उस पर विश्व के,अब इतनी सी बात पर इतनी नाराजगी? माफ कर दीजिए.
मैंने ये कहीं नही कहा कि धर्मेन्द्र जी के गाने 'ओल्ड' या 'गोल्ड' नही माने जाये .आपको शायद ये जान कर आश्चर्य होगा कि हिंदी फिल्म्स के सदाबहार गीतों में सबसे ज्यादा प्यारे,सदाबहार,मधुर गीत भारत भूषण,प्रदीप कुमार,अशोक कुमार और धर्मेन्द्रजी की फिल्म्स के हैं.
आकाशदीप,हकीकत,दुल्हन एक रात की,दिल ने फिर याद किया,देवर,बंदिनी,ख़ामोशी,अनुपमा ऐसी अनगिनत फिल्म्स हैं,जिनके गाने धर्मेन्द्र या उनकी नायिका पर फिल्माए गए थे.सवाल व्यक्तिगत राय का हो सकता है,मैं इस बात से मना नही करती किन्तु 'प्यार ही प्यार के गाने किस कसौटी पर रख कर 'गोल्ड' माने गए,इसका जवाब सुजॉय और सजीव बेहतर दे सकते हैं.मैं आपको 'हर्ट' नही करना चाहती ,ये गाना बुरा नही किन्तु 'गोल्ड' ?????
कम से कम इस ब्लॉग पर ९०% गाने सचमुच 'गोल्ड' ही थे.संगीत की कोई तकनीकी जानकारी मुझे नही,पर सुन कर उसकी गहराई और स्तर को उसी तरह जान लेती हूँ जिस तरह हम अच्छे कुक भले न हो पर खाना अच्छा बना है बुरा जान ही लेते है न खा कर ? अब नाराजगी छोडिये बाबा,इंदु पुरी थान खुशियाँ बांटने आती है. हंसने और हंसाने.किसी का दिल दुखाने थोड़े ही,माफ कर दीजिए हमें.
कर रहे हैं या नही?
क्या कहा 'नही'?
तो अपन तो ये भागेSSSSSSSSSS

sorry sorry

manu का कहना है कि -

ji,

ab kitnaa old hai...aur kitnaa gold..



is baat kaa ek dam sahi hisaab...


dekhne/samjhne waale ki kaabiliyat...umr..aur ...

waqt ke hisaab se lagtaa hai.....


indu ji ke saath saath,,,tanhaa ji se bhi sahmat.....


:)

koi shak...???

विश्व दीपक का कहना है कि -

इंदु जी,
नाराज़गी का तो कोई प्रश्न हीं नहीं है और जब नाराज़गी हीं नहीं तो मुआफ़ी कैसी.... :)

मुझे "मैं कहीं कवि न बन जाऊँ" इसके बोलों के कारण पसंद है... संगीत की मुझे तनिक भी जानकारी नहीं है, इसलिए अगर कोई गाना "गोल्ड" संगीत के कारण कहा जाता है तब तो मैं कुछ कह हीं नहीं पाऊँगा :)

"ओल्ड इज गोल्ड" के मैं सारे गाने सुनता हूँ और वो भी सिर्फ़ इन गानों के "लिरिक्स" के कारण। इसलिए हो सकता है कि कुछ गाने जो उतने खास न हो मुझे खास लगते हों क्योंकि गीतकार ने शब्दों पे अच्छी खासी मेहनत की है। अब आप हीं कहिए कि इस गाने के पहले किस ने "कविता" से "कवि" को जोड़ा था.... (जहाँ पर कविता किसी लड़की का नाम हो)..... हाँ मैं यह मानता हूँ कि मैंने इस फिल्म के बाकी गाने नहीं सुने क्योंकि इस गाने की माँग करने से पहले मुझे पता भी नहीं था कि यह गाना किस फिल्म से है।

मैंने अगर आपके दिल को ठेस पहुँचाई हो तो छोटा बच्चा समझकर अनदेखा कर दीजिएगा ।

चलते-चलते एक आग्रह करता चलूँ। जिस प्रेम और अनुराग से आप "ओल्ड इज गोल्ड" सुनती हैं, उतना नहीं तो कम-से-कम उसका एक-दहाई हिस्सा हीं अगर आप मेरे "महफ़िल-ए-गज़ल" को देंगी तो मैं कृतार्थ हो जाऊँगा।

धन्यवाद,
विश्व दीपक

मनु जी,
बात तो सही है। किस गाना को "गोल्ड" मानना है, वह व्यक्ति की रूचियों पर ज्यादा निर्भर करता है। जैसे कि मुझे "कमीने" का शीर्षक गीत या फिर "फ़टाक" पसंद है, हो सकता है कि हमारे उमरदराज़ों को ये गाने नागवार गुजरते होंगे। है ना?

वैसे आप इन दिनों हैं कहाँ... महफ़िल-ए-गज़ल पर एकाध चक्कर लगा लिया करें कभी-कभार।

आएँगे ना?

-विश्व दीपक

इंदु पुरी गोस्वामी का कहना है कि -

ए दिनों बाद मैंने कमेन्ट पढा .
सॉरी सॉरी सॉरी.
विश्व दीपक जी ! मैं किसी का दिल दुखाऊँ ये मेरे स्वभाव में नही ,सामने वाले से ज्यादा दुख ऐसे में मैं खुद को पहुंचाती हूँ.
मैं आपके महफिल-ए-गजल में जरूर आऊंगी क्योंकि मैं गज़लों की भी बहुत शौक़ीन हूँ.मेरे पास मेहँदी हसन,गुलाम अली से ले कर अहमद हुसैन मोहोम्म्द हुसैन तक की बेस्ट गजल्स का कलेक्शन है,मैं पूरी सी.डी या डी वी डी नही खरीदती.जहाँ कहीं बेस्ट सोंग या गजल्स सुनती हूँ ,उसकी एक पंक्ति और गायक का नाम नोट कर लेती हूँ.फिर लिस्ट बना कर उन्हें डाउन लोड करती या कराती हूँ.समय ,पैसा,मेहनत सब ज्यादा लगते हैं पर मुझे नापसंद गाने या गजल्स जबरन नही सुनने पड़ते और शानदार कलेक्शन तो तैयार हो ही जाता है.
आपके यहाँ आऊंगी तो निसंदेह खजाना बढ़ेगा ही .
और...................
ये उम्र दराज किसे बोला??
हा हा हा

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