Saturday, May 23, 2009

सआदत हसन मंटो की "कसौटी"



'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शन्नो अग्रवाल की आवाज़ में श्रवण कुमार सिंह की कहानी 'बुतरखौकी' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं सआदत हसन मंटो की "कसौटी", जिसको स्वर दिया है "किस से कहें" वाले अमिताभ मीत ने। इससे पहले आप अनुराग शर्मा की आवाज़ में मंटो की अमर कहानी टोबा टेक सिंह और एक लघुकथा सुन चुके हैं।
"कसौटी" का कुल प्रसारण समय १३ मिनट और ४४ सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।



पागलख़ाने में एक पागल ऐसा भी था जो ख़ुद को ख़ुदा कहता था।
~ सआदत हसन मंटो (१९१२-१९५५)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी

वह धर्मकांटा कहाँ है जिसके पलडों में हिन्दू और मुसलमान, ईसाई और यहूदी, काले और गोरे तुल सकते हैं?
(मंटो की "कसौटी" से एक अंश)


नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)


यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
VBR MP3Ogg Vorbis

#Twenty-second Story, Kasauti: Sa'adat Hasan Manto/Hindi Audio Book/2009/17. Voice: Amitabh Meet

फेसबुक-श्रोता यहाँ टिप्पणी करें
अन्य पाठक नीचे के लिंक से टिप्पणी करें-

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

4 श्रोताओं का कहना है :

Udan Tashtari का कहना है कि -

पढ़ी हुई कहानी सुनने का क्या आनन्द है आज जाना!!आभार.

Sajeev का कहना है कि -

वाह कहानी क्या है एक लम्बी कविता है, और इस अभिव्यक्ति के लिए मीत जी की वजनदार आवाज़ से बेहतर कोई चुनाव नहीं था.....मज़ा आ गया....अनुराग जी और मीत जी को बहुत बहुत बधाई...

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

मीत भाई,

चलिए आखिर आप भी 'सुनो कहानी' की गिरफ्त में आये तो सही। उम्मीद है, आपके बहाने मंटो की कहानियाँ हम आवाज़ पर सुनते रहेंगे।

neelam का कहना है कि -

भाई मीत जी ,
क्या बात है ?आपकी आवाज में कैफियत तो कैफी आजमी जी जैसी है ,सच मानिए ,सुनते सुनते ,ही लिख रही हूँ ,थोड़े लफ्ज समझ में नहीं आ रहे हैं ,पर कहानी का लुत्फ़ कही भी कम नहीं होरहा है|
आगे भी आपकी आवाज कहानियों को मिले तो बस क्या कहना यूं समझ लीजिये की कहानी को रूह मिल गयी |बस इस बार इतनी ही तारीफ ,कुछ अगली बार के लिए भी बचा के रख ली है

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

संग्रहालय

25 नई सुरांगिनियाँ

ओल्ड इज़ गोल्ड शृंखला

महफ़िल-ए-ग़ज़लः नई शृंखला की शुरूआत

भेंट-मुलाक़ात-Interviews

संडे स्पेशल

ताजा कहानी-पॉडकास्ट

ताज़ा पॉडकास्ट कवि सम्मेलन