ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 393/2010/93
ज़ोहराबाई -शमशाद बेग़म और सुरैय्या - उमा देवी की जोड़ियों के बाद 'सखी सहेली' की तीसरी कड़ी में आज हम जिन दो गायिकाओं को लेकर उपस्थित हुए हैं, वो एक ऐसे परिवार से ताल्लुख़ रखती हैं जिस परिवार का नाम फ़िल्म संगीत के आकाश में सूरज की तरह चमक रहा है। जी हाँ, मंगेशकर परिवार। जो परम्परा स्व: दीनानाथ मंगेशकर ने शुरु की थी, उस परम्परा को उनके बेटे बेटियों, लता, आशा, उषा, मीना, हृदयनाथ, आदिनाथ, ने ना केवल आगे बढ़ाया, बल्कि उसे उस मुकाम तक भी पहुँचाया कि फ़िल्म संगीत के इतिहास में उनके परिवार का नाम स्वर्णाक्षरों से दर्ज हो गया। आज इसी मंगेशकर परिवार की दो बहनों, लता और उषा की आवाज़ों में प्रस्तुत है एक बड़ा ही नटखट, चंचल और चुलबुला सा गीत सी. रामचन्द्र के संगीत निर्देशन में। राजेन्द्र कृष्ण का लिखा १९५५ की फ़िल्म 'आज़ाद' का वही सदाबहार गीत "अपलम चपलम"। कहा जाता है कि फ़िल्म 'आज़ाद' के निर्माता एस. एम. एस. नायडू ने पहले संगीतकार नौशाद को इस फ़िल्म के संगीत का भार देना चाहा, पर उन्होने नौशाद साहब के सामने शर्त रख दी कि एक महीने के अंदर सभी ९ गीत तय्यार चाहिए। नौशाद साहब ने यह शर्त मंज़ूर नहीं की। उनके बाद कोई भी संगीतकार इस चैलेंज को स्वीकार करने का साहस नहीं किया। आख़िरकार सी. रामचन्द्र ने चुनौती स्वीकारा और सच में उन्होने एक महीने के अंदर सभी गानें रिकार्ड करके ना केवल सब को चकित किया, बल्कि सारे के सारे गानें लोकप्रियता की बुलंदी तक भी पहुँचे। इस फ़िल्म से जुड़ी हुई एक और दिलचस्प बात भी आपको बताता चलूँ। 'दाग़', 'संगदिल', 'फ़ूटपाथ, और 'देवदास' जैसी दुखांत वाली फ़िल्में करने के बाद दिलीप कुमार मानसिक तौर से बिमार हो चले थे, और मानसिक अवसाद उन्हे घेरने लगी थी। ऐसे में उनके डॊक्टर ने उन्हे इस तरह की फ़िल्में करने से मना किया। जब नायडू साहब ने दिलीप साहब को 'आज़ाद' में एक बहुत ही अलग किस्म का सुपरहीरो का किरदार निभाने का अवसर दिया, तो धीरे धीरे वो फिर एक बार मानसिक तौर से चुस्त दुरुस्त हो गए।
लता जी और उषा जी ने इस फ़िल्म में दो हिट युगल गीत गाए, एक तो आज का प्रस्तुत गीत है, और दूसरा गाना था पंजाबी रंग का "ओ बलिए, चल चलिए, आ चलें वहाँ, दिल मिले जहाँ"। दोस्तों, भले ही लता जी और आशा जी के संबंध को लेकर हमेशा से लोगों में उत्सुकता रही है, लेकिन लता जी और उषा जी के बीच कभी कोई ऐसी वैसी बात नहीं सुनी गई। बल्कि लता जी और साथ उषा जी हमेशा साथ में रहती हैं। हाल के कुछ वर्षों में लता जी जिस किसी भी फ़ंक्शन में जाती हैं, उषा जी उनके साथ ही रहती हैं। उषा जी जब विविध भारती पर 'जयमाला' कार्यक्रम पेश करने आईं थीं, उसमें उन्होने लाता जी और आशा जी के सम्मान में बहुत सी बातें कीं थीं। आइए आज उसी कार्यक्रम के एक अंश को यहाँ पढ़ें, जिसमें उषा जी बता रही हैं लता जी के बारे में। "बचपन से ही मैं लता दीदी के साथ रिकार्डिंग् पर जाया करती थी। उस दौर में फ़िल्म के अलावा रिकार्ड के लिए अलग से दोबारा गाना पड़ता था। 'कठपुतली' फ़िल्म के एक गाने की रिकार्डिंग् दोपहर २ बजे तक चलती रही। बहुत गरमी थी, बजाने वाले भी गरमी से तड़प रहे थे और गाना बार बार रीटेक हो रहा था। लता दीदी २०-२५ बार गाने के बाद बेहोश हो कर गिर पड़ीं। फिर वो ठीक भी हो गईं, लेकिन इस हादसे से इतना ज़रूर अच्छा हुआ कि उस रिकार्डिंग् स्टुडियो में एयर कंडिशनर लगवा दिया गया। लता दीदी के बारे में कोई क्या कह सकता है! दुनिया जानती है कि ऐसी आवाज़ एक बार ही जनम लेती है। ऐसी आवाज़ जिसे सुन कर मन को सुकून और शांति मिलती है!" और अब दोस्तों, लता जी और उषा की शरारती अंदाज़ का नमूना, फ़िल्म 'आज़ाद' के इस मचलते, थिरकते गीत में, आइए सुनते हैं।
क्या आप जानते हैं...
कि उषा मंगेशकर ने शास्त्रीय नृत्य की तालीम भी ली थी, और गायन के अलावा उन्हे चित्रकारी का भी बहुत शौक रहा है।
चलिए अब बूझिये ये पहेली, और हमें बताईये कि कौन सा है ओल्ड इस गोल्ड का अगला गीत. हम आपसे पूछेंगें ४ सवाल जिनमें कहीं कुछ ऐसे सूत्र भी होंगें जिनसे आप उस गीत तक पहुँच सकते हैं. हर सही जवाब के आपको कितने अंक मिलेंगें तो सवाल के आगे लिखा होगा. मगर याद रखिये एक व्यक्ति केवल एक ही सवाल का जवाब दे सकता है, यदि आपने एक से अधिक जवाब दिए तो आपको कोई अंक नहीं मिलेगा. तो लीजिए ये रहे आज के सवाल-
1. मुखड़े में शब्द है -"धूल", गीतकार बताएं -३ अंक.
2. गीता दत्त के साथ किस गायिका ने इस भजन में अपनी आवाज़ मिलायी है- २ अंक.
3. लीला चिटनिस के साथ कौन सी नायिका ने परदे पर निभाया है इस गीत को-२ अंक.
4. संगीतकार कौन है फिल्म के -२ अंक.
विशेष सूचना -'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के बारे में आप अपने विचार, अपने सुझाव, अपनी फ़रमाइशें, अपनी शिकायतें, टिप्पणी के अलावा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के नए ई-मेल पते oig@hindyugm.com पर ज़रूर लिख भेजें।
पिछली पहेली का परिणाम-
वाह वाह सब ने जबरदस्त वापसी की है इस बार. इंदु जी आपको ३ अंक और शरद जी, पदम जी और अनीता जी को २- २ अंकों की बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
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13 श्रोताओं का कहना है :
न मैं धन चाहूँ ,न रतन चाहूँ
तेरे चरणों की जो धुल मिल जाये .....
सुधा मल्होत्रा जी
अवध जी बचाओ बचाओ
मेरे दादा भी आपके चरण कहाँ है ?
jb inhone jwab de diya to main peechhe kyon rhun ?
nanda + leela chitnis
काला बाज़ार
Film: Hum Dono
avadh Lal
Are pabla pa ji,
Aap jaisa guni kaise confuse ho gaya?
Aur phir Kala Bazar mein to Waheeda Rehman heroine theen.
Avadh Lal
Naa main dhan chaahoon naa ratan chaahoon « atul's bollywood song .
Song-Naa main dhan chaahoon naa ratan chaahoon (Kala Bazaar) (1960) Singers-Geeta Dutt, Sudha Malhotra, Lyrics-Shailendra, MD-S D Burman. Lyrics. na main ...
क्योंकि चरों उत्तर अब आ चुके हैं सो मैं बता दूँ कि ये गाना फिल्म कला बाज़ार का ही है.
मुख्य नायिका वहीदा रहमान जरूर थी पर एक खास भूमिका में नंदा भी थी.
साबुत के तौर पर 'अतुल के ब्लॉग से मटर लेके कोपी -पेस्ट कर रही हूँ
अवध जी चक्र गए ,परसों मैं भी चक्र गई थी जब नौशाद जी कि जगह नौशाब नाम लिखा देखा.मैंने सोचा बच्चे गलती नही कर सकते 'नौशाब' नामक कोई संगीतकार रहे होंगे और उत्तर नही दिया.
तीन नम्बर की जूत उड़ गई बिना बात ही पर........इन दोनों को कौन समझाये पानी में रह कर...........बैर???
हा हा हा
अभी मारेंगे मुझे दोनों मिल कर.
इसलिए अपन तो ये फुर्र्र्र्र्र्र
और बताऊँ?
अवध भैया हम दोनों में दो भजन थे -
१ -अल्ला तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम
२- जिसके कारन आप कन्फ्यूज हो रहे है वो भी नंदा पर फिल्माया गया था और बड़ा ही प्यारा भजन है 'प्रभु तेरो नाम जो ध्याये ,फल पाए, सुख धाए तेरो नाम '
पाबला भैया कहाँ हो ?
दोडो, दोडो अवध भैया कन्फ्यूज हो गए,
मजा आ गया,
मुझे मजा आ गया
हा हा हा
इन्दु जी
पहले प्रश्न में गीत के बोल नहीं पूछे बल्कि गीतकार के बारे में पूछा है जो शैलेन्द्र हैं
कुछ बात अपलम चपलम की भी हो जाये.
प्रस्तुत गीत को लिखने के लिये राजेंद्र कृष्ण से कहा गया था, और चूंकि बात समय सीमा की भी था, प्रोड्युसर नें उन्हे भी भारी एडवांस देकर बूक किया था. मगर राजेंद्र कृष्ण थे कि इस गाने को लिख ही नहीं पा रहे थे.
एक दिन तंग आकर नायडु साहब उनके गिरगांव स्थित चाल में पहूंचे, और उनका गला ही पकड लिया, और कहा कि लिखते हो या दबा दूं?
ज़ाहिर है, उस मनस्थिति में भी क्या खूब गीत लिखा गया और वह भी आनन फ़ानन में १५ मिनीट में!!!!
ये वही चाल है, जिसके सेंटर कोर्ट में राजेंद्र कृष्ण , सी रामचंद्र और लता मंगेशकर क्रिकेट खेला करते थे!!!
देखो
सुजॉय और सजीव
! मुझे उत्तर नही आता ये नही कह सकते तुम.अव्ध्जी के जस्ट बाद में सरे उत्तर दिए हुए हैं जो पसंद हो एक चुन लो. हा हा हा
अब हम ठहरे अरबी घोडो के व्यापारी,तों उस पर सवार तों रहेंगे न ? कौन ध्यान से पढे प्रश्नों को ? उत्तर ठोको बस.
वैसे मजा आता है इस प्रकार की गलतियों में भी न?
मैं तों खूब हंसी,मजा आ गया .सवाल हार जीत का नही है बाबा.एक परिवार ईतरह हम सब इकट्ठे होते हैं मिलते हैं,इंजॉय करते हैं. वैसे भी तुम दोनों ,अवध भैया और शरद जी ने वडा किया था न जो पहले नम्बर पर आएगा अपनी पसंद के पांच गाने सुनाएगा और दुसरे नम्बर पर आने वाला केवल तीन.
चलो हम तों उसी में खुश है पर............
वडा न भूल जाना
ये सब वडा भूल जाये
वीरजी आप 'जज' बन के आना
हा हा हा
नया गीत बना दिया मैंने भी.
गीतकार -' इंदु पुरी ' चलिए हंसिये इस बात पर
अरे वादा वादा
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