मंटो की "आँखें"
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में उर्दू और हिंदी प्रसिद्ध के साहित्यकार उपेन्द्रनाथ अश्क की एक छोटी कहानी "ज्ञानी" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं सआदत हसन मंटो की "आँखें", जिसको स्वर दिया है "किस से कहें" वाले अमिताभ मीत ने। इससे पहले आप अमिताभ मीत की आवाज़ में सआदत हसन मंटो की "कसौटी" और अनुराग शर्मा की आवाज़ में मंटो की अमर कहानी टोबा टेक सिंह और एक लघुकथा सुन चुके हैं।
"आँखें" का कुल प्रसारण समय ११ मिनट और २३ सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
पागलख़ाने में एक पागल ऐसा भी था जो ख़ुद को ख़ुदा कहता था। ~ सआदत हसन मंटो (१९१२-१९५५) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी मुझे उसकी आँखें बहुत पसंद थीं (मंटो की "आँखें" से एक अंश) |
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पाठकों की सुविधा के लिए इस कहानी में प्रयुक्त कुछ अल्प-प्रचलित शब्दों का अर्थ नीचे दिया जा रहा है:
तीमारदारी = रोगी की सेवा
पैहम = निरंतर, लगातार
इसरार = (यहाँ) कहने पे
मानिन्द = तरह
बेहिस = जिसमें एहसास न हो
इन्फ़िरादी = अद्वितीय
रद्दे-अमल = प्रतिक्रिया
मुतवज्जेह = आकर्षित
क़रीबुल्मर्ग = मरणासन्न
तुन्द = तेज़, तीव्र
निशस्त = (यहाँ) सीट
बायस /बाइस = कारण
क़त'अन = कदापि, हरगिज़
जसारत = हिम्मत
मज़ामहत = हस्तक्षेप, रोकटोक
#Thirty first Story, Aankhen: Sa'adat Hasan Manto/Hindi Audio Book/2009/24. Voice: Amitabh Meet
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4 श्रोताओं का कहना है :
मीत साहब की पुरकशिश आवाज़ और मंटो की कहानी, और क्या चाहिए दिन को बनाने के लिए...वाह
behad sanjeeda karne waali kahaani ,kabhi kahi padhi thi ,par meet ji ki aawaj ne un panno ki kahaani bhulne ko majboor karte hue ise sunte rahne ko bebas kiya ,bahoot khoob ,
'मीत' जी की आकर्षित आवाज में कहानी अच्छी लगी ,हिंद युग्म के कारण सुन लेते हैं मेरी डाक्टर बेटी भी कहानी को मजे से सुनती है आभार दे रही है
बहुत ही अच्छी कहानी. climex बहुत ही खूबसूरत है. अच्छा लगा राईटर जिस चीज़ को सबसे ज्यादा पसंद करता था बस वही चीज़ charecter के पास नहीं थी. बहुत ही लाजवाब आवाज़. मुबारकबाद.
आखों की बात से मुझे उर्दू की एक मशहूर राईटर कुर्तुल अन हैदर की एक कहानी याद आ गई. वो भी कुछ कुछ इसी तरह की थी. नाम ध्यान नहीं आ रहा है.
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