Wednesday, November 3, 2010

कांची रे कांची रे.....भाई अब कोई गलती भी तो क्या, गीत तो खूबसूरत है



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 519/2010/219

हाँ तो दोस्तों, कैसी लग रही है आपको 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की यह लघु शृंखला 'गीत गड़बड़ी वाले'? अब तक हमने इसमें जिन जिन ग़लतियों पर नज़र डाले हैं, वो हैं गायक का ग़लत जगह पे गा देना, गायक का ग़लत शब्द उच्चारण, गीत में ग़लत शब्द का व्यवहार, फ़िल्मांकन में त्रुटि, और गीत के अंतरे की पंक्तियाँ दो अंतरों के बीच आपस में बदल जाना। इन सब ग़लतियों से शायद आपको लग रहा होगा कि इनमें संगीतकार की तो कोई ग़लती नहीं है। है न? लेकिन आज हम जिस गीत का ज़िक्र करने वाले हैं, उसके लिए तो मेरे ख़याल से संगीतकार ही ज़िम्मेदार हैं। यह है फ़िल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' का बेहद लोकप्रिय युगल गीत "कांची रे कांची रे, प्रीत मेरी सांची, रुक जा न जा दिल तोड़ के"। नेपाली लोक धुन को आधार बना कर राहुल देव बर्मन कैसा ख़ूबसूरत कम्पोज़िशन बनाई है इस गीत के लिए। आनंद बक्शी के बोल तथा किशोर कुमार व लता मंगेशकर की युगल आवाज़ें। इस गीत में कोई शाब्दिक ग़लती तो नहीं है, लेकिन कम्पोज़िशन में एक त्रुटि ज़रूर सुनाई देती है। इस त्रुटि पर नज़र डालने से पहले हम आपको यह बताना चाहेंगे कि 'हरे रामा हरे कृष्णा' ओल्ड इज़ गोल्ड शृंखला की एक ऐसी फ़िल्म बन गई है जिसके सब से ज़्यादा गानें इस स्तंभ में शामिल हुए हैं। आज चौथी बार हम इस फ़िल्म का गाना सुन रहे हैं। इससे पहले हमने "फूलों का तारों का", "देखो ओ दीवानों" और "आइ लव यू" जैसे गीत बजा चुके हैं। तो यह भी एक रेकॊर्ड बना आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का। अब देखना यह है कि इस रेकॊर्ड की बराबरी या इस रेकॊर्ड को पार कौन सी फ़िल्म कर पाती है। क्योंकि हमने इस फ़िल्म के तीन गीत सुनवा चुके हैं, इसलिए ज़ाहिर सी बात है कि फ़िल्म के तमाम डीटेल्स भी बता ही चुके होंगे। और वैसे भी यह इतनी मशहूर फ़िल्म है कि शायद ही कोई होगा जिसे इस फ़िल्म और इसके गीतों के बारे में मालूम ना होगा। इसलिए उस तरफ़ ना जाते हुए हम सीधे आ जाते हैं मुद्दे पर।

मुद्दा यह है कि किसी भी संगीतकार को कम्पोज़िशन करते वक़्त यह ध्यान में ज़रूर रखना चाहिए कि जिस गायक या गायिका के लिए वो गीत कम्पोज़ कर रहे हैं, वो गायक या गायिका उसे गा पाएँगे या नहीं। यानी उनके रेंज का वह गीत है भी कि नहीं। साधारणत: हर संगीतकार इस बात का पूरा पूरा ध्यान रखते हैं। लेकिन हमारे पंचम दा ने एक गाना ऐसा कम्पोज़ कर दिया कि जिसे गाते हुए लता जी की आवाज़ भी परेशान हो उठीं। जी हाँ, हम आज के प्रस्तुत गीत की ही बात कर रहे हैं। आपको याद होगा कि इस गीत में कुल तीन अंतरे हैं, पहले दो अंतरे किशोर दा गाते हैं और अंतिम अंतरा लता जी का है। अंतरा और मुखड़ा का जो कनेक्टिंग् लाइन होता है, उसका गाने की लोकप्रियता में बड़ा हाथ होता है। तो पहले अंतरे में यह लाइन किशोर दा गाते हैं "मुश्किल है जीना, दे दे ओ हसीना, वापस मेरा दिल मोड़ के", और दूसरे अंतरे में "वापस ना आऊँगा, मैं जो चला जाऊँगा ये तेरी गलियाँ छोड़ के", और क्या ख़ूब गाते हैं। लेकिन तीसरे अंतरे में जब लता जी वैसी ही ऊँची पट्टी पर "बस चुप ही रहना, अब फिर ना कहना, रुक जा न जा दिल तोड़ के" गाती हैं तो "रहना" शब्द पर जाकर उन्हें काफ़ी तकलीफ़ होती है, जो साफ़ महसूस की जा सकती है। अब यह सोचने वाली बात है कि किशोर दा ने "मुश्किल है जीना" या "वापस ना आऊँगा" गाया था, तब उन्हें तो इस तरह की तक़लीफ़ नहीं हुई। तो क्या इसका मतलब यह कि नारी कंठ में इस रेंज तक पहुँचना मुश्किल है? अगर लता जी इसे नहीं ठीक से गा सकीं तो हमें नहीं लगता कि आशा जी के अलावा कोई और गायिका इसे गा पातीं। अब गीत का सिचुएशन ही ऐसा था कि इस लाइन को नायिका से ही गवाना था, इसलिए इसमें किसी तरह के फेर बदल की गुंजाइश नहीं बची< और यह गाना रेकोर्ड हो गया और इसी तरह से आज तक ब-दस्तूर बजता चला आ रहा है। पता नहीं आपने कभी इस बात पर ग़ौर किया होगा कि नहीं, लेकिन हमें ऐसा लगा कि इसे भी इस गड़बड़ी वाले गीतों में शामिल कर लें, इसलिए कर लिया। तो चलिए गीत सुना जाए, और सैर की जाए नेपाल की तंग लेकिन ख़ूबसूरत गलियों की।



क्या आप जानते हैं...
कि गुरुदत्त अपनी पत्नी गीता दत्त को नायिका लेकर 'गौरी' नामक फ़िल्म बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने पंचम को अनुबंधित कर दो गीत भी रेकॊर्ड कर लिए थे। पर यह फ़िल्म ना बन सकी।

दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)

पहेली १० /शृंखला ०२
चलिए एक और आसान पहेली दिए दिते हैं -


अतिरिक्त सूत्र - जरुरत नहीं है किसी अतिरिक्त सूत्र की.

सवाल १ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
सवाल २ - गायिका पहचाने - २ अंक
सवाल ३ - गीतकार बताएं - १ अंक

पिछली पहेली का परिणाम -
अमित जी आखिरकार आगे निकल ही गए, बधाई...और शंकर लाल जी देखिये कल का दिन आपका था आपको और प्रतिभा जी को भी बधाई

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

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6 श्रोताओं का कहना है :

Neeraj Rohilla का कहना है कि -

बिजली गिराने मैं हूँ आयी, कहते हैं मुझको हवा हवाई.

जीनूं जो तुमने बात छुपाई, कहते हैं मुझको हवा हवाई...

Neeraj Rohilla का कहना है कि -

सुजॉय चटर्जी बधाई के पात्र हैं. इस गीत को बीसियों बार सुना लेकिन आज सुनने पर स्पष्ट लगा कि "रहना" शब्द पर लताजी को थोडी मुश्किल हुयी।

ऐसे आलेखों और मधुर संगीत सुनवाने के लिये बहुत आभार,

शरद तैलंग का कहना है कि -

Singer : kavita krishnamoorti

Pratibha Kaushal-Sampat का कहना है कि -

फिल्म का नाम बताएं - Mr. India


Pratibha Kaushal-Sampat
Ottawa, CANADA

Kishore "Kish" Sampat का कहना है कि -

सवाल ३ - गीतकार बताएं - Javed Akhtar!!

Kavita Krishnamurthi's voice sounds exquisite in this number! Sridevi is at her best again!

Kishore "Kish" Sampat
Ottawa, Canada

AVADH का कहना है कि -

जब इतनी सारी गडबडियों की बात हो ही चुकी है तो लगे हाथों एक और की चर्चा हो जाये.
एक नयी तरह की भूल की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा.
वर्ष १९५९ की उल्लेखनीय फिल्मों में से एक थी बिमल दा की सुजाता.
इस फिल्म का एक बहुत लोकप्रिय गीत और अजर अमर गीत था - 'तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हों पचास हज़ार'.
आप जानते ही हैं कि यह गीत आशा भोसले और कोरस वृन्द द्वारा गाया गया था.
परन्तु आश्चर्य की बात यह है कि जब HMV कंपनी से इसका रिकॉर्ड (N52984) जारी किया गया था तो उस पर अंकित था गीता दत्त और कोरस.
यह भूल कई वर्षों तक चलती रही. बहुत बाद में जा कर इसे ठीक गया था.
है ना अजीब बात. पर है बिलकुल सच.
अवध लाल

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