ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 196
क्या आप के ज़हन में है दोस्तों कि आज तारीख़ कौन सी है? आज है ८ सितंबर। और ८ सितंबर का दिन है हमारी, आपकी, हम सब की चहीती गायिका आशा भोंसले जी का जन्मदिन । आज ८ सितंबर २००९ को आशा जी मना रहीं हैं अपना ७८-वाँ जन्म दिवस। पिछले ६ दशकों से उनकी आवाज़ हमारी ज़िंदगियों में रस घोलती चली आ रही है। क्या बच्चे, क्या जवान, क्या बूढ़े, हर किसी के दिल पर छायी हुई है आशा जी की दिलकश आवाज़। यह वो आवाज़ है दोस्तों जिस पर समय का कोई असर नहीं है। आशा जी ने फ़िल्म संगीत के कई बदलते दौर देखे हैं, और हर दौर में उन्होने अपनी आवाज़ का जादू कुछ इस क़दर बिखेरा है कि हर दौर में उन्होंने सुनने वालों के दिलों पर राज किया है। मैं अपनी तरफ़ से, 'आवाज़' की तरफ़ से और पूरे 'हिंद युग्म' परिवार की तरफ़ से आशा जी को दे रहा हूँ ढेरों शुभकामनाएँ। आशा जी के जन्मदिवस को केन्द्र कर हम इन दिनों सुन रहे हैं उनके युगल गीतों की एक ख़ास लघु शृंखला '१० गायक और एक आपकी आशा'। क्योंकि आज आशा जी का बर्थडे है, तो क्यों न आज थोड़ी से मस्ती की जाए, थोड़े हँसी मज़ाक के साथ आज के 'ओल्ड इज़ गोल्ड' को एंजोय किया जाए! तो अगर ऐसा मज़ाहिया और चुलबुला सा युगल गीत चुनना हो तो किशोर कुमार से बेहतर और कौन सा गायक हो सकता है भला, और ओ.पी नय्यर से बेहतर संगीतकार! जी हाँ, आज बारी है किशोर दा की जिन्होने आशा जी के साथ अनगिनत गीत गाए हैं। दूसरे शब्दों में, आशा-किशोर की जोड़ी फ़िल्म संगीत के पार्श्वगायकों की जोड़ियों में एक बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है। युं तो इस जोड़ी ने ७० के दशक में सब से ज़्यादा धूम मचाई, लेकिन ५० और ६० के दशकों में भी कई कमाल के गानें इन दोनों ने साथ साथ गाए हैं। अगर ५० के दशक की बात करें तो एक ट्रेंड ऐसा चला था कि फ़िल्म के नायक हैं किशोर कुमार और फ़िल्म के संगीतकार ओ. पी. नय्यर। इन हास्य फ़िल्मों में किशोर कुमार और आशा भोंसले के गाए गानें हुआ करते थे। कुछ ऐसी फ़िल्मों के नाम गिनाएँ आप को? 'छम छमा छम', 'बाप रे बाप', 'भागम भाग', 'ढाके की मलमल', 'नया अंदाज़', 'कभी अंधेरा कभी उजाला', और 'रागिनी' ...। दोस्तों, 'रागिनी' में आशा-किशोर का एक ऐसा मज़ेदार युगल गीत है जिसे आज हम आप को सुनवा रहे हैं। बड़ा ही मज़ेदार गीत है, जिसमें नायक बंगाली और नायिका मद्रासी अन्दाज़ में अपने जज़्बात पेश करते हैं। "मैं बांगाली छोकरा करूँ प्यार को नोमोश्कारोम, मैं मद्रासी छोकरी मुझे तुमसे प्यारम"।
'रागिनी' १९५७ की फ़िल्म थी जो अशोक पिक्चर्स के बैनर तले रखन ने निर्देशित किया था। अशोक कुमार, किशोर कुमार, पदमिनी, जबीन और नज़िर हुसैन के अभिनय से सजी इस फ़िल्म के एक गीत में किशोर कुमार का प्लेबैक किया था मोहम्मद रफ़ी ने। 'फागुन' और 'हावड़ा ब्रिज' के बाद इस फ़िल्म में क़मर जलालाबादी और नय्यर साहब एक बार फिर साथ साथ काम किया और एक बार फिर कुछ सदा बहार नग़मों इज़ाद हुई। जैसे कि फ़िल्म के शीर्षक से ही प्रतीत होता है कि इस फ़िल्म के गीत संगीत में शास्त्रीयता का असर होगा, नय्यर साहब ने मशहूर शास्त्रीय गायक अमानत अली और फ़तेह अली से फ़िल्म में एक गीत गवाया था। शास्त्रीय संगीत पर आधारित एक गीत किशोर दा पर भी फ़िल्माना था जिसके लिए रफ़ी साहब को गवाया गया। गीत था "मन मोरा बावरा"। इसके साथ भी एक क़िस्सा जुड़ा हुआ है जो हम आप को तब बताएँगे जब यह गीत आप को सुनवाएँगे। फ़िल्हाल हम बात करते है आज के गीत की। तो साहब, यह गीत फ़िल्माया गया था किशोर दा और पदमिनी पर। एक बंगाली लड़का और एक दक्षिण भारतीय ल़ड़की एक दूसरे से प्यार करते हैं, गीत का मुद्दा यह है कि किशोर दा पदमिनी को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि बंगाल और दक्षिण के रीति रिवाज़ों में बहुत फ़र्क है, लेकिन पदमिनी किशोर दा के हर संशय को दूर करती है तीन अंतरे वाले इस गीत में। गीत की ख़ास बात यह है कि इसमें नायक के बजाय नायिका प्रेम निवेदन कर रही है और वह भी खुले मैदान में नायक के पीछे भागते हुए। अगर इस तरह का गीत जिसमें प्रांतीय मुद्दे उठाए गए हैं अगर आज बनें तो हो सकता है कि सेंसर बोर्ड पास न करे, लेकिन उन दिनों इन सब बातों का बुरा नहीं माना जाता था। लेकिन जो भी है, यह गीत अनेकता में एकता का पैगाम तो ज़रूर देता है कि किस तरह से दो इंसान, जो बिल्कुल अलग संस्कृति से ताल्लुख़ रखते हैं, एक दूजे से आकर्षित हो सकते हैं। किशोर दा तो किशोर दा हैं, आशा जी ने भी अपनी गायकी और हरकतों में वही दक्षिण भारतीय अंदाज़ ले आयी हैं जिससे गीत और ज़्यादा प्रभावशाली और प्राकृतिक बन पड़ा है। तो सुनिए आशा-किशोर की जोड़ी की यह रोमांटिक कामेडी, और एक बार फिर से आशा जी को हम देते हैं जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
१. कल के गीत में आशा का साथ देंगें गायक के रूप में एस डी बतीश.
२. गीत को लिखा है सरस्वती कुमार दीपक ने. (इस बार जानकारी सही है :)
३. मुखड़े की पहली पंक्ति में शब्द है -"दुनिया".
पिछली पहेली का परिणाम -
कल यदि शरद जी होते तो झट जवाब मिल जाता....पर चूँकि उन पर अभी कुछ दिन और पहरा रहेगा....तो फायदा उठाया पहली बार दिलीप जी ने.....हमेशा लेट आने वाले दिलीप जी ने भी आखिरकार कमा ही लिए २ अंक...मुबारक हो जनाब :) आपकी टिपण्णी का यूं भी इंतज़ार रहता है क्योंकि कुछ न कुछ नया आप जोड़ ही देते हैं आलेख में...पाबला जी जल्दी से दुरुस्त हो जाएँ आपकी कमी खल रही है....
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
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12 श्रोताओं का कहना है :
सब कुछ करना इस दुनिया में प्यार ना करना भूल के, .........
हुर्रेरेरेरेरेरेरे
मेरे आते तक कोई नहीं
मुझे मालूम है इसका ज़वाब
इसकी फिल्म का नाम वही है, जिस उपनाम वाले ब्लॉगर साथी को मैंने सात समन्दर पार टेलीफोन पर जनमदिन की बधाई दी थी, अगस्त के तीसरे हफ़्ते में :-)
कोड में बताया है मैंने उत्तर,
अंक मिलने चाहिए मुझे पूरे :-)
पूरा उत्तर कुछ घंटों बाद
हा हा
बी एस पाबला
अरे पूर्वी आ गई!?
ये बोल्ड करने के चक्कर में दो मिनट की देर हो गई।
फिर भी अपील की जाए…………॥
पूर्वी का प्रोफाईल नहीं हैSSSSSSSSSSSSSSSSS
देखें एम्पायर का ज़वाब!
मिलते हैं ब्रेक के बाद
:-)
बी एस पाबला
हा हा हा ...... :)
पाबला जी, अगर empire आपको अंक देने को तैयार हैं तो हम बड़ी ख़ुशी से आपको यह अंक दे देंगे , आखिर आज आप सबसे पहले यहाँ आ गये और कोड में फिल्म का नाम भी बता दिया :) .
अब कैसी तबियत है आपकी?
अब सुजोय जी की तरफ मुखातिब होते हैं....
कल सच मुच हमारे लिये संकट खडा हो गया था, हमें ऐसा कोई गाना पता नहीं था :(, और आज आपकी बदौलत पहली बार ऐसा मनचला गाना सुनने को मिला :) :) , बहुत बहुत शुक्रिया. आपके आलेख के जरिये बढ़िया जानकारी मिली इस फिल्म और इसके संगीत के बारे में. इस फिल्म के और भी गीत सुनना चाहेंगे .
आशा taai को हमारी तरफ से भी जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
aji Pabla sahab,
aapka ishara to zabardast hai ji...
kya baat hai..
balle balle !!!
hadippaaaaa...
uhu...uhu..uhu..
सब कुछ करना इस दुनिया में, प्यार न करना भूल के ...
फिल्म : अदा
संगीतकार : मदनमोहन
पूर्वी जी १००% सही हैं .
सुबुक … सुबुक …
अम्पायर ने अपील पर कान न दिया :-(
क्या करे, कान तो गीत के बोलों का इंतज़ार कर रहे होंगे :-)
हा हा
पूर्वी जी, बधाई
मेरा नम्बर कब आएगा!?
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फिल्म: अदा
संगीतकार: मदनमोहन
गीतकार: सरस्वती कुमार 'दीपक'
गायक: एस डी बतीश - आशा भोंसले
गीत:
आशा: सब कुछ करना इस दुनिया में
प्यार न करना भूल के
कभी किसी से अपनी आँखें
चार न करना भूल के
जी प्यार न करना भूल के
बतीश: सब कुछ कहना ये मत कहना
प्यार न करना भूल के
नज़रें मिला के उल्फ़त से
इन्कार न करना भूल के
आशा: जी प्यार न करना भूल के
आशा: प्यार किया था परवाने ने
शमा ने उसको जला दिया
बतीश: जलने का ही नाम है मिलना
प्यार ने उनको मिला दिया
आशा: मिलने की इस रीत को तुम
अख़्त्यार न करना भूल के
कभी किसी से अपनी आँखें
चार न करना भूल के
जी प्यार न करना भूल के
प्यार करोगे पछताओगे
ये दुनिया बदनाम करेगी
बदनाम करेगी
बतीश: लाख करे बदनाम मोहब्बत
अपना ऊँचा नाम करेगी \-2
आशा: ऐसे ऊँचे नाम का तुम
ब्योपार न करना भूल के
कभी किसी से अपनी आँखें
चार न करना भूल के
जी प्यार न करना भूल के
बतीश: प्यार करेंगे नहीं डरेंगे
बिना प्यार के दुनिया क्या है
दुनिया क्या है
आशा: बिना प्यार की दुनिया सच्ची
प्यार की दुनिया में धोखा है
बतीश: प्यार में धोखे की बातें
सरकार न करना भूल से
आशा: कभी किसी से
बतीश: सब कुछ कहना ये मत कहना
प्यार न करना भूल के
आशा: नज़रें मिला के उल्फ़त से
इन्कार न करना भूल के \-2
बतीश+आशा: सब कुछ कहना ये मत कहना
प्यार न करना भूल के
नज़रें मिला के उल्फ़त से
इन्कार न करना भूल के \-2
Pandit Shiv Dayal Batish sahab ke baare mein agar koi sangeet premi jyaada nahin jaanate hain, unke liye yah ek link de rahaa hoon.
http://batish.com/sd/
Batish sahab ke betene yah website banaayi hai.
as film ke naam ka idea lagaa thaa...
is se jyaada kuchh nahi...
Namashkar,
Aap Ki, Hamaare Pitajee Pandit Shiv Dayal Batish, ke sangeet ki charchaa dekh kar badi khushi hui. Mujhe aashaa hai ke app sab unki yaad ko kabhi roke nahin. Unke Kafi puraane gaane ab Youtube par aa rahe hain. Is baat ko dekh kar meraa dil bahut khushi se bhar aataa hai. Agar aap ke paas unke koi puraane gaane hon to kripaa karen mujhe zarror bhej de naa unki web site par chadhaane ke liye.
Ashwin Batish
http://www.batish.com/
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