Sunday, January 23, 2011

ए मेरे दिले नादाँ तू गम से न घबराना....एक एक बढ़कर एक गीत हुए हैं इन सस्पेंस थ्रिल्लर फिल्मों में



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 576/2010/276

मस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की इस नई सप्ताह में आप सभी का फिर एक बार हम हार्दिक स्वागत करते हैं। इन दिनों 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर जारी है लघु शृंखला 'मानो या ना मानो', जिसमें हम चर्चा कर रहे हैं अजीब-ओ-ग़रीब घटनाओं की जिनका ताल्लुख़ आत्मा, भूत-प्रेत और पुनर्जनम से है। हालाँकि विज्ञान कुछ और ही कहता है, लेकिन कभी कभी कुछ ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं जिसकी व्याख्या विज्ञान भी नहीं कर पाता। पिछली दो कड़ियों में ऐसे ही कुछ पुनर्जनम के किस्से हमने पढ़े। आइए आज वापस लौटते हैं 'हौण्टिंग् हाउसेस' पर। हमने आपसे वादा किया था कि एक कड़ी हम ऐसी रखेंगे जिसमें हम आपको इंगलैण्ड के कुछ भौतिक जगहों के बारे में बताएँगे, क्योंकि पूरे विश्व के अंदर इंगलैण्ड में भूत-प्रेत की कहानियाँ सब से ज़्यादा मात्रा में पायी जाती है। द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत से वायुसैनिक मारे गये थे। कहा जाता है कि कई एयरफ़ील्ड्स में आज भी अजीब-ओ-गरीब चीज़ें महसूस की जा सकती हैं। इन एयरफ़ील्ड्स में शामिल हैं RAF Bircham Newton Norfolk, RAF East Kirkby Lincolnshire, और RAF East Elsham Wolds North Lincolnshire। इंगलैण्ड कैसेल्स (castles) के लिए प्रसिद्ध है, और बहुत से पुराने कैसेल्स ऐसे हैं जिन्हें आत्माओं के निवास-स्थान होने का गौरव प्राप्त है। ससेक्स का अरुण्डेल कैसेल एक विख्यात कैसेल है जिसमें एक नहीं बल्कि चार चार आत्माओं के मौजूदगी मानी जाती है। इनमें पहला नाम है इस कैसेल के निर्माता का (the spirit of the first Earl of Arundel); दूसरे नंबर पे है उस औरत की आत्मा जिसने प्यार में असफल होने के बाद इस कैसेल की एक टावर से कूद कर अपनी जान दे दी थी। कुछ लोग कहते हैं कि आज भी चांदनी रातों में सफ़ेद लिबास में उस औरत को कैसेल के इर्द-गिर्द घूमते हुए देखा जा सकता है। तीसरी आत्मा है उस 'Blue Man' का जिसे इस कैसेल की लाइब्रेरी में १६३० से लेकर अब तक घूमते हुए देखा जाता है। अनुमान लगाया जाता है इसका ताल्लुख़ King Charles-I के ज़माने से है। और चौथे नंबर पे है उल्लू की तरह दिखने वाला एक पक्षी की आत्मा; ऐसी मान्यता है कि अगर इस पक्षी को इस कैसेल की खिड़की पर पंख फड़फड़ाते हुए देखा जाये तो कैसेल के किसी सदस्य की मौत निश्चित है। आगे बढते हैं और पहुँचते हैं लेइसेस्टर के बेल्ग्रेव हॊल में जो सुर्ख़ियों में आ गया था १९९९ में जब वहाँ के CCTV के कैमरे में एक सफ़ेद आकृति कैद हुई थी। कुछ लोगों ने कहा कि यह इस स्थान के पूर्व-मालिक के बेटी की आत्मा है। लंदन की बात करें तो 50 Berkeley Square यहाँ का सब से विख्यात हौण्टेड हाउस है। एसेक्स के बोर्ले नामक गाँव के बोर्ले रेक्टरी में १८८५ से लेकर बहुत से भौतिक नज़ारे लोगों ने देखे हैं। १९३९ में इस घर को आग लग गई और आज तक यह एक वितर्कित जगह है। ब्रिस्लिंगटन, जो किसी समय ब्रिस्टोल के नज़दीक एक आकर्षक समरसेट विलेज हुआ करता था, आज जाना जाता है भूत-प्रेतों के उपद्रवों की वजह से। पब, होटल और घरों में आये दिन अजीब-ओ-गरीब घटनाओं के घटने के किस्से सुने जाते हैं। उत्तरी लंदन के टोटेन्हैम के ब्रुस कैसेल में एक औरत की आत्मा रहती है जो हर साल ३ नवंबर के दिन दिखाई देती है। कहा जाता है कि यह लेडी कोलरैन की आत्मा है जिसे उस कैसेल के एक चेम्बर में उसके पति ने क़ैद कर रखा था और वहीं उसकी मौत हो गयी थी। इस तरह से हौण्टेड कैसेल्स की फ़ेहरिस्त बहुत बहुत लम्बी है और अगर उन सब का ज़िक्र करने बैठे तो शायद एक किताब लिखनी पड़ जाये।

आज के अंक के लिए हमने जिस सस्पेन्स थ्रिलर फ़िल्म को चुना है, वह है 'टावर हाउस'। १९६२ में बनी इस फ़िल्म में संगीत दिया था रवि ने और गीत लिखे थे असद भोपाली ने। निसार अहमद अंसारी निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे अजीत और शकीला। फ़िल्म की कहानी एक पुरानी परित्यक्त टावर हाउस के इर्द-गिर्द घूमती है, जहाँ पर निश्चित रातों में एक औरत गीत गाती हुई घूमती दिखाई देती है और उन्ही रातों में कोई ना कोई उस टावर पर से कूद कर आत्महत्या कर लेता है। पुलिस जाँचपड़ताल करती है लेकिन उन्हें कुछ नहीं सूझता और यह रहस्य एक रहस्य ही बना रहता है। और रहस्य यह भी है कि वह औरत सेठ दुर्गादास की स्वर्गीय पत्नी है। पुलिस दुर्गादास को पूछताछ करते हैं लेकिन किसी निश्कर्ष तक नहीं पहूँच पाते। ऐसे में एक बार रणजीत (एन. ए. अंसारी) सबीता (शकीला) को शेर के पंजों से बचाता है। सबिता सेठ दुर्गादास की ही बेटी है। शेर से बचाते हुए रणजीत ख़ुद बुरी तरह ज़ख्मी हो जाता है और उसके चेहरे पर हमेशा के लिए गंदे निशान बैठ जाते हैं। सहानुभूतिपूर्वक दुर्गादास रणजीत को अपनी कंपनी में मैनेजर रख लेते हैं, लेकिन जल्द ही रणजीत लालच का शिकार होने लगता है और वह अपने असली रंग दिखाने पर उतर आता है, जिसका अंजाम होता है दुर्गादास की मौत। मुख्य आरोपी के रूप में सुरेश कुमार (अजीत) निश्चित होता है जो सबीता का प्रेमी था। सबीता भी सुरेश को ख़ूनी समझ बैठती है और उसे ठुकरा देती है। सुरेश भी उन सब की ज़िंदगी से दूर चला जाता है, जिसकी पुलिस को तलाश है। रणजीत अब कोशिश करता है कि किसी तरह से सबीता को पागल बना दिया जाये ताकि पूरे जायदाद का वो अकेला मालिक बन सके। एक तरफ़ टावर हाउस में घूमती वो लड़की और दूसरी तरफ़ दुर्गादास की मर्डर मिस्ट्री; क्या कोई समानता है इन दोनों में? यही थी 'टावर हाउस' की कहानी। और दोस्तों, उपर जो हमने लिखा है कि उस टावर हाउस में जो लड़की गीत गाती हुई घूमती है, तो आपको बता दें कि वह गीत कौन सा था। जी हाँ, आज का प्रस्तुत गीत, लता जी की हौण्टिग् वॊयस में, "ऐ मेरे दिल-ए-नादाँ, तू ग़म से ना घबराना, एक दिन तो समझ लेगी दुनिया तेरा अफ़साना..."। एक और रूहानी गीत, एक और सस्पेन्स थ्रिलर, आइए सुनते हैं।



क्या आप जानते हैं...
कि असद भोपाली ने पहली बार फ़ज़ली ब्रदर्स की फ़िल्म 'दुनिया' में गीत लिखने के लिए भोपाल से बम्बई आये थे।

दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)

पहेली 07/शृंखला 08
गीत का ये हिस्सा सुनें-


अतिरिक्त सूत्र - एक और शानदार सस्पेंस थ्रिल्लर.

सवाल १ - गीतकार बताएं - 2 अंक
सवाल २ - फिल्म के निर्देशक बताएं - 1 अंक
सवाल ३ - फिल्म की प्रमुख अभिनेत्री का नाम बताएं - 1 अंक

पिछली पहेली का परिणाम -
अमित जी आपको बेनिफिट ऑफ डाउट देते हुए २ अंक देते हैं. शरद जी और विजय दुआ जी भी सही जवाब लाये हैं...शृंखला आधी बीत चुकी है, एक बार फिर अमित जी ५ अंकों की बढ़त ले कर चल रहे हैं....क्या शरद जी उन्हें मात दे पायेंगें....पिछली शृंखला में हमें देखा था अमित जी ने कैसे दूसरी पारी में शरद जी को पराजित कर दिया था....क्या इतिहास खुद को दोहराएगा.....लगता है कुछ कुछ न्यूस चैनल वालों जसी बातें कर रहा हूँ मैं :) चलिए देखते हैं. एक बात और अच्छा लगा कि आप सब ने अंसारी साहब के बारे में इतनी बातें शेयर की. ऐसे ही करते रहिएगा.

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

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5 श्रोताओं का कहना है :

अमित तिवारी का कहना है कि -

गीतकार बताएं - राजा मेहदी अली खान

शरद तैलंग का कहना है कि -

Heroin : Sadhana

Anjaana का कहना है कि -

Film Director : Raj Khosla

शरद तैलंग का कहना है कि -

अमित तिवारी जी पता नहीं क्या तरीका अपनाते है कि कई बार तो पहेली ६.३० पर आती है और उनका जवाब भी ६.३० पर आ जाता है. मुझे भी जवाब मालूम होने पर भी उसे लिख़ने में तथा भेजने में थोडा समय तो लग ही जाता है. वैसे भी २६ जनवरी से बाद मैं १५ दिनों के लिए मुम्बई, होन्गकोन्ग तथा सिन्गापुर जा रहा हूं इसलिए उपस्थित नहीं हो सकूंगा

अमित तिवारी का कहना है कि -

शरद जी तरीका कुछ खास नहीं है. बस में ठीक ६.३० पर आता हूँ और कोशिश करता हूँ कि १ मिनट में जवाब दे दूं वर्ना आप मौका कहाँ देने वाले हैं.कभी कभी जरूर गड़बड़ा जाता हूँ.


एक जानकारी देना चाहते हूँ इस फिल्म के बारे में.
१९६६ में इस फिल्म का तमिल संस्करण आया था.'यार नी'.

गाना 'नैना बरसे रिमझिम रिमझिम', जिसे लता मंगेशकर ने गाया है इस फिल्म में कई बार आता है.रिकॉर्डिंग के समय लता जी ट्रेवल नहीं कर सकी थीं तो शूटिंग के लिए मदन मोहन जी ने इस गाने को खुद गाया.साधना ने शूटिंग के समय मदन मोहन जी के गाये हुए गाने पर ही होंठ हिलाए. बाद में इस गाने को लता जी ने गाया था.

मदन मोहन जी की आवाज में गाया हुआ गाना आप इस लिंक पर देख सकते हैं.

http://www.youtube.com/watch?v=dLxuake2fxE

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