Saturday, March 13, 2010

सुनो कहानी: डिप्टी कलेक्टर - हरिशंकर परसाई



'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने उर्दू और हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार उपेन्द्रनाथ अश्क लिखित रचना "चारा काटने की मशीन" का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं हरिशंकर परसाई लिखित व्यंग्य "डिप्टी कलेक्टर", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।
"डिप्टी कलेक्टर" का कुल प्रसारण समय मात्र 3 मिनट 45 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।



मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है। ।
~ हरिशंकर परसाई (1922-1995)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी

यह धांधली देख कर दूसरे अखबार ने चेतावनी छापी- "नक्कालों से सावधान।"
(हरिशंकर परसाई के व्यंग्य "डिप्टी कलेक्टर" से एक अंश)


नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)

यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
VBR MP3
#64th Story, Deputy Collector: Harishankar Parsai/Hindi Audio Book/2010/9. Voice: Anurag Sharma

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5 श्रोताओं का कहना है :

निर्मला कपिला का कहना है कि -

सुबह से इन्तज़ार कर रही थी। कहने की जरूरत नही कि अनुराग जी की आवाज मे कहानी की सुन्दरता और भी बढ जाते है। धन्यवाद्

गिरिजेश राव, Girijesh Rao का कहना है कि -

पिछली कड़ियाँ छूट गई थीं। यह वाली अभी डाउनलोड हो रही है। आप की आवाज में तो और बढ़िया लगेगी ही।
पिछली वाली भी सहेजनी हैं।

गिरिजेश राव, Girijesh Rao का कहना है कि -

अरे,डाउनलोड लिंक तो सप्रे जी की कहानी मिट्टी का है। इसे ठीक कीजिए।

Smart Indian का कहना है कि -

@निर्मला जी, धन्यवाद!
@गिरिजेश जी, लिंक ठीक कर दिया है - गलती के लिए क्षमा ;)

RAJ SINH का कहना है कि -

शैलेश जी ' टिप्पणियों ' के नए प्रारूप से बड़ी दिक्कत आ रही है .तकनीकी दिक्कतों में उलझने की बजे पुराना रूप बेहतर होगा .' हिग्युग्म ' को सुभेक्षा !

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