ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 780/2011/220
जगजीत सिंह को समर्पित 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की लघु शृंखला 'जहाँ तुम चले गए' की अंतिम कड़ी में आप सभी का स्वागत है। दोस्तों, जगजीत सिंह का पंजाबी भाषा और पंजाबी काव्य को लोकप्रिय बनाने और दूर दूर तक फैलाने में भी उल्लेखनीय योगदान रहा है। शिव कुमार बटालवी की कविताओं को जनसाधारण तक पहुँचाने में उनका ऐल्बम 'बिरहा दा सुल्तान' उल्लेखनीय है। "माय नी माय मैं इक शिकरा यार बनाइया", "रोग बन के रह गिया है पियार तेरे शहर दा", "यारियां राब करके मैनुं पाएं बिरहन दे पीड़े वे", "एह मेरा गीत किसी नी गाना" इसी ऐल्बम के कुछ लोकप्रिय गीत हैं। १० मई २००७ को संसद के युग्म अधिवेषन में ऐतिहासिक केन्द्रीय हॉल में जगजीत सिंह नें बहादुर शाह ज़फ़र की ग़ज़ल "लगता नहीं है दिल मेरा" गा कर भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (१८५७) के १५० वर्ष पूर्ति पर आयोजित कार्यक्रम को चार चाँद लगाया। राष्ट्रपति अब्दुल कलाम, प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, उप-राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, लोक-सभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी, और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी वहाँ मौजूद थीं। सन् २००३ में जगजीत सिंह को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
२००७ के आसपास जगजीत सिंह की सेहत बिगड़ने लगी थी। ब्लड सर्कुलेशन की समस्या के चलते उन्हें २००७ के अक्टूबर में अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। इससे पहले १९९८ के जनवरी में उन्हें दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्होंने सिगरेट पीना छोड़ दिया था। अभी हाल में ब्रेन हैमरेज से आक्रान्त जगजीत को अस्पताल ले जाया गया, पर वो वापस घर न लौट सके। उनका दिया अंतिम कॉनसर्ट था १६ सितंबर २०११ को नेहरू साइन्स सेन्टर मुंबई में, १७ सितंबर को सिरि फ़ोर्ट ऑडिटोरियम नई दिल्ली में और २० सितंबर को देहरादून के इण्डियन पब्लिक स्कूल में। और फिर ख़ामोश हो गई यह आवाज़ हमेशा हमेशा के लिए। जैसे उन्हीं का गाया गीत साकार हो उठा - "चिट्ठी न कोई संदेस, जाने वो कौन सा देस, जहाँ तुम चले गए"। आइए जगजीत सिंह को समर्पित इस शृंखला का समापन भी हम इसी गीत से करें। उत्तम सिंह के संगीत में यह है गीतकार आनन्द बक्शी की रचना १९९८ की फ़िल्म 'दुश्मन' के लिए। यूं तो यह पुराने फ़िल्म का गीत नहीं है, और इसलिए 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में शामिल होने के काबिल भी नहीं, पर इसके बोल कुछ ऐसे हैं कि जगजीत जी के जाने की परिस्थिति में बहुत ही ज़्यादा सार्थक बन पड़ा है। आइए इस गीत को सुनें और इस शृंखला को यहीं सम्पन्न करें। पूरे 'आवाज़' परिवार की तरफ़ से स्वर्गीय जगजीत सिंह को भावभीनी श्रद्धांजली और उनकी पत्नी चित्रा जी के लिए समवेदना और सहानुभूति। अनुमति दीजिए, नमस्कार!
चलिए आज कुछ बातें जगजीत की ही की जाये, हमें बताएं उनके गाये अपने सबसे पसंदीदा ५ गीत...
पिछले अंक में
अनाम बंधू अपना नाम तो बताएं, मेरे ख़याल से तो वो दिल्ली में ही हैं कृपया इन नंबर पर संपर्क करें ९८७३७३४०४६
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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6 श्रोताओं का कहना है :
जगजीत सिंह का भैरवी प्रेम.....
यह ठुमरी अंग की एक रचना है-
http://www.youtube.com/watch?v=7w3Ou1tKi_k
और यह खयाल अंग की,
विशेषता यह है कि यह रचना एकताल और तीनताल, दोनों में गायी गई है-
http://www.youtube.com/watch?v=iXEVIN6mmKY&feature=results_video&playnext=1&list=PL7D7B684571F16CD0
अन्त में भैरवी के सुरों पर तैरते भजन का आनंद प्राप्त करें-
http://www.youtube.com/watch?v=HgWI_d7qMUI
sanjeev sarthi, selesh kidhar he....? baato... kai log ka paisa me gol mal kiya he usne.... kidhar gaya he.,...? bato?....
ye selesh kaun hai?
प्रिय अनाम, कृपया आप सजीव जी संपर्क करें या उन्होंने जो नम्बर दिया है उस पर संपर्क करें. यहाँ पर इस तरह न लिखें. प्लीज़
अभी जगजीत सिंह का गाया 'चाँद भी देखा ' सुन रहा हूँ. आपने ५ गीत चुनने को कहा पर मेरे लिए असम्भव है. ५ क्या ५० भी कहेंगे तो भी नहीं चुन पाऊँगा. सभी एक से बढ़कर एक हैं
anaam ji main aapko number de chuka hoon, us par sampark kijiye, ya fir unke pate par jo hind yugm ke har prakashan par avaialable hai, mera concern sirf awaaz se hai, aap jin baaton ka jikr kar rahe hain, un sabse awaaz aur awaaz ka team ka kuch lena dena nahin hai, kripya is tarah kii practice avaoid karen - sajeev sarathie
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