Saturday, April 3, 2010

सुनो कहानी: चार बेटे - हरिशंकर परसाई



सुनो कहानी: चार बेटे - हरिशंकर परसाई
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा लिखित रचना "मैं एक भारतीय" का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं हरिशंकर परसाई लिखित व्यंग्य "चार बेटे", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।

"चार बेटे" का कुल प्रसारण समय मात्र 8 मिनट 44 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।



मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है। ।
~ हरिशंकर परसाई (1922-1995)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी

गृहस्थ धर्म की एक ज़रूरी रस्म पत्नी को पीटने की भी होती है।
(हरिशंकर परसाई के व्यंग्य "चार बेटे" से एक अंश)


नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)

यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
VBR MP3
#67th Story, Char Bete: Harishankar Parsai/Hindi Audio Book/2010/12. Voice: Anurag Sharma

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2 श्रोताओं का कहना है :

विश्व दीपक का कहना है कि -

स्वर्ग-लोक की खूब ली है परसाई साहब ने। :)

अनुराग जी, आपने प्रभाव लाने के लिए अपनी आवाज़ के साथ जो प्रयोग किए हैं, वो काबिल-ए-तारीफ़ है।

सुनकर मज़ा आ गया।
बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक

Smart Indian का कहना है कि -

धन्यवाद, विश्व दीपक!

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