ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 708/2011/148
वर्षा ऋतु के रागों पर आधारित गीतों की श्रृंखला "उमड़ घुमड़ कर आई रे घटा" की आठवीं कड़ी में एक बार फिर आपका हार्दिक स्वागत है| दोस्तों; इन दिनों हम प्रकृति के रंग-रस से सराबोर ऐसे गीतों की महफ़िल सजा रहें हैं, जो शब्दों और स्वरों के माध्यम से बाहर हो रही वर्षा के साथ जुगलबन्दी कर रहें हैं| यह पावस के रागों का सामर्थ्य ही है कि इनके गायन-वादन से परिवेश आँखों के सामने उपस्थित हो जाता है| वर्षा ऋतु का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करने वाला एक और राग है- "सूर मल्हार"| आज हम आपको इसी राग का संक्षिप्त परिचय कराते हुए राग आधारित गीत भी सुनवाने जा रहें हैं|
यह मान्यता है कि राग "सूर मल्हार" के स्वरों की संरचना भक्त कवि सूरदास ने की थी| इस राग को "सूरदासी मल्हार" भी कहा जाता है| इस राग में सारंग और मल्हार का मेल होता है| काफी थाट के इस राग की गणना मल्हार रागों के अन्तर्गत ही की जाती है| यह औडव-षाडव जाति का राग है, अर्थात आरोह में पाँच और अवरोह में छह स्वरों का प्रयोग होता है| आरोह में शुद्ध गन्धार और शुद्ध धैवत का प्रयोग नहीं होता, किन्तु शुद्ध निषाद का प्रयोग होता है| अवरोह शुद्ध गन्धार रहित होता है, किन्तु कोमल निषाद और धैवत का अल्प प्रयोग किया जाता है| यदि राग "देस" के आरोह-अवरोह से शुद्ध गान्धार हटा दिया जाए तो राग "सूर मल्हार" स्पष्ट परिलक्षित होने लगता है, किन्तु ऐसी स्थिति में वादी-संवादी स्वर षडज-माध्यम के स्थान पर पंचम-ऋषभ हो जाता है|
राग "सूर मल्हार" के अविष्कारक भक्त कवि सूरदास के साहित्य में वात्सल्य के साथ-साथ श्रृंगार रस का अधिकाधिक प्रयोग मिलता है| श्रृंगार के संयोग पक्ष के लिए कृष्ण का अपार सौन्दर्य-युक्त मधुर रूप और रासलीला कारक है; वहीं वियोग पक्ष की अभिव्यक्ति के लिए कृष्ण का गोकुल से मथुरा जाना कारक है| जब गोपियों की आँखों से आँसू-वर्षा हो रही है, तब सूरदास ने मल्हार का सफल प्रयोग किया| नैनों के नीर की उपमा वर्षा ऋतु से कर सूर ने अद्भुत कल्पनाशीलता का परिचय दिया है| सूर-साहित्य से लिए गये ये दो उदाहरण देखें-
सखी इन नैननि तै घन हारे |
बिनहीं रितु बरसत निसि-वासर, सदा मलिन दोउ तारे |
इन नैनन के नीर सखी री, सेज भई घर नाँव,
चाहत हौं ताही पर चढ़ीके हरिजू के ढिंग जाँव|
आइए, अब कुछ चर्चा करते हैं राग "सूर मल्हार" पर आधारित आज के गीत के बारे में| आज का गीत 1969 में प्रदर्शित फिल्म "चिराग" का है| संगीतकार मदनमोहन यूँ तो ग़ज़लों की संगीत रचना में अद्वितीय थे परन्तु उनके संगीतबद्ध राग आधारित गीत भी गुणबत्ता की दृष्टि से अत्यन्त उत्कृष्ट हैं| आरम्भिक वर्षों में मदनमोहन ने राग "भैरवी" पर आधारित कई अच्छे गीतों की रचना की थी| इसके अलावा राग "पीलू" पर आधारित गीत -"मैंने रंग ली आज चुनरिया...", राग "मिश्र खमाज" पर आधारित गीत -"खनक गयो हाय बैरी कंगना...", राग "भीमपलासी" पर आधारित श्रेष्ठतम गीत -"नैनो में बदरा छाए..." आदि कभी न भुलाए जाने वाली रचनाएँ हैं| फिल्म "चिराग" के आज के गीत -"छाई बरखा बहार..." में भी मदनमोहन ने राग "सूर मल्हार" के स्वरों का बेहद आकर्षक प्रयोग किया है| मजरुह सुल्तानपुरी के लिखे, लता मंगेशकर और साथियों द्वारा गाये इस गीत की दो और विशेषताएँ भी हैं| इस गीत में शास्त्रीयता के साथ-साथ लोकरंग की छाया भी मौजूद है| दूसरी विशेषता यह है कि गीत में "कहरवा" ताल का चटक और फैलाव लिये हुए जैसा प्रयोग है वह गीत के श्रोता को थिरकने के लिए विवश कर देने में समर्थ है| यह गीत अभिनेत्री आशा पारेख और लोक नर्तकियों के समूह पर फिल्माया गया है| फिल्म के नायक सुनील दत्त हैं| आप रिमझिम फुहारों के बीच इस गीत का आनन्द लीजिए और आज मुझे यहीं विराम लेने की अनुमति दीजिए|
क्या आप जानते हैं...
कि संगीतकार मदनमोहन को पहला राष्ट्रीय पुरस्कार शास्त्रीय राग आधारित एक गीत पर ही मिला था| 1970 की फिल्म "दस्तक" के राग "चारुकेशी" की ठुमरी -"बैंया ना धरो..." की संगीत रचना के लिए उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया था|
आज के अंक से पहली लौट रही है अपने सबसे पुराने रूप में, यानी अगले गीत को पहचानने के लिए हम आपको देंगें ३ सूत्र जिनके आधार पर आपको सही जवाब देना है-
सूत्र १ - आशा जी का आग्रहपूर्ण स्वर है गीत में.
सूत्र २ - एक महान निर्देशक की महत्वकांक्षी फिल्म थी ये.
सूत्र ३ - पहला अंतरा शुरू होता है इस शब्द से - "आज"
अब बताएं -
गीतकार बताएं - ३ अंक
किस राग पर आधारित है ये गीत - २ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
हिन्दुस्तानी जी, वैसे तो ये जरूरी नहीं है कि रागों के नाम अमित जी या क्षिति जी को ही पता हों, पर फिर भी खास आपके लिए आज हमने राग के नाम को २ अंकों का प्रश्न बनाया है, गौर कीजिये कि पिछले कई अंकों से अमित जी राग के नाम से बचकर सेफ खेल रहे हैं, दरअसल ये शृंखला कृष्णमोहन जी खास रूप से वर्षा के रागों पर आधारित बनायीं है इसलिए वो अहम प्रश्न बनकर आता है. कल की पहेली में राग को लेकर कुछ शंकाएं थी, जिसे खुद कृष्ण मोहन जी दूर करना चाहते हैं अपने निम्न सन्देश के माध्यम से-
"सजीव जी,
फडके जी की प्रतिक्रिया को पढ़ा. उनके दिये विवरण का खण्डन या समर्थन न करते हुए केवल इतना ही कहना चाहता हूँ कि फिल्म गीतों में राग के स्वरों की शुद्धता कम ही होती है. मैंने अपने आलेख में जो सन्दर्भ सामग्री ली है उन पृष्ठों की jpg copy और उसके लिंक भेज रहा हूँ. श्री एस.एन. टाटा ने राग आधारित फ़िल्मी गीतों पर महत्वपूर्ण शोध किया है. उनके कार्य को देखते हुए उन्हें सरलता से नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता.
Raga-based Hindi Film Songs
http://www.indiapicks.com/SNT_Hindi/P-361.htm
http://www.indiapicks.com/SNT_Hindi/P-362.htm"
चूँकि गीत का आरंभिक हिस्सा राग मल्हार (मियां की) पर है और मुख्या गाना सुर मल्हार पर, और हो सकता है कि अविनाश जी और सत्येंदर जी ने शुरू के हिस्से को सुनकर अनुमान लगाया हो, हम अविनाश जी और क्षिति जी दोनों को ही पूरे अंक देना चाहेंगें. अमित जी और सत्यजीत जी को भी बधाई.
खोज व आलेख- कृष्ण मोहन मिश्र
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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7 श्रोताओं का कहना है :
SHAILENDRA
Raga: Megh Malhaar
Sangeetkaar hain :Shankar Jaikishan
rag megh
jis mahan nirdeshak ka jikra hua hai vo hain 'Raj Kapoor' Aur film thi Mera Naam Jokar. Film jabardast thi magar Box office par buri tarah pitee. Aur kahte hain ki Raj Kapoor ki Aarthik haalat is film ke baad bahut kharab ho gayee thee.
हिन्दुस्तानी जी मैंने कल के आपके कमेंट को पढ़ा. मैं आपसे सहमत नही हूँ. सवाल मुझे नहीं लगता कि किसी खास विशेष को ध्यान में रखकर बनाये जाते हैं.
क्षिती जी जरूर संगीत विशेषज्ञ हैं पर मैं तो बिलकुल भी नहीं. मुझे रागों की बहुत थोड़ी सी समझ है.आप खुद ही देखिये मैंने कई बार २ नंबर का सवाल चुना (क्योंकि मुझे राग नहीं पता था) और उसके काफी देर बाद क्षिती जी ने ३ नंबर का उत्तर दिया. यानि कि बाकी सबके पास समय था उत्तर देने का.
दोस्तों,
कृपया अन्यथा न लें.
मैंने कल हिन्दुस्तानी जी का कमेन्ट पढ़ा था पर तुरंत उत्तर न दे सका था. उन्होंने जिस कारण अपनी शंका व्यक्त की थी उसे मैं समझ सकता हूँ.
पर मैं अमित जी की बात से सहमत हूँ. श्री कृष्ण मोहन मिश्र जी ने भी अपनी पोस्ट में कारण स्पष्ट किया है कि यह श्रृंखला क्योंकि वर्षा ऋतु सम्बंधित रागों पर आधारित है इसलिए मेरी समझ से पहेली में भी राग का नाम पूछना उचित लगता है.
मैं तो शास्त्रीय संगीत से बिलकुल अनभिज्ञ हूँ परन्तु इस श्रृंखला द्वारा मेरे जैसे व्यक्ति को भी कुछ राग सम्बन्धी जानकारी मिल रही है जो संभवतः आसानी से कहीं और प्राप्त न हो पाती.
मेरी समझ में इस जानकारी से मुझे गीत और संगीत का आनंद उठाने में और लाभ होता है.
आशा है हमारे हिन्दुस्तानी भाई भी मिश्र जी की इस व्याख्या से अब संतुष्ट होंगे.
आवाज़ टीम और मिश्र जी को बहुत बहुत आभार
अवध लाल
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