Monday, May 16, 2011

अलबेला मौसम कहता है स्वागतम....ताकि आप रहें खुश और तंदरुस्त



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 657/2011/97

फ़िल्म संगीत में हँसी मज़ाक की बात हो, और किशोर कुमार का नाम ही न आये, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार, और स्वागत है इस सुरीली महफ़िल में। इन दिनों इसमें जारी है शृंखला 'गान और मुस्कान' और जैसा कि आपको पता है इसमें हम ऐसे गानें शामिल कर रहे हैं जिनमें गायक गायिका की हँसी सुनाई देती है। किशोर कुमार नें बेहिसाब मज़ाइया और हास्य रस के गीत गाये हैं। उनके गाये हास्य गीतों को सुनते हुए कई बार हम हँसते हँसते पेट पकड़ लेते हैं। लेकिन अगर आपसे यह पूछें कि उनकी हँसी किस गीत में सुनाई पड़ी है, तो शायद आपको कुछ समय लग जाये याद करने में। सबसे पहले जो गीत ज़हन में आता है वह है फ़िल्म 'पड़ोसन' का "एक चतुर नार", जिसे हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर भी बजा चुके हैं। आज के अंक के लिए हमने किशोर दा का जो गीत चुना है, वह कोई हास्य गीत नहीं है, बल्कि यह एक फ़मिली सॉंग् है, एक पारिवारिक गीत। एक आदर्श छोटा परिवार, जिसमें है माँ-बाप और एक छोटा सा प्यारा सा बच्चा। कुछ इसी पार्श्व पर ८० के दशक का एक गीत है किशोर कुमार, लता मंगेशकर और बेबी कविता की आवाज़ों में फ़िल्म 'तोहफ़ा' में, "अलबेला मौसम, कहता है स्वागतम"। बप्पी लाहिड़ी का संगीत और इंदीवर के बोल। गाना फ़िल्माया गया है जीतेन्द्र और जया प्रदा पर। गीत के अंतरों से पहले बेबी कविता नर्सरी राइम बोलती है जिसके बाद किशोर दा और लता जी ज़ोर से हँसते हैं।

'तोहफ़ा' १९८४ की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म थी जिसके निर्देशक थे के. राघवेन्द्र राव। यह वह दौर था ८० के दशक का जब जीतेन्द्र, श्रीदेवी और जया प्रदा की तिकड़ी फ़िल्म जगत में ख़ूब शोर मचा रही थी। दक्षिण के बैनर तले निर्मित इस तरह की फ़िल्में ख़ूब चले थे। 'तोहफ़ा' के बाद 'मवाली', 'हिम्मतवाला', 'जस्टिस चौधरी', 'धर्माधिकारी', 'संजोग', 'सुहागन' आदि फ़िल्मों के नाम आज भी याद आते हैं। 'तोहफ़ा' एक तमिल ब्लॉकबस्टर फ़िल्म का रीमेक है जिसमे भी श्रीदेवी और जया प्रदा नें ही अभिनय किया था। 'तोहफ़ा' १९८५ के फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड फ़ंक्शन में नामांकनों में छायी रही, शक्ति कपूर को सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के लिए नामांकन मिला तो बप्पी लाहिड़ी को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के लिए। गीतकार इंदीवर को भी "प्यार का तोहफ़ा तेरा" गीत के लिए नामांकन मिला था। इस फ़िल्म के अंत में जया प्रदा द्वारा निभाये किरदार की मौत हो जाती है, तभी प्रस्तुत गीत के अंतरे में बोल डाले गये हैं "क्यों पूजा के बाद ही बोलो माँग भरा करते हैं, लम्बी उमर सिंदूर की हो हम यह माँगा करते हैं, ये तो कहो जीवन के सफ़र की आखिरी आरज़ू क्या है, तुझसे पहले मैं उठ जाऊँ मैंने यह सोचा है, अगले जनम में दोनों मिलेंगे, अपना यह वादा है"। ८० के दशक के मध्य भाग में फ़िल्म संगीत सब से करुण स्थिति से गुज़र रही थी। ऐसे में यह गीत एक ख़ूशबूदार झोंके की तरह आया और मन को सुवासित कर गया। मुझे यह गीत बचपन में बहुत पसंद था और आज भी है। तो आइए इस गीत को सुनें और लता जी और किशोर दा की हँसी का एक साथ आनंद लें। क्या इस तरह का कोई और गीत है जिसमें लता और किशोर की हँसी सुनाई पड़ती है? मुझे लिख भेजिएगा ज़रूर!



क्या आप जानते हैं...
कि बप्पी लाहिड़ी नें केवल १६ वर्ष की आयु में एक बंगला फ़िल्म 'दादू' में संगीत दिया था जिसमें लता, आशा और उषा, तीनों मंगेशकर बहनों से गवाया था।

दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)

पहेली 08/शृंखला 16
गीत का ये हिस्सा सुनें-


अतिरिक्त सूत्र - बेहद आसान.

सवाल १ - प्रमुख गायक का साथ किस गायिका ने दिया है - २ अंक
सवाल २ - फिल्म के निर्देशक कौन हैं - ३ अंक
सवाल ३ - गीतकार बताएं - १ अंक

पिछली पहेली का परिणाम -
अमित जी और अनजाना जी एक बार फिर प्रमुख भूमिका में रहे, क्षिति जी ने हमेशा की तरह गेस्ट भूमिका अदा की और अविनाश जी ने कल डेब्यू किया.

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी



इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

फेसबुक-श्रोता यहाँ टिप्पणी करें
अन्य पाठक नीचे के लिंक से टिप्पणी करें-

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

3 श्रोताओं का कहना है :

Anjaana का कहना है कि -

K Balachander

Amit का कहना है कि -

निर्देशक-के. बालचंदर

Avinash Raj का कहना है कि -

Anuradha Paudwal.

Maine Friday ko pahle baar answer diya tha par aapne use nahi maana :)

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

संग्रहालय

25 नई सुरांगिनियाँ

ओल्ड इज़ गोल्ड शृंखला

महफ़िल-ए-ग़ज़लः नई शृंखला की शुरूआत

भेंट-मुलाक़ात-Interviews

संडे स्पेशल

ताजा कहानी-पॉडकास्ट

ताज़ा पॉडकास्ट कवि सम्मेलन