Tuesday, December 7, 2010

वो न आयेंगें पलट के, उन्हें लाख हम बुलाएं....मुबारक बेगम की आवाज़ में चंद्रमुखी के जज़्बात



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 543/2010/243

'हिंदी सिनेमा के लौह स्तंभ' - 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की इस लघु शृंखला के तीसरे खण्ड में इन दिनों आप सुन रहे हैं बिमल रॊय निर्देशित फ़िल्मों के गीत और बिमल दा के फ़िल्मी यात्रा का विवरण। कल बात आकर रुकी थी 'परिणीता' में। १९५४ से अब बात को आगे बढ़ाते हैं। इस साल बिमल दा के निर्देशन में तीन फ़िल्में आईं - 'नौकरी', 'बिराज बहू' और 'बाप-बेटी'। 'नौकरी' 'दो बीघा ज़मीन' का ही शहरीकरण था। फ़िल्म में किशोर कुमार को नायक बनाया गया था, लेकिन यह फ़िल्म 'दो बीघा ज़मीन' जैसा कमाल नहीं दिखा सकी, हालाँकि "छोटा सा घर होगा बादलों की छाँव में" गीत ख़ूब लोकप्रिय हुआ। 'बिराज बहू' भी शरतचन्द्र की इसी नाम की उपन्यास पर बनी थी जिसका निर्माण किया था हितेन चौधरी ने। 'नौकरी' और 'बिराज बहू' में सलिल दा का संगीत था, लेकिन 'बाप-बेटी' में संगीत दिया रोशन ने। फिर आया साल १९५५ और एक बार फिर शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की लोकप्रिय उपन्यास 'देवदास' पर बिमल रॊय ने फ़िल्म बनाई। १९३५ में प्रमथेश चन्द्र बरुआ ने पहली बार न्यु थिएटर्स में 'देवदास' का निर्माण किया था और उस समय बिमल दा उनके सहायक थे। इसके २० साल बाद, १९५५ में बिमल दा ने अपने तरीक़े से 'देवदास' को फ़िल्मी पर्दे पर उतारा। सहगल साहब की छवि देवदास की भूमिका में सब के दिल में बैठ चुकी थी। ऐसे में फिर से 'देवदास' बनाना ख़तरे से ख़ाली नहीं था। लेकिन बिमल दा ने यह रिस्क लिया और दिलीप कुमार को देवदास के रूप में उतारा। वैसे भी दिलीप साहब के अलावा किसी और की कल्पना उस वक़्त देवदास के रूप में नहीं की जा सकती थी। सबकी उम्मीदों पर खरा उतरकर दिलीप साहब को इस फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। सुचित्रा सेन और वैजयंतीमाला ने क्रम से पारो और चन्द्रमुखी की भूमिकाएँ निभाईं।

बिमल रॊय की शान में 'देवदास' के नायक दिलीप कुमार ने कहा है - "Nobody has ever mentioned that while shooting in the suburbs of Bombay – behind his own Mohan studio, in Andheri or other selected exteriors, Bimal Roy captured the very ethos of rural Bengal. He did not need to go there. To me it was an education to work with him. In my formative year it was important to work with a director who lead you gently under the skin of the character. Today we have institutions, they teach cinema, acting etc. We did not have these in our times. We had instead directors like Bimal Roy. Add to this my own application as an actor. Take making Devdas. The question often while doing my role was ‘not to do’ than do anything." फ़िल्म 'देवदास' के दो गीत हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर सुनवा चुके हैं - "जिसे तू क़ुबूल कर ले" और "आन मिलो श्याम सांवरे"। आज हम आपको सुनवा रहे हैं मुबारक़ बेगम की आवाज़ में "वो ना आएँगे पलटकर, उन्हें लाख हम बुलाएँ, मेरी हसरतों से यह कहदो मेरे ख़्वाब भूल जाए"। यह गीत मुबारक़ बेगम की सब से लोकप्रिय गीतों में से एक है, हालाँकि यह गीत भी मुबारक़ बेगम के कई फ़िल्मों के कईगीतों की तरह इस फ़िल्म में भी पूरा नहीं लिया गया। राग खमाज पर आधारित इस मुजरे में सारंगी का सुंदर इस्तेमाल सुनने को मिलता है। यकीनन इस गीत को चंद्रमुखी (वैजयंतीमाला) पर फ़िल्माया गया होगा। फ़िल्म 'देवदास' में बिमल दा ने अपने साथी सलिल चौधरी को ना लेकर संगीतकार के रूप में चुना सचिन देव बर्मन को और गीतकार के रूप में शैलेन्द्र की जगह ले ली साहिर लुधियानवी ने। तो लीजिए इस ख़ूबसूरत मुजरे को सुनिए मुबारक़ जी की मिट्टी की सौंधी सौंधी ख़ुशबूदार आवाज़ में।



क्या आप जानते हैं...
कि गायिका मुबारक़ बेगम को पढ़ना लिखना नहीं आता था, रेकॊर्डिंग् में उनकी बेटी उनके साथ जाती थी और गीत लिख लेती थी।

दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)

पहेली ०४ /शृंखला ०५
गीत का इंटर ल्यूड सुनिए-


अतिरिक्त सूत्र - बिमल रॉय की एक और नायाब फिल्म.

सवाल १ - गायिका कौन हैं इस गीत की - १ अंक
सवाल २ - गीतकार बताएं - २ अंक
सवाल ३ - संगीतकार का नाम बताएं - १ अंक

पिछली पहेली का परिणाम -
श्याम कान्त जी ने एक बार फिर बढ़त बना ली है, रोमेंद्र जी सही कहा आपने, वाकई इस देवदास का जवाब नहीं...इंदु जी आप पर इल्जाम लगाएं....इतनी हिम्मत कहाँ हमने...और वैसे भी आप है ही इतनी प्यारी कि एक दिन भी न दिखें तो हमें कमी खलती है :)

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

फेसबुक-श्रोता यहाँ टिप्पणी करें
अन्य पाठक नीचे के लिंक से टिप्पणी करें-

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

3 श्रोताओं का कहना है :

ShyamKant का कहना है कि -

Lyricist: Majrooh Sultanpuri

शरद तैलंग का कहना है कि -

Singer " Asha Bhosale
Computer abhi thik ho kar aaya hai isliye der se haajari lagaa raha hoon

Pratibha का कहना है कि -

सवाल ३ - संगीतकार का नाम बताएं - Sachin Dev Burman

Pratibha Kaushal-Sampat
Ottawa, Canada

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

संग्रहालय

25 नई सुरांगिनियाँ

ओल्ड इज़ गोल्ड शृंखला

महफ़िल-ए-ग़ज़लः नई शृंखला की शुरूआत

भेंट-मुलाक़ात-Interviews

संडे स्पेशल

ताजा कहानी-पॉडकास्ट

ताज़ा पॉडकास्ट कवि सम्मेलन