ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 520/2010/220
'आवाज़' के सभी सुननेवालों और पाठकों को हमारी तरफ़ से ज्योति-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकानाएँ। यह पर्व आप सब के जीवन में अपार शोहरत और ख़ुशियाँ लेकर आए, आपके जीवन के सारे अंधकार मिट जाएँ, पूरा समाज अंधकार मुक्त हो, यही हमारी ईश्वर से कामना है। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर इन दिनों आप सुन रहे हैं लघु शृंखला 'गीत गड़बड़ी वाले'। आज इस शृंखला की अंतिम कड़ी के लिए हमने चुना है फ़िल्म 'मिस्टर इण्डिया' का सुपरहिट गीत "हवा हवाई"। जी हाँ, इस गीत में भी एक गड़बड़ी हुई है, और इस बार कठघड़े में लाया जा रहा है गायिका कविता कृष्णमूर्ती को। दोस्तों, आपको बता दें कि 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कविता जी की आवाज़ आज पहली बार बज रही है। नए दौर की गायिकाओं में कविता जी मेरी फ़ेवरीट गायिका रही हैं। मुझे ऐसा लगता है कि कविता जी की जो प्रतिभा है, उसका सही सही मूल्यांकन फ़िल्मी दुनिया नहीं कर सकीं, नहीं तो उनसे बहुत से अच्छे गानें गवाये जा सकते थे। ख़ैर, आज बातें "हवा हवाई" की। गड़बड़ी पर आने से पहले आपको इस गीत के निर्माण से जुड़ी एक दिलचस्प जानकारी देना चाहेंगे। इस गीत के शुरुआती जो बोल हैं, जिसमें "होनोलुलु, हॊंगकॊंग, किंगकॊंग, मोमबासा" जैसे अर्थहीन शब्द बोले जाते हैं, दरअसल ये शब्द डमी के तौर पर लिखे गये थे गीत को कम्पोज़ करने के लिए। लेकिन ये शब्द आपस में इस तरह से जुड़ गये और गीत में हास्य रस के भाव को देखते हुए सभी को ये शब्द इतने भा गये कि इन्हें गीत में रख लेने का तय हो गया। जावेद अख़्तर ने यह गीत लिखा और संगीतकार थे लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल। जावेद साहब के साथ ऐसा ही एक और वाक्या हुआ था कि जब डमी के तौर पर लिखे शब्द गीत का मुखड़ा बन गया। जी हाँ, माधुरी दीक्षित को रातों रात स्तार बनाने वाला गीत "एक दो तीन"। फ़िल्म 'तेज़ाब' के इस गीत में "एक दो तीन चार..." डमी के तौर पर रखे गये थे, लेकिन बाद में इसी को कण्टिन्यु करके गीत का पूरा मुखड़ा बना दिया गया। है ना मज़ेदार ये दोनों क़िस्से!
अब आते हैं इस गीत में हुई ग़लती पर। दोस्तों, इस गीत का एक अंतरा कुछ इस तरह का है -
"समझे क्या हो नादानों,
मुझको भोली ना जानो,
मैं हूँ सपनों की रानी,
काटा माँगे ना पानी,
सागर से मोती छीनूँ,
दीपक से ज्योति छीनूँ,
पत्थर से आग लगा दूँ,
सीने से राज़ चुरा लूँ,
जीना जो तुमने बात छुपाई,
जानू जो तुमने बात छुपाई,
कहते हैं मुझको हवा हवाई"।
इस अंतरे में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, लेकिन "जीना जो तुमने बात छुपाई" कुछ अजीब सा नहीं लग रहा आपको? हमारे ख़याल से तो "जीना" के बदले "जानूँ" होना चाहिए था। कविता जी शायद ग़लती से पहली बार "जीना" गा गईं, लेकिन क्योंकि यह लाइन रिपीट होती है, तो अगली बार उन्होंने इसे "जानूँ" ही गाया। हो सकता है इस तरफ़ आपने भी कभी ग़ौर किया होगा, या नहीं किया होगा। तो दोस्तों, इस तरह से १० गड़बड़ी वाले गीतों से सजी यह लघु शृंखला यहीं पे समाप्त होती है। हमें आशा है कि शृंखला का आपने भरपूर आनंद उठाया होगा। हम एक बार फिर से उन सभी महान कलाकारों से माफ़ी चाहते हैं जिनकी ग़लतियों की हमने चर्चा की। आप सब महान कलाकारों का फ़िल्म संगीत के धरोहर को समृद्ध करने में जो योगदान है, उसकी तुलना में ये ग़लतियाँ नगण्य है। आप सुनिए 'मिस्टर इण्डिया' फ़िल्म का यह मचलता गीत और याद कीजिए हवा हवाई गर्ल श्रीदेवी की उन चुलबुली अदाओं को। मैं तो चला पटाख़े फोड़ने। आप सभी को एक बार फिर 'हैप्पी दिवाली'। नमस्कार!
क्या आप जानते हैं...
कि गायिका कविता कृष्णमूर्ती का पहला गीत लता मंगेशकर के साथ गाया हुआ एक बंगला गीत था।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली ०१ /शृंखला ०३
लीजिए गीत का इंटरल्यूड और पहले अंतरे के दो शब्द भी है इस झलक में-
अतिरिक्त सूत्र - लता की आवाज़ में है ये गीत.
सवाल १ - गीतकार हिंदी साहित्य में भी बहुत बड़ा नाम रखते हैं, (इनकी सुपुत्री अंतरजाल पर हिंदी लेखन में काफी सक्रिय हैं) गीतकार का नाम बताएं- १ अंक
सवाल २ - संगीतकार बताएं - २ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम क्या है - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
अरे दूसरी शृंखला में अमित जी और शरद जी के बीच टाई हो गया है. ऐसे में हमें दोनों को ही एक एक बार विजेता घोषित करना पड़ेगा. यानी कि अब तक श्याम कान्त जी, अमित जी और शरद जी एक एक बाज़ी जीत चुके हैं. चलिए अब नयी चुनौती का सामना कीजिये. वैसे कल अमित जी अगर १ अंक के सवाल का भी जवाब दे देते तो सोलो विजेता बन जाते पर कल वो आये ही नहीं. हमारे श्याम कान्त जी नदारद हैं. प्रतिभा जी इस बार नए सिरे से झुझिये इन धुरंधरों से. अवध और नीरज जी आपका आभार इतनी दिलचस्प जानकारियाँ बांटने के लिए
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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3 श्रोताओं का कहना है :
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
संगीतकार का तुक्का लगा रहा हूँ : वसन्त देसाई
शरद जी ने तो संगीतकार के बारे में अपनी राय दे दी है.
मैं अब गीतकार के नाम के बारे में दिए गए संकेत के आधार पर कहना चाहूँगा कि अंतरजाल पर सक्रिय ब्लॉगर होनी चाहिए लावण्या जी और गीतकार पापाजी याने पंडित नरेन्द्र शर्मा जी.
अवध लाल
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